पूर्व भारतीय फुटबॉल कप्तान भास्कर गांगुली ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उनके पैनल द्वारा तैयार किए गए संविधान को मान्यता दी जाए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को चुनाव कराने का निर्देश जारी करे. भास्कर गांगुली उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (COA) के सदस्य हैं.
2017 में हुआ था सोओए का गठन
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा को लिखे पत्र में भारत के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी गांगुली ने बताया कि उन्होंने एसवाई कुरैशी के साथ मिलकर जनवरी 2020 में एआईएफएफ के संविधान का मसौदा सौंप दिया था. गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 2017 में आदेश देते हुए सीओए का गठन किया था, जिसमें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी और गांगुली को राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुसार एआईएफएफ का संविधान तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थीय.
गांगुली ने पत्र में लिखा, 'हमने जनवरी 2020 में मसौदा सौंप दिया था, लेकिन अब तक इस मामले में अधिक प्रगति नहीं हुई है जिसके चलते एआईएफएफ चुनाव को लेकर कोई फैसला नहीं कर पा रहा है और नियमों के अनुसार उसके मौजूदा अध्यक्ष अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट से मेरी प्रार्थना है कि इस मामले को प्राथमिकता एवं नए संविधान को स्वीकृति दी जाए. एआईएफएफ को इसे तुरंत लागू करने की सलाह दी जाए और नए संविधान के अनुसार चुनाव कराया जाए जिससे कि भारत में फुटबॉल का विकास हो सके.'
तीन जज मिलकर करेंगे सुनवाई
इसी बीच बुधवार को लंबित मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा करने जा रहे हैं. पिछले गुरुवार को कोर्ट दिल्ली फुटबॉल क्लब की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि कार्यकारी समिति अवैध तरीके से काम जारी रखे हुए है और प्रफुल्ल पटेल एक दशक से भी अधिक समय से एआईएफएफ के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं.
प्रफुल्ल पटेल का कार्यकाल हो चुका है खत्म
एआईएफएफ चुनाव दिसंबर 2020 में होने वाले थे, लेकिन संघ ने अपने संविधान के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले का हवाला देते हुए चुनाव नहीं कराए. प्रफुल्ल पटेल ने दिसंबर 2020 में एआईएफएफ अध्यक्ष के रूप में अपने तीन कार्यकाल और 12 साल पूरे किए, जो खेल संहिता के तहत एक राष्ट्रीय खेल महासंघ के अध्यक्ष के लिए अधिकतम है.
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