मनिका बत्रा मामले में HC का कड़ा रुख, TTFI से कहा- खिलाड़ी को बिना वजह प्रताड़ित न करें

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (TTFI) को टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा को क्लीन चिट देने को कहा, जिन्होंने राष्ट्रीय खेल संस्था के खिलाफ शिकायत दायर की थी.

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Manika Batra (Getty) Manika Batra (Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:24 AM IST
  • निजी कोच की मांग करना गलत नहीं-HC
  • मनिका बत्रा को क्लीन चिट दे TTFI- HC

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (TTFI) को टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा को क्लीन चिट देने को कहा, जिन्होंने राष्ट्रीय खेल संस्था के खिलाफ शिकायत दायर की थी. हाई कोर्ट ने कहा कि वे नहीं चाहते कि किसी खिलाड़ी को अनावश्यक रूप से प्रताड़ित किया जाए.

खेल संस्था के खिलाफ जांच का खेल मंत्रालय को निर्देश देने वाली न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार निजी कोच की मांग करके खिलाड़ी ने कोई गलती नहीं की.

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अदालत मनिका की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि टीटीएफआई गैर-पारदर्शी तरीके से चयन कर रहा है और कुछ खिलाड़ियों को निशाना बना रहा है जिसमें वह भी शामिल हैं.

एशियाई टेस्ट टेबल चैम्पियनशिप के लिए भारतीय दल से बाहर की गई मनिका ने आरोप लगा था कि राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप राय ने उनकी एक प्रशिक्षु के खिलाफ ओलंपिक क्वालिफायर मुकाबला ‘गंवाने’के लिए उन पर ‘दबाव’ बनाया था.

अदालत ने टीटीएफआई के वकील से कहा, ‘महासंघ जिस तरह काम कर रहा है उससे हम खुश नहीं हैं. आप बिना किसी कारण के एक व्यक्ति के खिलाफ जांच कराने का प्रयास कर रहे हो. क्या आपका महासंघ कोई रुख अपनाने का इच्छुक है. क्या वह (महासंघ) उसे जारी कारण बताओ नोटिस वापस लेने का इच्छुक है. मैंने जांच रिपोर्ट देखी है. विचार समाधान तलाशने का है... वह खेले और मैचों पर ध्यान लगा सके.’

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अदालत ने कहा, ‘‘निष्कर्ष (केंद्र की रिपोर्ट में) है कि उसके निजी कोच मांगने में कोई गलती नहीं थी. रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि याचिकाकर्ता पर दोष मढ़ना उचित नहीं होगा.’

वकील को महासंघ से निर्देश लेने का समय देते हुए न्यायमूर्ति पल्ली ने कहा, ‘इस समय खिलाड़ी को नुकसान नहीं होना चाहिए. देश खिलाड़ियों को अदालत के चक्कर काटते हुए देखने की स्थिति में नहीं है... मैं चाहती हूं कि आप उसे क्लीनचिट दें, कहें कि जांच की जरूरत नहीं है. (कहें कि) उसकी ओर से कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया.’

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