बुमराह–सिराज के भरोसे कब तक? भारत का पेस अटैक कितना तैयार, कौन हैं अगले विकल्प

भारत की तेज गेंदबाजी सुनहरे दौर से बदलाव के दौर में है.जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज अब भी आक्रमण के लीडर हैं, लेकिन दोनों 30 पार कर चुके हैं और वर्कलोड मैनेजमेंट अहम हो गया है.अगली कतार में अर्शदीप सिंह, आकाश दीप, प्रसिद्ध कृष्णा, हर्षित राणा और अंशुल कम्बोज जैसे विकल्प हैं, लेकिन चोट, अस्थिरता और अनुभव की कमी बड़ी चुनौती है.

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 भारत की तेज गेंदबाजी सुनहरे दौर से बदलाव के दौर में. (Getty) भारत की तेज गेंदबाजी सुनहरे दौर से बदलाव के दौर में. (Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST

भारत की तेज गेंदबाजी सुनहरे दौर से बदलाव के दौर में है.जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज अब भी आक्रमण के लीडर हैं, लेकिन दोनों 30 पार कर चुके हैं और वर्कलोड मैनेजमेंट अहम हो गया है.अगली कतार में अर्शदीप सिंह, आकाश दीप, प्रसिद्ध कृष्णा, हर्षित राणा और अंशुल कम्बोज जैसे विकल्प हैं, लेकिन चोट, अस्थिरता और अनुभव की कमी बड़ी चुनौती है.

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भारत की तेज गेंदबाजी इकाई फिलहाल बदलाव के दौर से गुजर रही है, लेकिन सुनहरे दौर से सहज बदलाव की गारंटी फिलहाल नजर नहीं आती. जसप्रीत बुमराह अब भी आक्रमण के लीडर हैं, लेकिन उनकी उपलब्धता अब सीमित होती जा रही है. 2023 में पीठ की सर्जरी से वापसी के बाद उन्होंने 18 टेस्ट खेले और 513.2 ओवर फेंके. इसी अवधि में मोहम्मद सिराज ने 581.4 ओवर फेंकते हुए ज्यादा मैच खेले और सभी फॉर्मेट में भारत के भरोसेमंद वर्कहॉर्स बन गए.

31 साल के बुमराह की मौजूदगी अब सावधानी से मैनेज होती है- चोटों का इतिहास, व्यस्त शेड्यूल और सभी फॉर्मेट में अहमियत इसकी वजह हैं. सिराज, जो खुद भी 31 साल के हैं, को ऐसा मैनेजमेंट नसीब नहीं हुआ. उन्होंने भारत के पिछले 27 टेस्ट में से 24 खेले, अक्सर बुमराह के आराम के समय आक्रमण की अगुवाई की.

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ऑस्ट्रेलिया में बुमराह अकेले चमके थे, तो इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट की सीरीज में सिराज मुख्य हथियार बने- उनके बढ़ते कद का सबूत. लेकिन अगर उन पर ज्यादा भार पड़ा और वर्कलोड मैनेजमेंट नहीं हुआ, तो उनकी लंबी अवधि की टिकाऊ क्षमता पर सवाल उठेंगे.

अगली कतार के पेसर अब तक पूरी तरह भरोसा नहीं जगा पाए हैं. बुमराह के 2018 में डेब्यू के बाद सिर्फ 5 अन्य भारतीय तेज गेंदबाजों ने 20+ टेस्ट खेले- सिराज, शमी, ईशांत, उमेश और भुवनेश्वर (जिनमें से 4 अब हाशिये पर हैं). घरेलू सर्किट भी फिलहाल शांत है. गौरव यादव और मोहित अवस्थी जैसे रणजी के टॉप परफॉर्मर अभी तक चयन चर्चा में नहीं हैं.

दावेदारों में प्रअर्शदीप सिंह, आकाश दीप और हर्षित राणा जैसे नाम तो हैं, लेकिन चोटें और अस्थिर प्रदर्शन उनकी रफ्तार थाम चुके हैं. काबिल तो हैं, पर अगुवाई के लिए अभी पूरी तरह तैयार नहीं.

तेज गेंदबाजी में संकट तो नहीं, लेकिन दरारें दिख रही हैं और बुमराह-सिराज दोनों 30 पार कर चुके हैं, तो बड़ा सवाल यही है-अगला पेस लीडर कौन होगा?

मुकेश कुमार

मुकेश कुमार लगभग चुपचाप भारत की टेस्ट योजनाओं से बाहर हो गए हैं, जबकि दो साल से भी कम समय पहले उन्होंने 14 दिनों में तीनों फॉर्मेट में डेब्यू किया था. मजबूत घरेलू रिकॉर्ड के बावजूद, 31 साल के मुकेश अब फिर हाशिये पर हैं.

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इस साल इंग्लैंड लॉयन्स के खिलाफ भारत A की ओर से एकमात्र मैच में उन्होंने 3 विकेट लिए, लेकिन सीनियर टीम में चोट के कारण खाली हुए स्लॉट में भी उन्हें मौका नहीं मिला.

2023 WTC फाइनल हार के बाद वेस्टइंडीज दौरे पर उन्होंने तीनों फॉर्मेट में डेब्यू किया. टेस्ट डेब्यू पर उन्होंने 2/48 और 0/5 का आंकड़ा दर्ज किया. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका में 4 विकेट. इंग्लैंड के खिलाफ घर में एकमात्र टेस्ट खेला. तब से वे सिर्फ A टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड गए हैं.

3 टेस्ट में 7 विकेट, 6 ODI में 5 विकेट और 17 T20I में 20 विकेट- आंकड़े ठीक हैं, चमकदार नहीं. 210 फर्स्ट-क्लास विकेट (औसत 21.6) उनका दम बताते हैं, लेकिन युवा विकल्पों के बीच उनकी खिड़की अब छोटी दिख रही है.

आकाश दीप

आकाश दीप के टेस्ट डेब्यू पर मोहम्मद शमी से तुलना होने लगी- कद-काठी, हेयरलाइन, दाढ़ी और ऐक्शन तक. एजबेस्टन में उन्होंने इस भरोसे को सही साबित किया, 10 विकेट लेकर. उन्होंने कोण बनाने के लिए क्रीज का बेहतरीन इस्तेमाल किया, तेजी और सीम मूवमेंट का मिश्रण दिखाया.

हालांकि अगली दो पारियों में सिर्फ 3 विकेट आए और हल्की चोटों ने लय तोड़ी. इसके बावजूद टीम मैनेजमेंट ने उनमें भविष्य देखा है. पुरानी गेंद के साथ उनकी असर क्षमता और धीमी पिचों पर लंबी स्पेल डालना अभी साबित होना बाकी है, लेकिन उपकरण और हिम्मत दोनों मौजूद हैं.

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प्रसिद्ध कृष्णा

इंग्लैंड में प्रसिद्ध कृष्णा का प्रदर्शन मिश्रित रहा. 'द ओवल' में 8 विकेट लेकर उन्होंने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई, लेकिन लीड्स में और शुरुआती पारियों में महंगे साबित हुए.

पूर्व इंग्लैंड तेज गेंदबाज स्टीव हार्मिसन ने उनकी ऐक्शन में खामियां बताईं- खासतौर पर फुलर लेंथ गेंदों पर सीम को लगातार सही तरह से पेश न कर पाना, जिससे उनकी स्विंग करने की क्षमता सीमित हो गई.ओवल में उन्होंने अपनी लय पाई और वह क्षमता दिखाई,  जिसके कारण उन्हें लंबे फॉर्मेट का अगला ईशांत शर्मा माना जाता था. लेकिन 29 साल में सिर्फ 6 टेस्ट, चोट और अस्थिरता अब भी चुनौती हैं.

अर्शदीप सिंह

जहीर खान के बाद से भारत को एक भरोसेमंद लेफ्ट-आर्म पेसर की तलाश रही है. अर्शदीप ने इस उम्मीद को जिंदा रखा है. सफेद गेंद में वे नए और आखिरी ओवरों के अहम गेंदबाज बन चुके हैं. 2023 में काउंटी क्रिकेट खेलकर उन्होंने लाल गेंद में सुधार किया है. 21 फर्स्ट-क्लास मैच में 66 विकेट लेकर वे विदेशी दौरों के लिए अहम विकल्प बन सकते हैं.

हर्षित राणा

दिल्ली के तेज गेंदबाज हर्षित राणा ने IPL में छाप छोड़ने के बाद 2024 में पर्थ टेस्ट में डेब्यू किया और 4 विकेट लेकर ध्यान खींचा. अब तक उन्होंने 2 टेस्ट, 5  ODI और 1 T20 इंटनरेशनल खेला है. 140 किमी/घं. से ऊपर लगातार गेंदबाजी और उछाल निकालने की क्षमता उन्हें प्रतिस्पर्धा में बनाए रखती है।

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अंशुल कम्बोज

हरियाणा के अंशुल कम्बोज ने रणजी ट्रॉफी में एक पारी में 10 विकेट लेकर सुर्खियां बटोरीं और 2025 इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट डेब्यू किया. लेकिन तैयारी के लिए मिले दो दिन और संभावित चोट के चलते उनका प्रदर्शन साधारण रहा. अश्विन ने कभी उनकी तुलना जहीर और बुमराह के मिश्रण से की थी- प्रतिभा मौजूद है, निखार बाकी है.

आगे क्या?
घरेलू सर्किट में हिमांशु चौहान, गौरव यादव, विद्वत कावेरप्पा, विशाक विजयकुमार, मोहित अवस्थी, आदित्य ठाकरे और आकाश सेनगुप्ता जैसे नाम संभावनाओं के केंद्र में हैं.

अगर शुभमन गिल और गौतम गंभीर भारत की तेज गेंदबाजी को विश्वस्तरीय बनाए रखना चाहते हैं, तो उन्हें संकट-आधारित सोच से आगे बढ़कर समय रहते सही दांव लगाने होंगे और उन पर टिके रहना होगा.

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