पृथ्वी शॉ-उन्मुक्त चंद... धाकड़ हुई थी शुरुआत, कैसे गुमनामी में चले गए, क्या करते हैं आजकल दोनों

उन्मुक्त चंद और पृथ्वी शॉ ने जिस तरह अपने करियर की शुरुआत की थी, वैसा कम ही क्रिकेटरों को नसीब होता है. दोनों की तुलना दिग्गज खिलाड़ियों से की जाने लगी, मगर समय के साथ-साथ दोनों का प्रदर्शन फीका होता चला गया.

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Unmukt Chand and Prithvi Shaw Unmukt Chand and Prithvi Shaw

अनुराग कुमार झा

  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2025,
  • अपडेटेड 6:47 AM IST

कहानी... दो उन भारतीय क्रिकेटरों की, जिन्होंने अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को अंडर-19 वर्ल्ड कप जिताया. फिर दिग्गज क्रिकेटर्स से उनकी तुलना की जाने लगी, मगर समय के साथ-साथ दोनों का प्रदर्शन फीका होता चला गया. एक ने तो भारतीय टीम के लिए इंटरनेशनल डेब्यू भी किया, लेकिन ज्यादा मैच खेल नहीं पाए. वहीं दूसरे को इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला, तो बाहरी देश का रुख किया.

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बात हो रही है पृथ्वी शॉ और उन्मुक्त चंद की. एक समय था, जब इन दोनों खिलाड़ियों के नाम पर हजारों युवाओं ने क्रिकेटर बनने का सपना बुन लिया था. लेकिन जिन्हें वो आइडल मानने चले थे, वो एक तरह से गुमनामी में चले गए. क्रिकेट में केवल टैलेंट नहीं...अनुशासन, निरंतरता और मानसिक मजबूती भी मायने रखता है. ये तीनों चीजें एक साथ शायद उन्मुक्त और पृथ्वी में देखने को नहीं मिली.

बात पहले उन्मुक्त चंद की करते हैं. जब साल 2012 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में उन्मुक्त चंद ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खिताबी मुकाबले में नाबाद शतक (111*) जड़ा, तो ऐसा लगा जैसे टीम इंडिया को भविष्य का एक और बड़ा सितारा मिल गया हो. उन्हें टीम इंडिया का फ्यूचर कैप्टन कहा जाने लगा, लेकिन कप्तानी तो दूर वो सीनियर टीम में भी कभी जगह नहीं बना सके.

अंडर-19 वर्ल्ड कप 2012 जीतने के बाद उन्मुक्त ब्रिगेड, फोटो: (AP/ICC)

इसके पीछे की वजह उन्मुक्त चंद का घरेलू क्रिकेट में साधारण प्रदर्शन रहा. घरेलू क्रिकेट में दिल्ली के लिए उन्मुक्त आठ साल खेले और वो इस दौरान दिल्ली के कप्तान भी बने. फिर उन्होंने उत्तराखंड का रुख किया, जहां उनका प्रदर्शन एवरेज ही रहा. 67 फर्स्ट क्लास मैचों में उनका बैटिंग एवरेज 31.57 रहा, जो रेड-बॉल क्रिकेट के लिहाज से सही नहीं माना जा सकता. उन्मुक्त घरेलू क्रिकेट के अलावा इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में भी कुछ खास नहीं कर पाए. आईपीएल में उन्मुक्त ने 21 मैच खेलकर 15 के एवरेज से सिर्फ 300 रन बनाए. उन्मुक्त ने आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स (DC), राजस्थान रॉयल्स (RR) और मुंबई इंडियंस (MI) का प्रतिनिधित्व किया. 

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चयनकर्ताओं की बेरुखी ने भी उन्मुक्त चंद के क्रिकेट करियर को पटरी से उतारने में अहम भूमिका निभाई. जब टीम इंडिया के लिए उन्मुक्त के दरवाजे पूरी तरह बंद हो गए, तो उन्होंने अगस्त 2021 में भारतीय क्रिकेट से संन्यास लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) का रुख किया. 32 साल के उन्मुक्त को अब तक यूएसए के लिए अपना डेब्यू करने का मौका नहीं मिला है, लेकिन वो लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं.

चूंकि उन्मुक्त चंद का सपना अब अमेरिकी टीम में जगह बनाने का है. ऐसे में वो अब विकेटकीपिंग भी करने लगे हैं. उन्मुक्त फिलहाल मेजर लीग क्रिकेट (MLC) 2025 में लॉस एंजेलिस नाइट राइडर्स के लिए भाग ले रहे हैं. 22 जून 2025 को ही उन्मुक्त ने सिएटल ओर्कस के खिलाफ 58 गेंदों पर नाबाद 86 रनों की पारी खेलकर अपनी टीम को शानदार जीत दिलाई थी. उन्होंने इस इनिंग्स के जरिए दुनिया को दिखाया कि उनमें अब भी काफी क्रिकेट बचा है.

उन्मुक्त चंद, फोटो: (Getty Images)

अब बात पृथ्वी शॉ की करते हैं. 25 साल के पृथ्वी को काफी उम्र में शोहरत मिली, लेकिन धीरे-धीरे खेल से ज्यादा दूसरी वजहों के चलते वो सुर्खियों में आ गए. पृथ्वी शॉ ने साल 2013 में एक क्लब मैच में 500 से ज्यादा रन बना डाले थे. आगे चलकर साल 2018 में पृथ्वी ने अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को अंडर-19 चैम्पियन बनाया. उसी साल उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ राजकोट में टेस्ट डेब्यू किया और शतक जड़कर छा गए. इसके बाद उनकी तुलना सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग जैसे महान खिलाड़ियों से होने लगी.

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इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने तो पृथ्वी को 'अगले सच‍िन तेंदुलकर' के तौर पर एक वीडियो में भी नाम‍ित तक कर दिया. तब ऐसा लगने लगा था कि पृथ्वी इंटरनेशनल क्रिकेट में रनों का अंबार लगाएंगे. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. पृथ्वी ने भारतीय टीम के लिए अपना आखिरी मैच 25 जुलाई 2021 को कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ खेला. वो पृथ्वी का टी20 इंटरनेशनल में डेब्यू मुकाबला भी रहा, जिसमें वो खाता तक नहीं खोल पाए थे. उस मुकाबले के बाद उन्हें भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला. पृथ्वी के लिए टीम इंडिया तो अब दूर की बात रही, वो घरेलू क्रिकेट भी ठीक से नहीं खेल पा रहे.

अंडर-19 वर्ल्ड कप 2018 जीतने के बाद ट्रॉफी के साथ पृथ्वी शॉ, फोटो: (Getty Images)

रणजी ट्रॉफी के पिछले सीजन में पृथ्वी शॉ मुंबई की टीम से आउट कर दिए गए थे. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह उनकी खराब फिटनेस बनी. हालांकि पृथ्वी को मुश्ताक अली ट्रॉफी 2024-25 के लिए टीम में जगह मिली, लेकिन विजय हजारे ट्रॉफी 2024-25 के लिए उनका सेलेक्शन नहीं हुआ. यही नहीं आईपीएल 2025 का भी पृथ्वी हिस्सा नहीं बन पाए क्योंकि मेगा नीलामी में वो अनसोल्ड रहे थे.

पृथ्वी शॉ का विवादों से भी नाता जुड़ता रहा है. साल 2019 में डोपिंग के चलते भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) ने पृथ्वी पर 8 महीने का बैन लगा दिया था. पृथ्वी को लेकर इस तरह की भी खबरें भी सामने आईं कि उनका ड्रेसिंग रूम में व्यवहार बेहतर नहीं था. कोरोनाकाल के दौरान उनपर नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगा था क्योंकि वो बगैर ई-पास के छुट्टियां मनाने के लिए गोवा निकल पड़े थे. साल 2023 में पृथ्वी का सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर सपना गिल और उनके दोस्तों से झगड़ा हो गया था. यह मामला अदालत तक पहुंच गया था और अब भी पूरी तरह सुलझा नहीं है.

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भारतीय टीम के लिए पृथ्वी शॉ ने अब तक 5 टेस्ट, छह वनडे और एक टी20 मुकाबला खेला है. इस दौरान उन्होंने टेस्ट मैचों में 339 और वनडे इंटरनेशनल में 189 रन बनाए हैं. पृथ्वी कुछ समय पहले मुंबई टी20 लीग में नॉर्थ मुंबई पैंथर्स के लिए खेलते नजर आए थे. अब वो आगामी घरेलू सीजन की तैयारियों में जुटेंगे. वैसे भी पृथ्वी अगले घरेलू सीजन में मुंबई को छोड़कर किसी दूसरे राज्य संघ के लिए खेलना चाहते हैं, ताकि अपने क्रिकेट करियर को नया आयाम दे सकें. इसके लिए उन्होंने मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन एसोसिएशन (MCA) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) देने की गुजारिश की है. अब देखना होगा कि टीम बदलने पर पृथ्वी की किस्मत बदलती है या नहीं...

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