श्रेयस अय्यर को Spleen में लगी चोट, जानें कितनी खतरनाक और कैसे होता है इलाज

भारतीय क्रिकेटर श्रेयस अय्यर सिडनी में कैच लेते वक्त बुरी तरह गिरे और उनकी तिल्ली (Spleen) फट गई. बीसीसीआई ने इसकी पुष्टि की है. वह फिलहाल आईसीयू में हैं और डॉक्टर लगातार उनकी स्थिति पर नज़र रख रहे हैं. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो वह बिना सर्जरी के ठीक हो सकते हैं, लेकिन उन्हें करीब तीन महीने का आराम करना होगा.

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सिडनी वनडे में कैच लेने के दौरान चोटिल हुए थे श्रेयस अय्यर (Photo: BCCI) सिडनी वनडे में कैच लेने के दौरान चोटिल हुए थे श्रेयस अय्यर (Photo: BCCI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:34 AM IST

भारतीय बल्लेबाज श्रेयस अय्यर ने जब भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए सिडनी वनडे में वह शानदार कैच लिया, तो सबको लगा कि शायद उनकी पसलियों में हल्की चोट आई है. लेकिन बाद में पता चला कि मामला इससे कहीं ज़्यादा गंभीर है. उन्हें Spleen (पसलियों के नीचे का भाग) में चोट लगी है. बीसीसीआई (BCCI) ने पुष्टि की कि अय्यर को इंटरनल ब्लीडिंग भी हुई है और उनका इलाज जारी है.

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Spleen क्या होती है और उसका काम क्या है?

Spleen यानी तिल्ली एक मुलायम, मुट्ठी के आकार का अंग होता है, जो हमारे बाएं पसलियों के नीचे होता है.
इसका दो मुख्य काम हैं —

1. शरीर को संक्रमण से बचाना
2. खून को साफ़ करना, यानी पुराने या खराब लाल रक्त कोशिकाओं को हटाना

क्योंकि इसमें बहुत सारे रक्त वाहिकाए होती हैं, यह शरीर के सबसे नाज़ुक अंगों में से एक है. अगर किसी व्यक्ति को बाईं ओर ज़ोर से चोट लग जाए या वह ज़ोर से गिर जाए, तो तिल्ली फट सकती है और शरीर के अंदर खून बहना शुरू हो सकता है. इसे ही स्प्लेनिक लेसरेशन (Splenic Laceration) कहा जाता है.

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यह चोट कितनी गंभीर होती है?

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, तिल्ली की चोट हल्की भी हो सकती है और जानलेवा भी. यह इस बात पर निर्भर करता है कि फटाव कितना गहरा है और कितना खून बहा है.

* हल्की चोट में तिल्ली खुद-ब-खुद ठीक हो सकती है.
* गंभीर चोट में अंदरूनी रक्तस्राव (ब्लीडिंग) इतना बढ़ सकता है कि तुरंत सर्जरी करनी पड़ती है.

अगर फटाव गहरा नहीं है और खून बाहर नहीं निकल रहा, तो शरीर खुद इसे धीरे-धीरे ठीक कर सकता है. इसे नॉन-सर्जिकल ट्रीटमेंट कहा जाता है.

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डॉक्टर इलाज कैसे करते हैं?

हर तिल्ली की चोट का इलाज सर्जरी से नहीं किया जाता. अगर मरीज स्थिर है. यानी ब्लड प्रेशर और पल्स सामान्य हैं और ज़्यादा खून नहीं बहा है तो डॉक्टर उसे अस्पताल में निगरानी में रखते हैं. शुरुआती कुछ दिन आईसीयू (ICU) में निगरानी रखी जाती है. डॉक्टर बार-बार स्कैन और ब्लड टेस्ट करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ब्लीडिंग रुक रही है. अगर खून बहना बंद हो गया हो, तो शरीर खुद अंदर का खून सोख लेता है और तिल्ली ठीक होने लगती है. अगर ब्लीडिंग जारी रहे, तो डॉक्टर एम्बोलाइजेशन (Embolization) या ज़रूरत पड़ने पर सर्जरी (Surgery) करते हैं.

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रिकवरी में कितना समय लगेगा?

तिल्ली को पूरी तरह ठीक होने में लगभग 6 से 12 हफ़्ते लगते हैं. इस दौरान किसी भी तरह की भारी गतिविधि, गिरने, या टक्कर से सख्त परहेज़ किया जाता है, क्योंकि दोबारा चोट लगने पर हालत बिगड़ सकती है.

इसका मतलब है कि श्रेयस अय्यर लगभग 3 महीने तक क्रिकेट से दूर रहेंगे. जब डॉक्टर सुनिश्चित हो जाएंगे कि तिल्ली पूरी तरह ठीक हो चुकी है, तब वह धीरे-धीरे हल्के ट्रेनिंग से वापसी शुरू करेंगे.

तेज़ इलाज ने बचाई जान

अगर तिल्ली फट जाए और खून ज़्यादा बहने लगे, तो हालत कुछ ही मिनटों में गंभीर हो सकती है. श्रेयस की किस्मत अच्छी थी कि उन्हें तुरंत मेडिकल सहायता मिली, स्कैन किया गया और इलाज तुरंत शुरू हुआ. इससे बड़ी समस्या बनने से पहले ही स्थिति संभाल ली गई.

अब आगे क्या?

अच्छी बात यह है कि तिल्ली की चोट अगर हल्की हो, तो ज्यादातर लोग पूरी तरह ठीक हो जाते हैं. श्रेयस जैसे फिट खिलाड़ी के लिए डॉक्टर आशावादी हैं. वह फिलहाल सिडनी में डॉक्टरों की निगरानी में हैं, जहां रोज़ स्कैन और जांच हो रही है. जैसे ही हालत स्थिर होगी, उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी. किन आराम और निगरानी कुछ और हफ्तों तक जारी रहेगी.

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