खामोशी टूटी, बल्ले ने बोल दिया… क्या ईशान किशन को अब टीम इंडिया स्थायी तौर पर अपनाएगी?

ईशान किशन ने दो साल की खामोशी के बाद टीम इंडिया में वापसी की है. दिसंबर 2023 में निजी कारणों से ब्रेक लेने के बाद उनका सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट भी छिन गया था. इस दौरान उन्होंने घरेलू क्रिकेट में लगातार प्रदर्शन किया, विशेषकर सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करते हुए झारखंड को पहला खिताब दिलाया और टूर्नामेंट के सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बने.

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ईशान किशन की धमाकेदार वापसी. ईशान किशन की धमाकेदार वापसी.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST

दिसंबर… वही महीना, दो साल पहले इसी दिसंबर में ईशान किशन भारतीय टीम से बाहर हुए थे... और दो साल बाद, इसी दिसंबर में उन्होंने टीम इंडिया  में वापसी का दरवाजा फिर से खटखटाया नहीं, बल्कि जोर से खोल दिया. 

टी20 वर्ल्ड कप के लिए शनिवार को चुनी गई 15 सदस्यीय स्क्वॉड में विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन को शामिल किया गया है.

क्रिकेट में वापसी आसान नहीं होती. खासकर तब, जब आप कभी टीम के 'फर्स्ट चॉइस' रहे हों और फिर अचानक सिस्टम के हाशिए पर धकेल दिए गए हों.  ईशान किशन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. दिसंबर 2023 में उन्होंने निजी कारणों का हवाला देकर चयनकर्ताओं से ब्रेक मांगा. इसके बाद घटनाएं इतनी तेजी से बदलीं कि दो महीने में उनका सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट भी छिन गया. वही ईशान, जिसने एक साल पहले बांग्लादेश के खिलाफ वनडे क्रिकेट का सबसे तेज दोहरा शतक ठोका था, वही ईशान, जो ऋषभ पंत की गैरमौजूदगी में सफेद गेंद के क्रिकेट में भारत की पहली पसंद बन चुके थे.

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फिर आया सन्नाटा...कोई बयान नहीं, कोई सफाई नहीं. सिर्फ घरेलू क्रिकेट की लंबी, थकाऊ पिचें… और सवालों से भरा एक करियर.

दो साल तक ईशान किशन क्रिकेट के उस जंगल में रहे, जहां से बहुत कम खिलाड़ी सही सलामत लौट पाते हैं. बाहर से देखने वालों को लगा कि चयनकर्ता आगे बढ़ चुके हैं और ईशान पीछे छूट गए हैं. लेकिन इस खामोशी में एक खिलाड़ी खुद को फिर से गढ़ रहा था- तकनीक में नहीं, बल्कि सोच में.

दिसंबर 2025 में कहानी ने मोड़ लिया

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में ईशान किशन सिर्फ रन नहीं बना रहे थे, वे अपने भीतर के गुस्से, निराशा और सवालों का जवाब बल्ले से दे रहे थे. 197.32 के स्ट्राइक रेट से सबसे ज्यादा रन, झारखंड को पहला खिताब और एक कप्तान के रूप में साहसिक फैसले- यह सिर्फ टूर्नामेंट जीतना नहीं था, यह खुद को फिर से पहचानना था.

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ईशान की वापसी इसलिए खास नहीं थी कि उन्होंने रन बनाए, बल्कि इसलिए कि उन्होंने खुद को नहीं छोड़ा. उनके पुराने साथी और मार्गदर्शक ईशांक जग्गी कहते हैं कि ईशान अब पहले से ज्यादा परिपक्व हैं. उम्र के साथ नहीं, बल्कि चोटों, तिरस्कार और अकेलेपन के साथ आई परिपक्वता. जब दुनिया IPL की कमाई को लेकर सवाल उठा रही थी, तब ईशान ने अपने लिए चुनौती चुनी- 'अब सब मुझे लिख चुके हैं, अब मैं खुद को लिखूंगा.'

इस वापसी में मानसिक मजबूती सबसे बड़ा हथियार रही. असफलता से भागना नहीं, उससे आंख मिलाना. घरेलू क्रिकेट में लौटकर शतक लगाना, फिर हर फॉर्मैट में निरंतरता दिखाना- यह सब उस खिलाड़ी की कहानी है, जो टूटकर भी खड़ा रहना जानता है.

कप्तान के तौर पर ईशान ने झारखंड के खिलाड़ियों को सिर्फ रणनीति नहीं दी, उन्हें आजादी दी. डर के बिना खेलने की आजादी. '100 पर आउट हो जाओ, 120 पर आउट हो जाओ, फर्क नहीं पड़ता- हमें गेंदबाजों पर हावी होना है.' जब कप्तान ऐसा सोचता है, तो टीम भी वैसा ही खेलने लगती है.

ईशान किशन के करियर में यह सिर्फ एक वापसी नहीं है, यह एक जवाब है. सिस्टम को, चयनकर्ताओं को और शायद खुद को भी.

क्रिकेट अक्सर दूसरा मौका देता है, लेकिन तीसरा मौका कम ही मिलता है. ईशान किशन ने अपने दूसरे मौके को आखिरी की तरह जिया है. अब सवाल यह नहीं कि वे लौटे हैं या नहीं- सवाल यह है कि क्या टीम इंडिया उन्हें अब स्थायी तौर पर अपनाने को तैयार है?
 

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