ICC Runner and Time Out Rules Changes: मैक्सवेल की पारी से सबक लेगी ICC? वर्ल्ड कप के बाद बदल सकते हैं टाइम आउट और रनर के नियम

भारत की मेजबानी में खेले जा रहे वनडे वर्ल्ड कप 2023 में बुधवार (8 नवंबर) तक 40 मुकाबले हो चुके हैं. मगर इस दौरान दो ऐसे बड़े विवादास्पद नियम सामने आए हैं, जिन पर वर्ल्ड कप के बाद आईसीसी विचार कर सकता है. इनमें से एक नियम में सुधार तो दूसरा वापस लागू हो सकता है. आइए जानते हैं इन नियमों और विवादों के बारे में.

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चोट के बावजूद ग्लेन मैक्सवेल ने दोहरा शतक लगाकर ऑस्ट्रेलियाई टीम को जीत दिलाई. (@RCB) चोट के बावजूद ग्लेन मैक्सवेल ने दोहरा शतक लगाकर ऑस्ट्रेलियाई टीम को जीत दिलाई. (@RCB)

श्रीबाबू गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:35 AM IST

ICC Runner and Time Out Rules Changes: क्रिकेट एक ऐसा खेल है, जिसमें हर दिन कुछ रोमांच देखने को मिलता है. किसी भी मैच में किसी भी बॉल पर क्या हो जाए यह कोई नहीं जानता. मगर इस खेल में रोमांच के बीच कई मौकों पर इसके नियमों पर भी सवाल उठते रहे हैं. पिछला वनडे वनडे वर्ल्ड कप 2019 इंग्लैंड में खेला गया था.

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इसके फाइनल में इंग्लैंड टीम ने मैच और फिर सुपर ओवर टाई होने के बाद बाउंड्री काउंट नियम से न्यूजीलैंड को हराकर पहली बार खिताब जीता था. तब इस नियम की काफी आलोचना हुई थी. इसके परिणामस्वरूप आईसीसी ने उसी साल इस नियम को ही हटा दिया था.

बाउंड्री काउंट के बाद मांकड़िंग समेत कई नियम बदले

इसके बाद IPL में रोमांचक मैचों के बीच भारतीय स्टार स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने जोस बटलर को मांकड़िंग आउट किया था. इसके बाद फिर बहस शुरू हुई, तो आईसीसी ने यह शब्द ही हटा दिया और इस नियम में बदलाव करते हुए इसे रनआउट करार दिया. इसके साथ नोबॉल और सॉफ्ट सिग्नल समेत कई नियमों में बदलाव और सुधार किए गए.

मगर 2019 के बाद अब 2023 वर्ल्ड कप आ गया है और यह भारत की मेजबानी में रोमांचक मुकाबलों के साथ सेमीफाइनल में भी एंट्री करने जा रहा है. तीन टीमें भारत, साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी जगह पक्की कर ली है. चौथी टीम न्यूजीलैंड, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में से कोई एक हो सकती है. इन सबके बीच अब तक (8 नवंबर) हुए 40 मुकाबलों तक दो ऐसे विवाद हुए हैं, जिन्होंने आईसीसी को एक बार फिर दो बड़े नियमों पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया होगा.

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अब टाइम आउट और रनर के नियम पर छिड़ी बहस

यह नियम टाइम आउट और रनर को लेकर हैं. पहला टाइम आउट का विवाद 6 नवंबर को आया, जब श्रीलंकाई बल्लेबाज एंजेलो मैथ्यूज को बांग्लादेशी कप्तान शाकिब अल हसन की अपील के बाद टाइम आउट दिया गया. दरअसल, वर्ल्ड कप के नियमानुसार विकेट या किसी बल्लेबाज के रिटायरमेंट के बाद 2 मिनट के अंदर नए या अन्य बल्लेबाज को अगली बॉल खेलने के लिए तैयार रहना पड़ता है.

श्रीलंकाई बल्लेबाज मैथ्यूज 2 मिनट के अंदर पिच पर तो आ गए थे, लेकिन उनके हेलमेट का स्ट्रिप टूट गया था. इस कारण वो अगली बॉल खेलने के लिए तय समय में तैयार नहीं रह सके और शाकिब की अपील के बाद फील्ड अंपायर ने मैथ्यूज को टाइम आउट करार दिया. मैथ्यूज इस तरह आउट होने वाले इंटरनेशनल क्रिकेट में पहले खिलाड़ी बन गए हैं.

इस मामले के बाद कुछ फैन्स ने शाकिब की खेल भावना पर सवाल उठाए. जबकि कुछ ने कहा कि हेलमेट की स्ट्रिप टूटने के बाद मैथ्यूज को सबसे पहले अंपायर से बात करनी चाहिए थे फिर दूसरा हेलमेट मंगाने का इशारा करते. मगर इस बीच कुछ फैन्स ऐसे भी रहे, जिन्होंने इस मामले में अंपायर की अवेयरनेस और आईसीसी के नियम पर ही सवाल उठा दिए. इस विवाद के बाद कमेंटेटर समेत कई दिग्गजों ने आईसीसी से इस मामले में नियम में सुधार करने की अपील भी की. 

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लंगड़ाते हुए चोटिल मैक्सवेल ने खेली दोहरी शतकीय पारी

दूसरा मामला रनर का है. यह विवाद मंगलवार (7 नवंबर) को हुए ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के बीच मुकाबले के दौरान सामने आया. इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने अफगानिस्तान को 3 विकेट से हराया और सेमीफाइनल में जगह पक्की कर ली. मगर कंगारू टीम के लिए यह जीत आसान नहीं रही. उसे अपने एक स्टार प्लेयर का करियर दांव पर लगाना पड़ गया.

दरअसल, 292 रनों के टारगेट का पीछा करते हुए कंगारू टीम ने 91 रनों पर 7 विकेट गंवा दिए थे. तब छठे नंबर पर उतरे ग्लेन मैक्सवेल ने नाबाद दोहरा शतक लगाकर पूरी बाजी ही पलट दी. मैक्सवेल को 2-3 बड़े जीवनदान भी मिले. इसका उन्होंने फायदा उठाया और तूफानी पारी खेलकर अफगानिस्तान के जबड़े से जीत छीन लाए. मैक्सवेल ने कप्तान पैट कमिंस के साथ मिलकर 8वें विकेट के लिए 170 गेंदों पर 202 रनों की नाबाद पार्टनरशिप की.

मगर मैक्सवेल की यह पारी आसान नहीं थी. इस पारी के दौरान मैक्सवेल ने पीठ में भी दर्द की शिकायत की. साथ ही हैमस्ट्रिंग की गंभीर चोट भी लगी. मगर लंगड़ाते हुए मैक्सवेल ने पूरा मैच खेला. एक समय ऐसा भी आया जब मैक्सवेल खड़े भी नहीं हो पा रहे थे. तब फिजियो फील्ड पर आए और मैक्सवेल का ट्रिटमेंट किया.

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दर्द से कराहते हुए खेले मैक्सवेल, मैदान से नहीं हटे

अंपायर ने मैक्सवेल को रिटायर्ड हर्ट होने के लिए भी कहा, लेकिन मैच जीतना बेहद जरूरी था. ऐसे में वो मैदान से बाहर नहीं गए. मैक्सवेल ने जज्बा दिखाया और मैदान पर डटे रहे. आखिर उन्होंने अपनी टीम को दमदार जीत दिलाई और सेमीफाइनल में पहुंचाया.

हालांकि इस दौरान फैन्स ने यह सवाल जरूर उठाए कि आखिरी मैक्सवेल को 'रनर' की सुविधा क्यों उपलब्ध नहीं कराई गई. मगर उनके इस सवाल का जवाब कमेंटेटर ने ही दे दिया था. उन्होंने बताया था कि रनर के नियम को आईसीसी ने पहले ही हटा दिया है. ऐसे में एक बार फिर आईसीसी और उसके नियम फैन्स की रडार पर आ गए. फैन्स के साथ दिग्गजों ने भी आईसीसी को इस रनर के नियम पर फिर से विचार करने की अपील कर दी.

आइए बताते हैं कैसे क्रिकेट से हटाया 'रनर' का नियम

दरअसल, जब 1744 में क्रिकेट के नियम बने थे, तब रनर का कोई प्रावधान नहीं था. मगर बाद में इस नियम को लागू किया गया. मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) के नियम नंबर-25 में इसका विस्‍तार से जिक्र किया गया था. इसमें बताया गया था कि जब कोई बल्लेबाज घायल होता है और रन दौड़ने में असमर्थ रहता है, तो उसी की टीम की प्लेइंग-11 में से कोई प्लेयर बतौर रनर आ सकता है.

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इस नियम के तहत रनर को भी बल्लेबाज की तरह ही पूरी किट पहननी होती थी और हाथ में बैट भी लिए रहना होता था. रनर की मौजूदगी में बैटिंग करने वाला प्लेयर रन नहीं दौड़ता था. उसके लिए बतौर रनर मौजूद प्लेयर ही रन दौड़ता था.

हालांकि क्रिकेट जगत में कई प्लेयर इस नियम का गलत इस्तेमाल करने लगे थे. इसमें प्रमुख नाम पाकिस्‍तान के सईद अनवर और भारत के नवजोत सिद्धू का आता है. पूर्व भारतीय कप्‍तान मोहम्‍मद अजहरुद्दीन ने एक बार मजाकिया अंदाज में कहा था कि सिद्धू जैसे ही 90 रन पर पहुंचते थे, तुरंत अपना पैर पकड़ लेते थे, ऐसे में उनके लिए रनर को रेडी कर दिया जाता था. जबकि उसी कार्यक्रम में मौजूद पाकिस्‍तान के वसीम अकरम ने भी कहा था कि क्रिकेट में रैफरी सईद अनवर की वजह से ही आए. वो हर 100 रन के बाद पैर पकड़कर बैठ जाता था. हर रैफरी पहले ही कप्‍तान से कह देते था कि सईद अनवर को रनर नहीं मिलेगा.

गावस्कर ने की थी 'रनर' नियम हटाने की आलोचना

इन सब विवादों के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने लंबे विचार-विमर्श के बाद 2011 में 'रनर के नियम' को ही इंटरनेशनल क्रिकेट से खत्‍म कर दिया था. हालांकि यह घरेलू क्रिकेट में बदस्तूर जारी है. इसके बाद से इंटरनेशनल क्रिकेट में यदि कोई बल्लेबाज चोटिल होता है, तो उसे रिटायर्ट हर्ट ही होना पड़ता है. यही कारण है कि मैक्सवेल को रनर नहीं दिया गया.

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जब ICC ने रनर का नियम खत्म किया था, तब भारतीय लीजेंड सुनील गावस्कर ने भी इसकी निंदा की थी. उन्होंने एक इंटरव्यू में कड़े शब्दों में कहा था, 'मैं यह भी सलाह देना चाहूंगा कि गेंदबाजों के लिए बाउंड्री पर पानी पीने की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए. वो एक ओवर डालते हैं और बाउंड्री पर जाते हैं, जहां एनर्जी ड्रिंक उनका इंतजार कर रही होती है.'

रनर का नियम क्यों जरूरी है?

मैक्सवेल की पारी के बाद मोहम्मद कैफ समेत कई दिग्गजों और फैन्स ने भी यह माना है कि रनर का नियम लाना बेहद जरूरी है. चाहें उसमें काफी बदलाव करके ही क्यों ना लाया जाए. रनर का नियम नहीं होने से चोट के कारण खिलाड़ियों का करियर भी खतरे में पड़ सकता है. अफगानिस्तान के खिलाफ 7 विकेट के बाद ऑस्ट्रेलिया पर हार का खतरा मंडरा रहा था. ऐसे में मैक्सवेल ने रिटायर्ट हर्ट होने के बारे में नहीं सोचा.

अब आप समझ सकते हैं कि इस जुनूनी पारी में यदि मैक्सवेल को गंभीर चोट लग जाती तो उनका करियर ही खतरे में पड़ जाता. यदि रनर का नियम होता, तो शायद मैक्सवेल को काफी राहत मिल सकती थी. ऐसे में दिग्गजों का मानना है कि आईसीसी को इस नियम के बारे में जरूर सोचना होगा. बता दें कि अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में ग्लेन मैक्सवेल ने 128 गेंदों पर 201 रनों की नाबाद पारी खेली. उन्होंने अपनी पारी में 10 छक्के और 21 चौके जमाए.

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