डीन जोन्स: क्रिकेट का प्रोफेसर, चेन्नई में उल्टी करते हुए टेस्ट टाई करवाया और अस्पताल चला गया

डीन जोन्स की बल्लेबाजी शुरुआत से ही बिल्कुल अलग रही. मॉर्डन डे क्रिकेट में कंगारू बल्लेबाजों को ही 50 ओवर के गेम को बदलने का श्रेय जाता है, डीन जोन्स उसकी शुरुआत करने वाले खिलाड़ी थे.

Advertisement
ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज डीन जोन्स (बीच में) फाइल फोटो: PTI ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज डीन जोन्स (बीच में) फाइल फोटो: PTI

मोहित ग्रोवर

  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:17 AM IST
  • ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज डीन जोन्स का निधन
  • 24 सितंबर को मुंबई में ली अंतिम सांस
  • चेन्नई में खेली 210 रनों की यादगार पारी

1986...यही साल था जब ऑस्ट्रेलिया की टीम न्यूज़ीलैंड के हाथों टेस्ट सीरीज़ हार कर भारत आई थी. बॉब सिम्पसन कोच, एलन बॉर्डर कप्तान और चेन्नई में तीन टेस्ट मैच की सीरीज़ का पहला मैच. एशिया से बाहर की किसी भी टीम के लिए चेन्नई में खेलना काफी मुश्किल होता है क्योंकि तापमान 40 के आसपास रहता है और पांच दिन का टेस्ट खेलना आसान नहीं होता है. 

चेन्नई टेस्ट के पहले दिन जब टॉस के बाद ऑस्ट्रेलिया को पहले बल्लेबाजी मिली, तब एलन बॉर्डर ने एक लड़के को कहा कि वो अब अगले दो साल के लिए टेस्ट में नंबर तीन पर खेलेगा. नाम था डीन जोन्स. अभी दो साल पहले ही डेब्यू हुआ था और टीम में जगह कम ही मिलती थी.

मैच शुरू हुआ.. चेन्नई की धूप और पारा 40 के पार. कंगारू बल्लेबाजों के लिए खेलना मुश्किल हो रहा था. 48 रन पर ही पहला विकेट गिर गया और डीन जोन्स बल्लेबाजी करने आए. डीसी बून के साथ पार्टनरशिप जमी और जमती ही चली गई. सामने कपिल देव, चेतन शर्मा, रवि शास्त्री जैसे गेंदबाज थे.

जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया तो बल्लेबाजी जमती गई और डीन जोन्स ने खूंटा गाढ़ दिया. लेकिन ज्यादा गर्मी की वजह से उन्हें बार-बार उल्टी हो रही थी और एक-दो बार तो पिच पर ही उल्टी कर दी. कई साल बाद डीन जोन्स ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो तब रिटायर होकर वापस ड्रेसिंग रूम में आना चाहते थे, लेकिन एलन बॉर्डर ने कुछ ऐसा कहा कि वो खेलने लग गए.

बस फिर क्या..देखते ही देखते डीन जोन्स ने 210 रन बना दिए. कई बार उल्टी की, खेल रुकवाया, कॉफी पी.. लेकिन रन बनाते गए. ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में पहाड़ सा स्कोर बनाया और अंत में मैच टाई हो गया. जो इतिहास बना. मैच खत्म होने के बाद डीन जोन्स की हालत काफी खराब हो गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया गया.

Advertisement
चेन्नई की उस यादगार पारी की तस्वीर डीन जोन्स ने हाल ही में साझा की थी.


इस एक पारी ने डीन जोन्स के करियर को हमेशा के लिए बदल दिया. 24 सितंबर 2020 को जब डीन जोन्स ने मुंबई में अंतिम सांस ली, तो पूरे क्रिकेट जगत को सबसे पहले इसी पारी की याद आई. वो इसलिए भी क्योंकि कुछ ही दिन पहले जोन्स ने इस पारी के बारे में ट्वीट करते हुए लिखा था कि मेरी जिंदगी बदलने वाला एक दिन. 

वो बल्लेबाज जिसने 50 ओवर में मारना सिखाया
डीन जोन्स की बल्लेबाजी शुरुआत से ही बिल्कुल अलग रही. मॉर्डन डे क्रिकेट में कंगारू बल्लेबाजों को ही 50 ओवर के गेम को बदलने का श्रेय जाता है, डीन जोन्स उसकी शुरुआत करने वाले खिलाड़ी थे. जो शुरुआत से ही गेंदबाज पर हमला करते थे. ताकतवर चौके और लंबे छक्के. 

वनडे क्रिकेट में डीन जोन्स का रिकॉर्ड भी शानदार रहा है. 164 मैच में 44.61 की औसत से 6068 रन और स्ट्राइक रेट 70 से ऊपर. और 1984 से 1994 के वक्त के क्रिकेट के हिसाब से ये बेहद शानदार है, आज के क्रिकेट में भी 40 से ऊपर के औसत को शानदार ही कहा जा सकता है. 

Advertisement
आईसीसी ने भी किया डीन जोन्स को याद.



अपने ही देश के खिलाफ जड़ दिया था शतक
ऐसा कम ही होता है जब आप अपने ही देश के खिलाफ खेलें. डीन जोन्स ने कुछ ऐसा ही किया था. दरअसल, 1995 में वर्ल्ड इलेवन और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक मैच हुआ. इसमें डीन जोन्स वर्ल्ड इलेवन की ओर से खेले और अपने ही देश की टीम के खिलाफ शतक जड़ दिया. हालांकि, उनकी टीम हार गई थी लेकिन ये भी एक इतिहास रहा. 

क्रिकेट का असली प्रोफेसर..
डीन जोन्स क्रिकेट से अलविदा लेने के बाद भी खेल के साथ जुड़े रहे. उन्होंने कमेंट्री करने शुरू किया और एनर्जी उनकी ताकत बनी रही. डीन जोन्स को प्रोफेसर जोन्स भी कहा जाता था. वो इसलिए क्योंकि एक तो उन्हें क्रिकेट से प्यार था और साथ ही उनके पास कई थ्योरी होती थी. यानी हर इनिंग, हर मैच और हर खिलाड़ी के लिए एक सोच, एक प्लान जो कई बार सच साबित होता था. क्रिकेट के इसी ज्ञान के लिए ही वो क्रिकेटप्रेमियों के लिए प्रोफेसर बन गए.

फोटो: ICC


अलविदा प्रोफेसर.

 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement