नई दिल्ली की बुधवार शाम, 7- लोक कल्याण मार्ग पर उस दिन हवा में सिर्फ एक एहसास तैर रहा था- विजय का, गर्व का और विश्वास का. आईसीसी महिला वर्ल्ड कप 2025 की विजेता भारतीय टीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंची थी. पीएम हाउस का कमरा खिलखिलाहटों और तालियों से गूंज रहा था.
... लेकिन उसी समूह में एक चेहरा था जो शांत था, संयमित था. बात हो रही है दीप्ति शर्मा की... वो सिर्फ मैदान पर नहीं, जिंदगी में भी ‘ऑलराउंडर’ हैं- खिलाड़ी भी, पुलिस अधिकारी भी और सबसे बढ़कर एक ऐसी इंसान जो अपनी आस्था से ऊर्जा पाती हैं.
जब प्रधानमंत्री ने मुस्कुराते हुए दीप्ति की ओर मुड़कर कहा, 'तो DSP आज आप लोगों ने क्या किया..? कंट्रोल-कंट्रोल करती हैं सबको... तो पल भर में माहौल हल्का हो गया. दीप्ति ने झट से जवाब दिया, 'सर, आज तो बस आपसे मिलने का इंतजार था.'
2017 की याद ताजा करते हुए 28 साल की दीप्ति बोलीं, 'तब आपने कहा था कि सच्चा खिलाड़ी वही होता है जो हार से सीखकर आगे बढ़ना जानता है. उसी दिन समझ आ गया था कि गिरना भी खेल का हिस्सा है, लेकिन रुकना नहीं.' उन्होंने बताया कि पीएम के शब्द आज भी उन्हें प्रेरित करते हैं और वो अक्सर उनके भाषण सुनती हैं.
इसके बाद बातचीत एक दिलचस्प मोड़ पर पहुंची. प्रधानमंत्री ने दीप्ति के हनुमान जी टैटू की ओर इशारा करते हुए पूछा, 'यह टैटू आपको क्या ताकत देता है?' दीप्ति ने मुस्कुराते हुए कहा, 'मुझे खुद से ज्यादा भरोसा हनुमान जी पर है. जब मुश्किल आती है, उनका नाम लेने से हिम्मत मिलती है.'
मोदी जी ने कहा, 'मैंने देखा है कि आप अपने इंस्टाग्राम पर ‘जय श्री राम’ भी लिखती हैं.' दीप्ति ने सिर झुकाकर कहा, 'जी सर.' प्रधानमंत्री बोले, 'श्रद्धा जीवन में बहुत काम करती है.'
बात जब मैदान की आई, तो मोदी जी ने मजाक में पूछा, 'मैदान में आपकी बहुत दादागीरी चलती है... इसमें कितना दम है. दीप्ति हंस पड़ीं, 'ऐसा कुछ नहीं सर, लेकिन मेरे थ्रो से थोड़ी डर जरूर रहती है, साथी खिलाड़ी कहते हैं थोड़ा धीरे फेंका करो.'
इस वर्ल्ड कप में दीप्ति के प्रदर्शन की बात करें, तो उन्होंने सबसे ज्यादा 22 विकेट निकाले और 'प्लेयर ऑफ द सीरीज' रही. फाइनल में उन्होंने साउथ अफ्रीका के 5 विकेट हासिल किए.
उस दिन की बातचीत में न कोई औपचारिकता थी, न कोई प्रोटोकॉल- बस एक गहरी मानवीय जुड़ाव की झलक थी. एक तरफ देश का प्रधानमंत्री, दूसरी तरफ वो खिलाड़ी जिसने हर मुश्किल के सामने मुस्कराना सीखा. लोक कल्याण मार्ग की वह शाम सिर्फ एक मुलाकात नहीं थी.. वह एक संदेश थी कि जहां मेहनत, आस्था और शांति साथ चलें, वहां जीत तय होती है.
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