वो 24 अगस्त की रात थी. आधी रात के 2 बज रहे थे. एक तेज रफ्तार लाल रंग की डस्टर कार फरीदाबाद के एक टोल नाके के बैरियर को तोड़ती हुई पूरी रफ्तार से आगे निकल जाती है और उसके पीछे-पीछे सफेद रंग की ये स्विफ्ट कार भी कुछ वैसे ही टोल नाके को क्रॉस कर जाती है. तब तो टोल पर तैनात कर्मचारियों को ये मामला पूरी तरह समझ में नहीं आता. उन्हें बात मारपीट या फिर दुश्मनी जैसी लगती है. लेकिन अगले चंद घंटों के बाद जो कुछ होता है, उसकी कहानी जब 5 दिनों के बाद सामने आती है, तो वो टोल नाके पर तैनात मुलाजिमों के साथ-साथ पूरे देश को हैरान कर देती है.