हाल ही में 4 सितंबर 2025 को पाकिस्तानी गायिका कुरतुलैन बलोच पर दियोसाई नेशनल पार्क, गिलगित-बाल्टिस्तान (पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर) में एक भूरे भालू ने हमला किया. वह बच गईं, लेकिन यह घटना हिमालय में बढ़ते मानव-भालू टकराव को दर्शाती है. हिमालयी भूरे भालू और इंसानों के बीच टकराव बढ़ रहा है.
कुरतुलैन बलोच पर हमला
4 सितंबर 2025 की रात को कुरतुलैन बलोच, जो ‘वो हमसफर था’ गाने के लिए मशहूर हैं, दियोसाई नेशनल पार्क के बारा पानी इलाके में कैंपिंग कर रही थीं. वह अपने तंबू में सो रही थीं, तभी एक हिमालयी भूरे भालू ने उन पर हमला कर दिया.
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उनके दोनों हाथों पर चोटें आईं, लेकिन उनकी टीम और CDRS (कॉम्प्रिहेंसिव डिजास्टर रिस्पॉन्स सर्विसेज) ने तुरंत भालू को भगाया. कुरतुलैन को स्कर्दू के अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि वह खतरे से बाहर हैं. इस घटना के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार ने पार्क में रात के कैंपिंग पर रोक लगा दी.
हिमालयी भूरे भालू: एक रहस्यमयी प्रजाति
हिमालयी भूरे भालू (Ursus arctos isabellinus) हिमालय का एक खास जानवर है. यह यूरोप और उत्तरी अमेरिका के भूरे भालुओं का चचेरा भाई है, लेकिन हिमालय में इसके बारे में कम जानकारी है. यह भालू ऊंचे पहाड़ों (2,700-3,000 मीटर) और अल्पाइन क्षेत्रों में रहता है. यह हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रजाति है, जो पर्यावरण की सेहत को दर्शाता है. लेकिन जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियों ने इसकी आबादी को खतरे में डाल दिया है.
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क्यों बढ़ रहा है टकराव?
हिमालय में मानव-भालू टकराव के कई कारण हैं...
2022 की एक स्टडी में लाहौल घाटी के 398 लोगों से सवाल पूछे गए. पता चला कि गर्मियों में जंगल के पास और 2700-3000 मीटर ऊंचाई पर टकराव ज्यादा होता है. भालुओं को मानव भोजन और पशुपालन की आदत पड़ रही है, जिससे वे गांवों में घुसते हैं.
दियोसाई नेशनल पार्क: भालुओं का घर
दियोसाई नेशनल पार्क, जिसे ‘जायंट्स की भूमि’ कहा जाता है, 3000 वर्ग किमी में फैला है. 4114 मीटर की ऊंचाई पर है. यह हिमालयी भूरे भालू, हिम तेंदुआ और मार्मोट जैसे जानवरों का घर है. लेकिन बढ़ते पर्यटन ने भालुओं के लिए खतरा बढ़ा दिया है. पर्यटक कैंपिंग साइट्स पर खाना छोड़ जाते हैं, जो भालुओं को आकर्षित करता है. 1993 में इसे नेशनल पार्क बनाया गया ताकि भालुओं को बचाया जा सके, लेकिन उनकी संख्या सिर्फ 75-80 है.
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समाधान
वैज्ञानिकों ने टकराव कम करने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं...
कुरतुलैन बलोच का हमला हमें सिखाता है कि हिमालयी भूरे भालू और इंसानों के बीच टकराव एक गंभीर समस्या है. जलवायु परिवर्तन, कचरा और हैबिटेट का नुकसान इसकी वजह हैं. दियोसाई जैसे पार्कों में पर्यटकों को सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे सुरक्षित कैंपिंग और कचरा न छोड़ना.
आजतक साइंस डेस्क