आग इंसान की सबसे पुरानी दोस्त है. लाखों साल पहले हमारे पूर्वजों ने आग से सुरक्षा पाई. खाना पकाया. भोजन बचाकर रखा. रात में आग के इर्द-गिर्द बैठकर कहानियां सुनाईं. आज भी जन्मदिन के केक पर मोमबत्ती बुझाना या पूजा में दीया जलाना – आग हमारे जीवन का हिस्सा है. जंगल की आग कभी तबाही मचाती है, तो कभी नई हरियाली लाती है.
लेकिन सवाल यह है – आग असल में है क्या? हम इसे रोज देखते हैं, लेकिन इसका सही जवाब बहुत कम लोगों को पता है.
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आग लगाने के लिए तीन चीजें जरूरी हैं – इसे आग का त्रिकोण कहते हैं...
अगर इनमें से एक भी चीज हटा दें, तो आग नहीं जल सकती. जंगल की आग बुझाने के लिए पानी डालते हैं – पानी भाप बनकर ऑक्सीजन को दूर कर देता है. गर्मी भी कम कर देता है.
आग जलने पर मुख्य रूप से दो चीजें निकलती हैं...
जब हवा में ऑक्सीजन कम और ईंधन ज्यादा होता है (जैसे जंगल की आग में), तो काला धुआं और काजल (सूट) बनता है. ये छोटे-छोटे कार्बन के कण होते हैं जो बहुत गर्म होकर पीला-नारंगी चमकते हैं. यही चमकती हुई काजल की कण ही लौ (फ्लेम) दिखाते हैं.
लौ ऊपर की ओर इसलिए उठती है क्योंकि गर्म गैसें हल्की होकर ऊपर जाती हैं. लौ ऊंचाई पर भी होती है, लेकिन वहां काजल ठंडा हो जाता है. हमें दिखाई नहीं देता (इन्फ्रारेड लाइट बन जाती है).
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तो आग कोई पदार्थ (मैटर) नहीं है. आग एक प्रक्रिया है – जिसे दहन (कंबशन) कहते हैं. यह एक रासायनिक प्रतिक्रिया है जिसमें ईंधन और ऑक्सीजन मिलकर ऊर्जा, गैस और काजल बनाते हैं.
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ब्रह्मांड में ट्रिलियन गैलेक्सी हैं. अरबों तारे हैं – सब जगह गैस और प्लाज्मा है. लेकिन ऑक्सीजन से जलने वाली चमकदार लौ वाली आग सिर्फ पृथ्वी पर ही संभव है. क्यों? क्योंकि स्थिर ऑक्सीजन जीवन का उप-उत्पाद है. पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण से ऑक्सीजन बनाते हैं. और वैज्ञानिकों के अनुसार, अभी तक जीवन सिर्फ पृथ्वी पर ही पाया गया है.
इसलिए आग न सिर्फ हमारी रोजमर्रा की चीज है, बल्कि पृथ्वी के जीवन का अनोखा निशान भी है. अगली बार जब आप मोमबत्ती जलाएं या कैम्प फायर के पास बैठें, तो सोचिए – आप ब्रह्मांड की सबसे दुर्लभ प्रक्रिया को देख रहे हैं.
ऋचीक मिश्रा