विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक फंगस के अंदर रहस्यमसी वायरस के होने की संभावना जताई है. नई स्टडी से पता चला है कि इस वायरस को निशाना बनाकर घातक फंगल इंफेक्शन का इलाज किया जा सकता है. यह वायरस जिसका नाम A. fumigatus Polymycovirus-1 (AfuPmV-1M) है. अब स्टडी ने खुलासा किया कि यह फंगस Aspergillus fumigatus में हो सकता है. यह इंसानों के लिए और खतरनाक हो जाता है.
Aspergillus fumigatus एक सामान्य फंगस है, जो मिट्टी, सड़कों और हवा में मौजूद होता है. इसके बीजाणु (स्पोर्स) हवा के जरिए कहीं भी पहुंच सकते हैं. ज्यादातर लोग रोजाना इन स्पोर्स को सांस लेते हैं, लेकिन स्वस्थ इंसानों में कोई समस्या नहीं होती. लेकिन कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग, जैसे कैंसर या एड्स के मरीज या फेफड़ों के रोगी इसके शिकार हो जाते हैं.
यह भी पढ़ें: लाल किले की दीवारें काली क्यों हो रही हैं? जहरीली हवा है कारण, नई स्टडी से हुआ खुलासा
इंफेक्शन के प्रकार: यह फेफड़ों में शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म इंफेक्शन पैदा कर सकता है. सबसे घातक इनवेसिव एस्परगिलोसिस है, जो फेफड़ों से फैलकर शरीर के अन्य हिस्सों (जैसे मस्तिष्क, किडनी) में पहुंच जाता है. दुनिया भर में हर साल 6.55 मिलियन इनवेसिव फंगल इंफेक्शन होते हैं, जिनमें से 2.1 मिलियन इनवेसिव एस्परगिलोसिस और 1.8 मिलियन क्रॉनिक लंग इंफेक्शन के मामले हैं.
मृत्यु दरः इनवेसिव इंफेक्शन की मौत की दर 30% से 80% तक है. हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरूसलम की पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर मारिना कैंपोस रोचा ने बताया कि यह फंगस फेफड़ों में घुसकर इम्यून सिस्टम को धोखा देता है. यह खासकर अस्पतालों में वेंटिलेटर पर मरीजों के लिए जानलेवा है.
यह वायरस फंगस के अंदर छिपा होता है, जैसे रूसी नेस्टिंग डॉल (मटृश्का) में एक गुड़िया के अंदर दूसरी. स्टडी 14 अगस्त 2025 को 'नेचर माइक्रोबायोलॉजी' जर्नल में प्रकाशित हुई. इसमें चूहों पर प्रयोग किया गया. फंगस को एक ऐसे मरीज के फेफड़े से लिया गया था, जो एस्परगिलोसिस से मर चुका था.
वायरस का नाम और प्रकार: AfuPmV-1M एक डबल-स्ट्रैंडेड RNA वायरस है, जो Polymycoviridae परिवार से है. यह फंगस को संक्रमित करता है, लेकिन इंसानों या चूहों को सीधे नुकसान नहीं पहुंचा सकता, क्योंकि इसके लिए विशिष्ट रिसेप्टर्स और प्रोटीन चाहिए, जो स्तनधारियों में नहीं होते. रोचा ने कहा कि यह वायरस सिर्फ Aspergillus fumigatus को संक्रमित कर सकता है, अन्य फंगस को नहीं.
वायरस कैसे फंगस को मजबूत बनाता है?: स्टडी से पता चला कि वायरस फंगस को तनाव (स्ट्रेस) सहने में मदद करता है. उदाहरण...
यह रूसी नेस्टिंग इसलिए कहा जाता है क्योंकि वायरस फंगस के अंदर छिपकर इसे सुपर फंगस बना देता है.
यह भी पढ़ें: हिमालय पार कर तिब्बत पहुंच गया मॉनसून... क्या आने वाली है बड़ी मुसीबत?
शोधकर्ताओं ने चूहों को वायरस-संक्रमित फंगस से संक्रमित किया. फिर, एंटीवायरल दवाओं (जैसे रेमेडिसविर जैसे) दीं. नतीजे आश्चर्यजनक...
यह स्टडी 2020 की एक पुरानी स्टडी से अलग है, जिसमें वायरस हटाने से फंगस कमजोर हो गया था. रोचा ने कहा कि विभिन्न तरीकों के कारण अंतर हो सकता है. मैनचेस्टर फंगल इंफेक्शन ग्रुप के नॉर्मन वैन राइन ने इसे नया और महत्वपूर्ण बताया, जो अन्य रोगाणुओं पर लागू हो सकता है.
स्टडी से सुझाव मिला कि एंटीवायरल दवाएं फंगल इंफेक्शन का नया इलाज हो सकती हैं. वायरस फंगस को मजबूत बनाता है, इसलिए इसे कमजोर करने से फंगस आसानी से मारा जा सकता है. रोचा का मानना है कि अन्य फंगल रोगाणु (जैसे कैंडिडा या क्रिप्टोकोकस) में भी ऐसे वायरस हो सकते हैं.
उनकी टीम संक्रमित और गैर-संक्रमित फंगस के संक्रमण तंत्र की जांच कर रही है. यह स्टडी मॉलिक्यूलर लेवल पर प्रक्रिया समझने का पहला कदम है. रोचा ने कहा कि हमारा लक्ष्य वायरस कैसे फंगस को प्रभावित करता है, इसका पूरा विवरण देना है.
यह स्टडी दिखाती है कि फंगस के अंदर छिपे वायरस इंफेक्शन को और घातक बना सकते हैं. लेकिन अच्छी खबर यह है कि वायरस को निशाना बनाकर इलाज संभव है. WHO की चेतावनी के अनुसार फंगल इंफेक्शन बढ़ रहे हैं, इसलिए ऐसी खोजें जीवन बचा सकती हैं.
आजतक साइंस डेस्क