लिथुआनिया की एक 29 साल की महिला की कहानी ने मेडिकल दुनिया में हलचल मचा दी है. ये महिला अपने पार्टनर के साथ बच्चा पैदा करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कई सालों तक वो गर्भवती नहीं हो सकी. दो बार IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) की कोशिश भी नाकाम रही.
शुरू में डॉक्टरों को कोई कारण समझ नहीं आया, लेकिन बाद में पता चला कि इस महिला को ह्यूमन सीमिनल प्लाज्मा एलर्जी (HSP) है. यानी उनके पार्टनर के वीर्य (सीमेन) से एलर्जी. ये एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है, जिसके दुनिया भर में सिर्फ 80 मामले दर्ज किए गए हैं.
आइए, समझते हैं कि ये एलर्जी क्या है? कैसे इसने महिला की प्रेगनेंसी को प्रभावित किया? इसके पीछे का विज्ञान क्या कहता है?
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मामला क्या है?
लिथुआनिया की इस 29 साल की महिला को कई सालों तक बच्चा पैदा करने में दिक्कत हो रही थी. वो अपने पार्टनर के साथ गर्भधारण की कोशिश कर रही थी, लेकिन नाकाम रही. इसके बाद उन्होंने IVF की मदद ली, जिसमें भ्रूण (embryo) को लैब में तैयार करके गर्भाशय में डाला जाता है. लेकिन दो बार IVF भी फेल हो गया. गायनोकोलॉजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) ने जांच की, लेकिन कोई साफ कारण नहीं मिला.
महिला को पहले से अस्थमा और एलर्जिक राइनाइटिस (नाक की एलर्जी) थी, जो धूल, बिल्ली के बाल और मोल्ड जैसे चीजों से बढ़ती थी. इसलिए, उन्होंने सोचा कि शायद उनकी एलर्जी उनकी प्रेगनेंसी को प्रभावित कर रही हो. वो एक एलर्जी स्पेशलिस्ट के पास गईं, जहां उनकी जिंदगी का एक अनोखा राज खुला.
जांच में क्या पता चला?
एलर्जी स्पेशलिस्ट ने कई टेस्ट किए. कुछ चौंकाने वाले नतीजे सामने आए...
खून में इओसिनोफिल्स ज्यादा: खून की जांच में पता चला कि महिला के खून में इओसिनोफिल्स (eosinophils) नाम के सफेद रक्त कोशिकाएं सामान्य से ज्यादा थीं. ये कोशिकाएं शरीर को एलर्जी से बचाने का काम करती हैं. नाक की जांच में भी इओसिनोफिल्स 29% पाए गए (सामान्य: 0-5%).
कई चीजों से एलर्जी: स्किन प्रिक टेस्ट (जिसमें त्वचा पर छोटा सा टेस्ट करके एलर्जी चेक की जाती है) से पता चला कि महिला को धूल, माइट्स, घास और कुत्तों के एलर्जन्स से एलर्जी है. खास तौर पर, उन्हें Can f 5 (Canis familiaris allergen 5) नाम के प्रोटीन से बहुत ज्यादा एलर्जी थी. ये प्रोटीन कुत्तों के डैंडर (त्वचा की रूसी) और पेशाब में पाया जाता है.
सीमेन से एलर्जी की पुष्टि: Can f 5 प्रोटीन का ह्यूमन सीमिनल प्लाज्मा (वीर्य का तरल हिस्सा) से समानता होती है. इसलिए, डॉक्टरों ने महिला के पार्टनर के वीर्य का स्किन प्रिक टेस्ट किया. टेस्ट में पुष्टि हुई कि महिला को ह्यूमन सीमिनल प्लाज्मा एलर्जी (HSP) है.
महिला ने डॉक्टर को बताया कि बिना कंडोम के सेक्स के बाद उन्हें नाक बंद होना, छींकें आना और योनि में जलन जैसे लक्षण होते थे. लेकिन पहले किसी ने इन लक्षणों को उनकी बांझपन की समस्या से जोड़ा नहीं था.
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ह्यूमन सीमिनल प्लाज्मा एलर्जी क्या है?
ह्यूमन सीमिनल प्लाज्मा एलर्जी (HSP) एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें किसी व्यक्ति को वीर्य में मौजूद प्रोटीन्स से एलर्जी होती है. ये वीर्य का वो तरल हिस्सा है, जो शुक्राणुओं (स्पर्म) को ले जाता है. ये एलर्जी ज्यादातर महिलाओं में देखी जाती है, लेकिन कुछ पुरुषों को भी अपने ही वीर्य से एलर्जी हो सकती है (इसे पोस्ट-ऑर्गैज्मिक इलनेस सिंड्रोम कहते हैं).
लक्षण
क्यों होती है ये एलर्जी?
कितनी आम है?
ये बहुत दुर्लभ है. दुनिया भर में सिर्फ 80 मामले दर्ज किए गए हैं. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ये अंडर-डायग्नोज्ड है, यानी कई लोग इसे शर्मिंदगी या अनजानपन की वजह से बताते नहीं.
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क्या ये एलर्जी बांझपन का कारण बनी?
HSP अपने आप में बांझपन का कारण नहीं है, लेकिन ये गर्भधारण को मुश्किल बना सकती है.इस महिला के मामले में...
विज्ञान: ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस (शरीर में रसायनों का असंतुलन) एलर्जी और एंडोमेट्रियोसिस दोनों में होता है, जो अंडे और भ्रूण की क्वालिटी को नुकसान पहुंचा सकता है.
इलाज के क्या विकल्प थे?
डॉक्टरों ने इस महिला को कुछ इलाज सुझाए, लेकिन कई सीमाएं थीं...
बैरियर कॉन्ट्रासेप्शन (कंडोम): सबसे आसान तरीका है कंडोम का इस्तेमाल, क्योंकि ये वीर्य को त्वचा या योनि से संपर्क नहीं होने देता. इससे एलर्जी के लक्षण पूरी तरह खत्म हो जाते हैं. लेकिन ये महिला प्रेगनेंट होना चाहती थी, इसलिए कंडोम का इस्तेमाल उनके लिए सही नहीं था.
एंटीहिस्टामाइन दवाएं: डॉक्टरों ने सुझाया कि वो सेक्स से एक घंटे पहले एंटीहिस्टामाइन दवाएं (जैसे बेनाड्रिल) लें, ताकि एलर्जी के लक्षण कम हों. लेकिन महिला ने बताया कि ये दवाएं उनके लिए बेकार रहीं. तीन साल बाद फॉलो-अप में, उन्हें नए लक्षण जैसे योनि में जलन, पलकों में सूजन और आंखों में पानी होने लगा.
IVF और IUI: IUI (इंट्रायूटरिन इनसेमिनेशन) में वीर्य को धोकर सिर्फ शुक्राणु गर्भाशय में डाले जाते हैं, ताकि एलर्जी न हो. ये ज्यादातर मामलों में काम करता है. IVF में भ्रूण सीधे गर्भाशय में डाला जाता है, जिसमें वीर्य का कोई संपर्क नहीं होता. लेकिन इस महिला का IVF क्यों फेल हुआ, ये साफ नहीं है.
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सफलता दर: IVF में एक साइकिल में 20-35% और IUI में 5-15% सफलता की संभावना होती है.
गंभीर मामलों में: अगर एलर्जी बहुत गंभीर हो (जैसे एनाफिलैक्सिस), तो एपिपेन (एपिनेफ्रिन इंजेक्शन) साथ रखना पड़ता है, जो जानलेवा रिएक्शन को रोकता है. इस महिला को इतनी गंभीर एलर्जी नहीं थी.
फॉलो-अप: तीन साल बाद महिला अभी भी गर्भवती नहीं हो सकी. डॉक्टरों ने कोई नया इलाज सुझाया नहीं. उसकी एलर्जी के लक्षण बढ़ गए.
क्या बनाता है इस मामले को खास?
दुर्लभता: दुनिया भर में ह्यूमन सीमिनल प्लाज्मा एलर्जी के सिर्फ 80 मामले दर्ज हैं. ये इतना दुर्लभ है कि ज्यादातर डॉक्टर इसे नजरअंदाज कर देते हैं.
गलत डायग्नोसिस: इस एलर्जी को अक्सर STI (यौन संचारित रोग), यीस्ट इन्फेक्शन या लेटेक्स एलर्जी समझ लिया जाता है. लेकिन एक बड़ा संकेत है- कंडोम इस्तेमाल करने पर लक्षण गायब हो जाते हैं.
Can f 5 और क्रॉस-रिएक्टिविटी: इस महिला की Can f 5 से एलर्जी ने डॉक्टरों को वीर्य एलर्जी की जांच की ओर ले गया. ये प्रोटीन कुत्तों और इंसानों के वीर्य में समानता रखता है.
बांझपन का जटिल कारण: महिला को अस्थमा, एलर्जिक राइनाइटिस और एंडोमेट्रियोसिस थी. ये सभी मिलकर बांझपन को और जटिल बना सकते हैं.
विशेषज्ञों का कहना: डॉ. माइकल कैरोल (मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी) ने कहा कि ये एलर्जी जितनी सोची जाती है, उससे ज्यादा आम हो सकती है. लेकिन शर्मिंदगी और जागरूकता की कमी की वजह से इसका सही डायग्नोसिस नहीं होता.
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इसके पीछे का विज्ञान
एलर्जी का विज्ञान
HSP एक टाइप 1 हाइपरसेंसिटिविटी है, जैसे पीनट या बिल्ली की एलर्जी. इसमें शरीर के IgE एंटीबॉडीज वीर्य के प्रोटीन्स (जैसे PSA) पर रिएक्ट करते हैं, जिससे हिस्टामाइन रिलीज होता है. ये हिस्टामाइन जलन, सूजन और अन्य लक्षण पैदा करता है.
Can f 5 और PSA में समानता की वजह से जो लोग कुत्तों से एलर्जिक हैं, उन्हें वीर्य से भी एलर्जी हो सकती है.
बांझपन पर प्रभाव
एलर्जी से होने वाली सूजन गर्भाशय और अंडाशय को प्रभावित कर सकती है, जिससे अंडे की क्वालिटी या भ्रूण का विकास बिगड़ सकता है. ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस (शरीर में रसायनों का असंतुलन) एलर्जी और एंडोमेट्रियोसिस दोनों में होता है, जो प्रेगनेंसी को मुश्किल बना सकता है.
डायग्नोसिस
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भारत के लिए क्या मायने?
भारत में बांझपन एक बड़ी समस्या है. 15% दंपति इससे प्रभावित हैं. लेकिन HSP जैसी दुर्लभ स्थिति को शायद ही कोई डॉक्टर जांचता हो. इस मामले से कुछ सबक...
आजतक साइंस डेस्क