NASA ने पहली बार ली मंगल के ज्वालामुखी की तस्वीर... माउंट एवरेस्ट से दोगुना ऊंचा

नासा के मंगल ओडिसी ऑर्बिटर ने 2 मई 2025 को अर्सिया मोंस ज्वालामुखी को बादलों से ऊपर उभरते हुए कैप्चर किया. यह 19.31 किलोमीटर ऊंचा है. यह धरती के सबसे ऊंचे पर्वत, माउंट एवरेस्ट से दोगुना ऊंचा है. तस्वीर 6 जून, 2025 को साझा की गई. यह तस्वीर मंगल के वातावरण और भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है.

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ये है मंगल ग्रह का अर्सिया मोंस ज्वालामुखी जो माउंट एवरेस्ट से दोगुना ऊंचा है. (फोटोः नासा) ये है मंगल ग्रह का अर्सिया मोंस ज्वालामुखी जो माउंट एवरेस्ट से दोगुना ऊंचा है. (फोटोः नासा)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2025,
  • अपडेटेड 3:08 PM IST

क्या मंगल पर बादलों का नज़ारा देखना रोमांचक नहीं है? लेकिन क्या होगा अगर आप एक ज्वालामुखी को इन बादलों से ऊपर उभरते हुए देखें? नासा के मंगल ओडिसी ऑर्बिटर ने 2 मई, 2025 को मंगल ग्रह पर ऐसे ही एक अनोखे नज़ारे को कैप्चर किया, जहां प्राचीन ज्वालामुखी अर्सिया मोंस बादलों से ऊपर दिख रहा था. यह तस्वीर 6 जून, 2025 को साझा की गई.

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कहां और क्या है?

अर्सिया मोंस मंगल ग्रह पर स्थित एक विशाल ज्वालामुखी है, जो धरती से औसतन 22.5 करोड़ किलोमीटर दूर है. यह थार्सिस मोंटेस नामक ज्वालामुखी क्षेत्र में स्थित है, जहां दो अन्य शील्ड ज्वालामुखी, पावोनिस मोंस और ऐस्क्रियस मोंस भी हैं. अर्सिया मोंस 12 मील (20 किलोमीटर) ऊंचा है, जो धरती के सबसे ऊंचे पर्वत, माउंट एवरेस्ट से दोगुना ऊंचा है. हालांकि, मंगल पर सबसे ऊंचा ज्वालामुखी ओलिंपस मोंस है.

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कब और कैसे कैप्चर हुआ?

मंगल ओडिसी मिशन 2001 में लॉन्च किया गया था, जिसका मकसद मंगल की सतह पर रासायनिक तत्वों और खनिजों की मैपिंग करना था. इसने अपनी प्राथमिक मिशन 2004 में पूरा कर लिया, लेकिन इसके बाद भी यह मंगल की सतह, बादलों, कोहरे और मौसमों का अध्ययन करता रहा. 2023 से ओडिसी ने मंगल के क्षितिज (लिम्ब) की ऊंचाई वाली तस्वीरें लेनी शुरू कीं, जैसे कि यह तस्वीर.

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2 मई 2025 को, ओडिसी ने अर्सिया मोंस को सूर्योदय से ठीक पहले कैप्चर किया. इस तस्वीर में मंगल का वातावरण हरे रंग की धुंध की तरह दिख रहा है. अर्सिया मोंस एक गहरे धब्बे की तरह बादलों से ऊपर उभर रहा है. यह मंगल पर किसी ज्वालामुखी की क्षितिज पर पहली बार ली गई तस्वीर है.

कैमरा और तकनीक

इस तस्वीर को थर्मल एमिशन इमेजिंग सिस्टम (THEMIS) कैमरे से लिया गया. THEMIS मंगल की सतह पर पानी की बर्फ वाले क्षेत्रों को मैप करने में मदद करता है, जो भविष्य में मंगल पर उतरने वाले पहले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए लैंडिंग साइट्स चुनने में उपयोगी हो सकता है.

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ओडिसी को अपनी कक्षा में 90 डिग्री घुमाना पड़ता है ताकि कैमरा बादलों को कैप्चर कर सके और उनके अंदर की धूल और पानी की बर्फ को देख सके. यह प्रक्रिया मुश्किल है क्योंकि कैमरा मूल रूप से मंगल की सतह के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे बादलों के अध्ययन के लिए अनुकूलित किया है.

महत्व और उपयोग

वैज्ञानिक मंगल के वातावरण का अध्ययन करते हैं ताकि वे सीज़नल बदलावों को समझ सकें, जो वातावरण के विकास को दर्शाते हैं. यह जानकारी तीव्र हवाओं और धूल भरी तूफानों की भविष्यवाणी करने में मदद करेगी, जो भविष्य के मिशनों के प्रवेश, क्लाइंबिंग और लैंडिंग के लिए महत्वपूर्ण है.

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अर्सिया मोंस विशेष रूप से सुबह के समय बादलों से घिरा रहता है, खासकर जब मंगल सूर्य से सबसे दूर होता है, जिसे ऐफेलियन कहा जाता है. इस समय, विषुवत रेखा के आसपास बादल बनते हैं, जिन्हें ऐफेलियन क्लाउड बेल्ट कहा जाता है. इस तस्वीर में, अर्सिया मोंस के आसपास सुबह के बादल साफ दिख रहे हैं.

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अर्सिया मोंस के बारे में और जानकारी

अर्सिया मोंस एक शील्ड ज्वालामुखी है, जिसका आकार एक ढाल की तरह होता है. यह थार्सिस मोंटेस क्षेत्र में स्थित है, जहां ज्वालामुखी गतिविधि के कारण पानी की बर्फ के बादल बनते हैं. अर्सिया मोंस तीन ज्वालामुखियों में से सबसे बादलों से घिरा हुआ है, खासकर सुबह के समय. इसके विपरीत, मंगल पर कार्बन डाइऑक्साइड के बादल अधिक प्रचलित हैं.

अर्सिया मोंस का बादलों से ऊपर उभरता नज़ारा न केवल सुंदर है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. यह मंगल के वातावरण और उसके मौसमों को समझने में मदद करेगा, जो भविष्य के मिशनों के लिए गाइडेंस देगा. इस तस्वीर ने हमें मंगल ग्रह की एक नई झलक दी है. 

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