छोटे से कॉलेज से पढ़ाई... फिर पहुंची ISRO तक, इस कस्बे की बहू ने आदित्य L-1 का 'हार्ट' बनाने में निभाया रोल

Aditya L1 mission: इंजीनियर प्रिया शर्मा ने खरगोन के मंडलेश्वर स्थित एक प्राइवेट कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की थी. इसके बाद SGSITS इंदौर से ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स में M. Tech किया. प्रिया ने IIT इंदौर में भी करीब 6 महीने तक कार्य किया था. इसके बाद उनका चयन DRDO में हो गया.

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आदित्य L-1 का हार्ट बनाने में प्रिया शर्मा की भी भूमिका रही. (फोटो:Aajtak) आदित्य L-1 का हार्ट बनाने में प्रिया शर्मा की भी भूमिका रही. (फोटो:Aajtak)

उमेश रेवलिया

  • खरगोन/बेंगलुरु,
  • 03 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:45 PM IST

सूर्य के अध्ययन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का सोलर मिशन आदित्य L-1 शनिवार को लॉन्च हुआ. आदित्य एल-1 का हार्ट बनाने में मध्य प्रदेश बड़वाह (खरगोन ) की बहू प्रिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही. श्री हरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च होने के 110-120 दिन  बाद ये आदित्य एल-1 सूर्य की एल-1 कक्षा में स्थापित होगा. इसमें लगे पेलोड विभिन्न बिंदुओं पर अध्ययन करेंगे. अध्ययन के लिए मिशन में 7 पेलोड लगाए गए हैं. इसमें सबसे अहम विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएएलसी) पेलोड को मिशन का हार्ट कहा है. इस हार्ट को बनाने में प्रिया कृष्णकांत शर्मा की एक अहम भूमिका है.

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चांद पर सफलतापूर्वक चंद्रयान-3 की लॉचिंग के बाद शनिवार को ISRO के पहले सोलर मिशन आदित्य एल-1 की लांचिंग हुई. हरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च होने के 110 - 120 दिन  बाद ये आदित्य एल-1 सूर्य की एल-1 कक्षा में स्थापित होगा. इसमें लगे पेलोड विभिन्न बिंदुओं पर सूर्य का अध्ययन करके इससे प्राप्त डाटा और दुनिया को सूर्य से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी भी देंगे. 

आदित्य एल-1 का हार्ट बनाने में बड़वाह की बहू प्रिया की भूमिका.

अध्ययन के लिए मिशन में 7 पेलोड लगाए हैं. इसमें एक सबसे अहम विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ VELC पेलोड को मिशन का हार्ट कहा गया है. इस हार्ट को बनाने में बड़वाह की बहु प्रिया कृष्णकांत शर्मा की एक अहम भूमिका है. प्रिया वर्तमान में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं. ये पेलोड इसी इंस्टीट्यूट में तैयार हुआ है. 

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आदित्य एल-1 मिशन टीम के साथ प्रिया शर्मा.

उन्होंने इस पेलोड में ऑप्टिकल डिजाइन एनालिसिस और सिम्युलेशन में अपना योगदान दिया है. इसके साथ ही जब इस पेलोड को यान के साथ इंटीग्रेड किया गया तो उस दौरान अंतिम ऑप्टिकल टेस्ट के दौरान भी वे ईसरो में मौजूद रहीं. 

इतना ही नहीं, इस मिशन के लॉन्च के पहले ऑप्टिकल टेस्ट में प्रिया के द्वारा की गई  प्लानिंग और सिम्युलेशन के रिजल्ट से पूरी टीम को निष्कर्ष निकालने में मदद मिली थी. अब जब ये मिशन लॉन्च हो रहा है तो वे बेहद उत्साहित हैं. आदित्य L-1 के L-1 प्वाइंट पर स्थापित होने के बाद इस  (VELC) पेलोड से जो डाटा आएगा, उसे एनालिसिस करने वाली टीम में भी प्रिया शामिल हैं. 

अपनी टीम के साथ इंजीनियर प्रिया शर्मा.

प्रिया ने खरगोन के मंडलेश्वर से की है इंजीनियरिंग

प्रिया ने खरगोन के मंडलेश्वर के एक प्राइवेट कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की थी. इसके बाद उन्होंने SGSITS इंदौर से ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स में M. Tech किया है. प्रिया ने IIT इंदौर में भी करीब 6 महीने तक कार्य किया था. इसके बाद उनका चयन DRDO में हो गया.  अक्टूबर 2019 से सितंबर 2022 तक वे डीआरडीओ में रहकर रक्षा से संबंधित विभिन्न अनुसंधानों से जुड़ी रहीं. डीआरडीओ में उसकी रिसर्च के आधार पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु में उनका सिलेक्शन हुआ था. यहीं पर प्रिया पैलोड की फाइनल टेस्टिंग के दौरान टीम का हिस्सा बनीं. 

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देवी अहिल्या के नगर महेश्वर की बेटी हैं प्रिया 

प्रिया शर्मा का मायका देवी अहिल्या के नगर खरगोन जिले के महेश्वर में हैं. प्रिया के पिता श्याम गावशिंदे और माताजी गायत्री गावशिंदे दोनों शिक्षक हैं. उनके भाई गौरव न्यायालयीन कर्मचारी हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी इसी क्षेत्र में हुई है. इस तरह प्रिया अहिल्या नगरी महेश्वर की बेटी भी हैं. वर्तमान में प्रिया बेंगलुरु में अपने पति कृष्णकांत शर्मा के साथ रह रही हैं. कृष्णकांत भी ऑटोमेशन इंजीनियर हैं और बेंगलुरु में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं. कृष्णकांत बड़वाह की नर्मदा नगर कॉलोनी के निवासी हैं. उनके पिता राकेश शर्मा निजी कंपनी में कार्यरत हैं. जबकि माताजी संगीता शर्मा गृहिणी हैं. इस तरह प्रिया बड़वाह की बहू हैं और महेश्वर की बेटी हैं.  

इंजीनियर प्रिया शर्मा का कहना है, ''वर्तमान में मैं प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इसरो फिजिक्स में वीएलसी प्रोजेक्ट में कम कर रही हूं. जैसे ही आदित्य एल-1 सेटेलाइट L1 पॉइंट पर पहुंच जाएगा. 24 घंटे 7 दिन डेटा आना शुरू होगा. उसे डाटा का हम लोग एनालिसिस करेंगे. इसके लिए एक टीम बनाई गई है. उस टीम का मैं हिस्सा हूं. पहले मैंने ऑप्टिक में अहम योगदान दिया है. मैंने वीईएलसी डिजाइन का एनालिसिस किया है. जैसे ही वीईएलसी इसरो को हैंडओवर किया गया, उसके बाद भी इसरो में कुछ टेस्ट कंडक्ट किए गए.'' 

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