कश्मीर की सेब घाटी में एक नई क्रांति शुरू हो रही है. इसका नेतृत्व कर रहे हैं खुर्रम मीर, जिन्होंने दस साल पहले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एक शोध पत्र में कश्मीर के सेब उद्योग के संकट की चेतावनी दी थी. आज उनकी स्टार्टअप कंपनी कुल (कश्मीरी में 'पेड़') के जरिए वे सेब की खेती को आधुनिक और टिकाऊ बना रहे हैं. उनकी तकनीकों ने न केवल सेब उत्पादन बढ़ाया, बल्कि किसानों की आमदनी और आजीविका को भी बेहतर किया है.
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खुर्रम मीर और कुल का मिशन
दस साल पहले, खुर्रम मीर ने हार्वर्ड में अपने शोध में बताया था कि बढ़ता तापमान, पुराने खेती के तरीके और घटता मुनाफा कश्मीर के सेब उद्योग को संकट में डाल सकता है. अब वे अपनी स्टार्टअप कुल के जरिए इस संकट को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. शोपियां में अपने बेस से वे हाई-डेंसिटी खेती को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसमें छोटे और जल्दी फल देने वाले सेब के पेड़ लगाए जाते हैं.
हाई-डेंसिटी खेती की खासियतें
हाई-डेंसिटी खेती में छोटे (ड्वार्फ) पेड़ों को करीब-करीब लगाया जाता है, जिससे...
इसके अलावा, कुल ने स्वचालित कोल्ड स्टोरेज और ग्रेडिंग सुविधा शुरू की है, जो सेब को लंबे समय तक ताजा रखती है. उनकी गुणवत्ता के आधार पर छंटाई करती है. किसानों को मौसम डेटा, मिट्टी विश्लेषण और ऋण सुविधा भी मिलती है, जिससे वे बिचौलियों से बचकर सीधे बाजार में बेच सकते हैं. इससे उनकी आय बढ़ती है. कीमतों में पारदर्शिता आती है.
किसानों की जिंदगी में बदलाव
कुल ने पिछले कुछ वर्षों में 5,000 एकड़ जमीन को हाई-डेंसिटी खेती में बदला. 1 लाख से ज्यादा किसानों को जोड़ा. कुछ किसानों की कहानियां इस बदलाव को दर्शाती हैं...
जावेद (पुलवामा): सरकारी नौकरी छोड़कर हाई-डेंसिटी सेब की खेती शुरू की. वे कहते हैं कि मेरे सेब की गुणवत्ता बेहतर है. फल जल्दी मिलते हैं. मुनाफा लगातार बढ़ रहा है. उनके सेब थोक बाजार में 70-100% ज्यादा कीमत पर बिकते हैं.
शमीमा (शोपियां): 2016 में पति के निधन के बाद प्याज और लहसुन की खेती छोड़कर हाई-डेंसिटी सेब खेती शुरू की. वे कहती हैं कि छोटे पेड़ों को संभालना आसान है. मैं खुद छंटाई कर सकती हूं. मुनाफा पहले से कहीं ज्यादा है.
तकनीक का योगदान
कुल ने खेती में तकनीक का भी इस्तेमाल किया है...
सौर ऊर्जा से चलने वाले मौसम स्टेशन: ये AI सेंसर के साथ मौसम की जानकारी देते हैं. ओलावृष्टि या भारी बारिश की चेतावनी फोन पर भेजते हैं. इससे किसान हेलनेट लगाकर फसल बचा सकते हैं.
मशीनी उपकरण: छंटाई और कटाई के लिए मशीनें, जो समय और मेहनत बचाती हैं.
डेटा आधारित खेती: मिट्टी और मौसम के डेटा से किसानों को सही समय पर सही कदम उठाने में मदद मिलती है.
सेब उद्योग का महत्व
कश्मीर में सेब उद्योग जम्मू-कश्मीर के 8% GDP में योगदान देता है. 30 लाख लोगों की आजीविका का आधार है. लेकिन यह उद्योग कई चुनौतियों का सामना कर रहा है...
2013 के हार्वर्ड अध्ययन में खुर्रम मीर ने इन समस्याओं की चेतावनी दी थी. उनकी कंपनी कुल अब इनका समाधान कर रही है.
चुनौतियां और भविष्य
डॉ. शब्बीर अहमद, श्रीनगर के कृषि वैज्ञानिक, कहते हैं कि कुल जैसे प्रोजेक्ट आशाजनक हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर नीतिगत समर्थन के बिना इनका प्रभाव सीमित रहेगा. कई किसान पुराने तरीकों को छोड़ने से हिचकते हैं, लेकिन हाई-डेंसिटी खेती के नतीजे देखकर वे धीरे-धीरे बदल रहे हैं.
खुर्रम मीर कहते हैं कि यह सिर्फ सेब की बात नहीं है. यह बदलाव की संभावना दिखाने की बात है. शोपियां के खेतों में उनके लगाए छोटे पेड़ अब फूलने लगे हैं, जो कश्मीर के सेब उद्योग के उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक हैं. (ग्राउंड रिपोर्टः निशवान रसूल)
आजतक साइंस डेस्क