Rare dinosaur Egg: मध्यप्रदेश से मिला डायनासोर के 'अंडे-में-अंडा'

मध्य प्रदेश के धार जिले से, वैज्ञानिकों को टाइटानोसॉरिड (Titanosaurid) डायनासोर का अंडा मिला है. इस अंडे की खास बात यह है कि इस अंडे में भी एक अंडा है. इस तरह की खोज अब तक नहीं की गई है.

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मध्यप्रदेश के धार जिले से मिला दुर्लभ अंडा मध्यप्रदेश के धार जिले से मिला दुर्लभ अंडा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 जून 2022,
  • अपडेटेड 4:11 PM IST
  • अब तक इस तरह का दुर्लभ अंडा खोजा नहीं गया
  • डायनासोर के प्रजनन के बारे में लगेगा पता

दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के शोधकर्ताओं ने मध्य प्रदेश में, डायनासोर (Dinosaur) का बेहद अजीबोगरीब अंडे की खोज की है. इस अंडे के अंदर भी एक अंडा है. डायनासोर का इस तरह का अंडा शायद जीवाश्म के इतिहास में पहली बार खोजा गया है.

शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह खोज दुर्लभ और महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब तक सरीसृपों (Reptiles) में कोई ओवम-इन-ओवो (Ovum-in-ovo) अंडा नहीं पाया गया था. इसके नतीजे साइंटिफिक रिपोर्ट्स (Scientific Reports) जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं.

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एक नेस्ट में से शोधकर्ताओं को 10 अंडे मिले थे (सांकेतिक फोटो: Getty)

एजेंसी के मुताबिक, मध्य प्रदेश के धार जिले के बाग इलाके से, वैज्ञानिकों को असामान्य टाइटानोसॉरिड (Titanosaurid) डायनासोर का अंडा मिला था. इस अंडे से यह पता चल सकता है कि क्या डायनासोर का प्रजनन जीव विज्ञान, कछुए, छिपकलियों या मगरमच्छ और पक्षियों के जैसा था.

यहां वैज्ञानिकों को बड़ी संख्या में डायनासोर के घोंसले मिले थे

मध्य भारत का अपर क्रेटेशियस लैमेटा फॉर्मेशन (Upper Cretaceous Lameta Formation), लंबे समय से डायनासोर के जीवाश्मों (कंकाल और अंडे के अवशेष) की खोज के लिए जाना जाता है. शोधकर्ताओं को बाग शहर के पास एक गांव में बड़ी संख्या में टाइटानोसॉरिड सॉरोपॉड के नेस्ट का पता चला. एक नेस्ट में से शोधकर्ताओं को 10 अंडे मिले जिसमें से एक 'असामान्य अंडा' था. इस अंडे में दो गोलाकार शेल थे, दोनों शेल के बीच में अतंर था. जो ओवम -इन-ओवो (एक अंडे के अंदर दूसरा अंडा) की तरह था. 

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अंडों से डायनासोर के प्रजनन के तरीके का पता लगेगा

इससे पहले कभी भी इस तरह का डायनासोर का अंडा नहीं पाया गया था. शोधकर्ताओं का कहना है कि पहले यह माना जाता था कि डायनासोर में प्रजनन, कछुओं और बाकी रेप्टाइल्स की तरह होता है. शोध के मुख्य लेखक और डीयू के रिसर्चर डॉ हर्ष धीमान का कहना है कि टाइटानोसॉरिड नेस्ट से ओवम-इन-ओवो अंडे की खोज से, यह पता लगता है कि हो सकता है कि सॉरोपॉड डायनासोर में मगरमच्छ या पक्षियों की तरह ही ओविडक्ट मॉर्फोलॉजी थी. साथ ही, उन्होंने पक्षियों की अंडे देने की खासियत को अपना लिया था. 

इनपुट- छोटू शास्त्री

 

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