जीन बदलकर बनाए जाएंगे 'डिजाइनर बच्चे', बड़ी टेक कंपनियां लगी हैं प्रोजेक्ट में

टेक अरबपतियों सैम ऑल्टमैन और ब्रायन आर्मस्ट्रांग के सपोर्ट से चलने वाली कंपनी प्रिवेंटिव इंसानी भ्रूणों के जीन बदलकर वंशानुगत बीमारियां मिटाने की कोशिश कर रही. यह चीन के बाहर पहली ऐसी कोशिश है. हालांकि विशेषज्ञ चेताते हैं कि गलतियां खतरनाक होंगी. अमीर-गरीब की खाई बढ़ेगी. डिजाइनर बेबीज का दौर करीब है, लेकिन नैतिक सवाल भी बाकी है.

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जीन में काट-छांट करके बच्चों को परफेक्ट बनाया जा रहा है. (Photo: Representative/Getty) जीन में काट-छांट करके बच्चों को परफेक्ट बनाया जा रहा है. (Photo: Representative/Getty)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST

एक सीक्रेट कंपनी है 'प्रिवेंटिव'. टेक जगत के बड़े अरबपतियों के सपोर्ट से इंसानी भ्रूणों के जीन बदलने की कोशिश कर रही है. इसका मतलब है कि वे अंडे, शुक्राणु या भ्रूणों के डीएनए में बदलाव कर वंशानुगत बीमारियों को मिटाने की योजना बना रहे हैं. अगर यह सच हुआ, तो यह चीन के बाहर पहली ऐसी कोशिश होगी. लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि यह साइंस फिक्शन जैसा लगता है. इसमें बड़े खतरे छिपे हैं.

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कंपनी 'प्रिवेंटिव' को ओपनएआई के सैम ऑल्टमैन और कॉइनबेस के ब्रायन आर्मस्ट्रांग जैसे टेक दिग्गजों का समर्थन है. कंपनी निजी लैबों में इंसानी भ्रूणों के जीन एडिटिंग पर काम शुरू कर चुकी है. जीन एडिटिंग का मतलब है डीएनए को काटकर-जोड़कर बदलना, जैसे कि क्रिस्पर तकनीक से.

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इससे बीमारियां जैसे सिकल सेल एनीमिया या सिस्टिक फाइब्रोसिस हमेशा के लिए खत्म हो सकती हैं. लेकिन यह बदलाव अगली पीढ़ियों को भी मिलेगा यानी बच्चों के बच्चों तक.

कानूनी तो है लेकिन नैतिक सवालों का पहाड़

अमेरिका में निजी लैबों में यह काम कानूनी है, लेकिन बहुत विवादास्पद है. विशेषज्ञ कहते हैं कि छोटी सी गलती भी पूरे वंश को प्रभावित कर सकती है. उदाहरण के लिए, अगर जीन गलत जगह कट गया, तो नई बीमारियां पैदा हो सकती हैं.

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इसके अलावा, यह अमीर-गरीब की खाई को और गहरा कर सकता है. सिर्फ अमीर ही अपने बच्चों को 'परफेक्ट' बना पाएंगे, जबकि गरीबों को वही पुरानी समस्याएं झेलनी पड़ेंगी.

यह खबर 2018 में चीन के वैज्ञानिक ही जियानकुई के विवाद को याद दिलाती है. उन्होंने जीन एडिटेड जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया था, जिसके लिए उन्हें जेल हो गई थी. अब पश्चिमी देशों में भी यह ट्रेंड तेज हो रहा है.

डिजाइनर बेबीज का दौर करीब?

प्रिवेंटिव अकेली नहीं है. दुनिया भर की कई कंपनियां भ्रूणों की जांच कर रही हैं. वे लिंग, आंखों का रंग या यहां तक कि आईक्यू जैसी विशेषताओं के लिए स्क्रीनिंग ऑफर कर रही हैं. इससे 'डिजाइनर बेबीज' का सपना सच होता दिख रहा है – जहां माता-पिता अपने बच्चे को अपनी पसंद के अनुसार 'डिजाइन' कर सकें. लेकिन विशेषज्ञ पूछते हैं कि क्या यह भगवान बनने की कोशिश है? क्या हम इंसानियत को बाजार में बेच देंगे?

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अरबपतियों की महत्वाकांक्षा: कहां तक जाएगी?

टेक अरबपति लंबी उम्र और परफेक्ट स्वास्थ्य के पीछे पागल हैं. सैम ऑल्टमैन जैसे लोग एआई के साथ जीन एडिटिंग को जोड़कर मानवता को 'अपग्रेड' करना चाहते हैं. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अरबपति इंसानी जेनेटिक्स को कितना बदलना चाहते हैं? क्या वे सिर्फ बीमारियों को मिटाना चाहते हैं या सुपरह्यूमन बनाना? 

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वैज्ञानिक समुदाय कहता है कि इससे पहले बड़े क्लिनिकल ट्रायल और सख्त नियम जरूरी हैं. यह विकास विज्ञान को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है, लेकिन गलत हाथों में खतरा भी है.

सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संगठन अब इस पर नजर रखने की बात कर रहे हैं. क्या आने वाले सालों में जीन एडिटेड बच्चे आम हो जाएंगे? या यह सिर्फ अमीरों का खेल रहेगा? समय ही बताएगा.

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