लगभग 14300 साल पहले धरती पर अब तक का सबसे शक्तिशाली सौर तूफान आया था. फिनलैंड की ओउलु यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पेड़ों के जीवाश्म छल्लों में रेडियोकार्बन की मात्रा का अध्ययन कर यह खोज की. यह तूफान आज की तकनीक पर निर्भर दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.
क्या है सौर तूफान?
सूरज से निकलने वाली तेज ऊर्जा और चार्ज्ड कण (प्रोटॉन) जब धरती के वायुमंडल से टकराते हैं, तो इसे सौर तूफान कहते हैं. ये कण धरती के चुंबकीय क्षेत्र को हिला देते हैं और रेडियोकार्बन (कार्बन-14) नामक रेडियोधर्मी तत्व की मात्रा बढ़ा देते हैं. वैज्ञानिक इस रेडियोकार्बन की मदद से पुरानी चीजों की उम्र पता करते हैं.
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14300 साल पुराना तूफान
वैज्ञानिकों ने पेड़ों के पुराने छल्लों में रेडियोकार्बन की असामान्य वृद्धि देखी. नए शोध से पता चला कि यह 12,350 ईसा पूर्व (जनवरी से अप्रैल) में आए एक सौर तूफान की वजह से था. यह तूफान इतना शक्तिशाली था कि इसने 2003 के हेलोवीन सौर तूफान से 500 गुना ज्यादा ऊर्जा धरती पर भेजी. उस समय यूरोप में मैमथ शिकारी रहते थे, जिन्होंने शायद आसमान में चमकती औरोरा बोरियालिस (उत्तरी रोशनी) देखी होगी.
पहले के सौर तूफान
वैज्ञानिकों ने पहले भी पांच बड़े सौर तूफानों का अध्ययन किया, जो 994 ईस्वी, 775 ईस्वी, 663 ईसा पूर्व, 5259 ईसा पूर्व और 7176 ईसा पूर्व में आए थे. इनमें सबसे ताकतवर 775 ईस्वी का तूफान था, जिसका जिक्र पुराने चीनी और एंग्लो-सैक्सन दस्तावेजों में मिलता है. लेकिन 12,350 ईसा पूर्व का तूफान इससे भी 18% ज्यादा शक्तिशाली था.
आज के लिए खतरा
आज हमारी दुनिया सैटेलाइट, बिजली ग्रिड और संचार सिस्टम पर निर्भर है. ऐसे में इतना बड़ा सौर तूफान भारी नुकसान कर सकता है. 1859 के कैरिंगटन तूफान ने टेलीग्राफ तारों को जलाया था. 2003 का हेलोवीन तूफान, जो इससे दस गुना कमजोर था. इसने सैटेलाइट की कक्षा को बिगाड़ दिया. 2024 का गैनन तूफान भी सैटेलाइटों को हिलाकर रख गया. अगर 12,350 ईसा पूर्व जैसा तूफान आज आए तो यह सैटेलाइट, बिजली और इंटरनेट को पूरी तरह ठप कर सकता है.
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नया मॉडल, नई खोज
पहले वैज्ञानिकों के पास बर्फ युग (आइस एज) के रेडियोकार्बन डेटा को समझने का सही तरीका नहीं था. लेकिन ओउलु यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता क्षेनिया गोलुबेंको और उनकी टीम ने एक नया केमिस्ट्री-क्लाइमेट मॉडल बनाया. इसकी मदद से उन्होंने इस प्राचीन तूफान की ताकत और समय (12,350 ईसा पूर्व) का सटीक अनुमान लगाया. यह खोज 15 मई 2025 को अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंसेज लेटर जर्नल में छपी.
यह तूफान सबसे खराब परिदृश्य है. हमें इसके खतरे को समझना होगा ताकि भविष्य में सैटेलाइट, बिजली ग्रिड, और संचार सिस्टम को बचाया जा सके. वैज्ञानिक अब ऐसे तूफानों का अध्ययन कर रहे हैं ताकि हमारी तकनीक को सुरक्षित किया जा सके.
आजतक साइंस डेस्क