देश का सबसे बड़ा जियोस्पेशियल सम्मेलन जियोस्मार्ट इंडिया 2025 शुरू हो गया है. यह 1 से 4 दिसंबर तक चलेगा. इसकी शुरुआत CXO समिट के साथ हुई. इस बार की थीम है – एक राष्ट्र, एक नक्शा: राष्ट्रीय संप्रभुता और अर्थव्यवस्था के लिए जियोस्पेशियल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना.
इस समिट में सरकार के बड़े अधिकारी, राजनयिक, उद्योग के सीईओ और विशेषज्ञ एक साथ आए. इसमें सर्वे ऑफ इंडिया, पंचायती राज मंत्रालय, हरियाणा और असम सरकार के भी प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. बड़ी कंपनियां जैसे एसरी इंडिया, ट्रिम्बल, गूगल, जीएमआर-जियोक्नो इसे सपोर्ट कर रही हैं.
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भारत अब सिर्फ डेटा नहीं बनाता, उससे काम भी करवाता है. पहले बड़े-बड़े नक्शे बनते थे, अब उस डेटा से किसानों को फसल की सलाह, शहरों को प्लानिंग और आपदा में मदद मिल रही है. वाराणसी में 'ऑपरेशन थ्री सेक्टर्स' का उदाहरण दिया गया – मिट्टी, जमीन और सैटेलाइट डेटा मिलाकर 26 हजार किसानों को व्यक्तिगत सलाह दी गई. इससे फसल की क्वालिटी और पैदावार बढ़ी.
पहले हर साल 100 करोड़ रुपये से ज्यादा विदेशी डेटा खरीदना पड़ता था. अब नई स्पेस पॉलिसी और अपने सैटेलाइट की वजह से हम खुद डेटा बना रहे हैं और जल्दी ही निर्यात भी करेंगे.
मैप माई इंडिया के राकेश वर्मा ने कहा – भरोसेमंद अपना डेटा प्लेटफॉर्म होना चाहिए, क्योंकि नक्शा अब सिर्फ कागज पर नहीं, हर सरकारी सेवा और ऐप में इस्तेमाल हो रहा है. गैलेक्सआई और अजिस्ता एयरोस्पेस के विशेषज्ञों ने बताया कि रक्षा, कृषि और आम नागरिक – तीनों के लिए एक ही तकनीक काम कर सकती है, बस हमें अपने पार्ट्स खुद बनाने होंगे.
क्लाइमा क्रू की देवलीना भट्टाचार्जी ने कहा – अब मौसम और जलवायु का डेटा नक्शे पर डालकर खेती, बाढ़ से बचाव और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान कर रहे हैं. भारत ऐसी तकनीक दुनिया को भी बेच सकता है. सभी वक्ताओं ने माना कि अगर सही नियम और सरकार-प्राइवेट पार्टनरशिप हो, तो अपना स्पेस और जियोस्पेशियल इंफ्रास्ट्रक्चर हमें और मजबूत करेगा. दुनिया में आगे ले जाएगा.
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जियोस्मार्ट इंडिया 2025 ने साफ संदेश दिया है – भारत अब सिर्फ नक्शे नहीं बना रहा, बल्कि उन नक्शों से देश की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और आम आदमी की जिंदगी को बेहतर बना रहा है.
आजतक साइंस डेस्क