World Kidney Day: भारत में 40% लोगों को क्रोनिक किडनी रोग, डायलिसिस कम करने पर हुई स्टडी

अमेरिका में करीब 15% लोग किडनी यानी गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे हैं. सीडीसी के मुताबिक दुनिया में हर 10 में से 9वां इंसान क्रोनिक किडनी डिजीस से परेशान है. इसे ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक दवाएं काम आ सकती हैं. ये बात दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने मानी है.

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World Kidney Day: आयुर्वेद की औषधियां कर सकती है गुर्दा रोगों का सटीक इलाज. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी) World Kidney Day: आयुर्वेद की औषधियां कर सकती है गुर्दा रोगों का सटीक इलाज. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

aajtak.in

  • बनारस/नई दिल्ली,
  • 09 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 10:57 PM IST
  • दावा-किडनी रोगों से बचा सकता है आयुर्वेद
  • बीएचयू प्रोफेसर ने बताया औषधियों का मिश्रण

10 मार्च 2022 को वर्ल्ड किडनी डे यानी विश्व गुर्दा दिवस है. इस बार की थीम है किडनी हेल्थ फॉर ऑल (Kidney Health For All). सीडीसी के मुताबिक अमेरिका में 15 फीसदी लोग किडनी की बीमारियों से जूझ रहे हैं. जबकि दुनिया में हर 10 में से 9वां इंसान क्रोनिक किडनी डिजीस से परेशान है. भारत में डायबिटीज एवं हाई ब्लडप्रेशर से पीड़ित करीब 40% लोग क्रोनिक किडनी डिजीज से ग्रसित हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि आयुर्वेद में बताए गए हर्बल पदार्थों यानी जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल से आप अपने गुर्दे को सही सलामत रख सकते हैं. इतना ही नहीं, जिन लोगों को डायलिसिस कराने की जरूरत होती है, उन्हें इससे भी काफी निजात मिल जाती है. 

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बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के आयुर्वेद विभाग के डीन और प्रोफेसर केएन द्विवेदी ने बताया कि पुनर्नवा, गोक्षुर, वरूण, गुडुची, कासनी, तुलसी, अश्वगंधा तथा आंवला जैसी औषधों को खाने से किडनी सेहतमंद रहती है. उसके काम करने का तरीका सुधरा हुआ रहता है. साथ ही किडनी से जुड़ी बीमारियां भी कम हो जाती हैं. अगर कोई दिक्कत पहले से है, तो वह ठीक होने लगती है. इन्हीं औषधियों को मिलाकर बनाई गई है नीरी-केएफटी. जिसका असर स्पष्ट तौर पर देखा गया है. इसके बारे में दुनिया के पांच बड़े मेडिकल रिसर्च जर्नल में रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई है. 

पांच साइंस जर्नल- साइंस डायरेक्ट, गूगल स्कॉलर, एल्सवियर, पबमेड और स्प्रिंजर में प्रकाशित अध्ययनों के अनुसार इस दवा का समय रहते इस्तेमाल शुरू हो जाए तो गुर्दों को फेल होने से बचा सकते हैं. इसके सेवन से क्रिएटिनिन, यूरिया और यूरिक एसिड की मात्रा में कमी आई है. ऑक्सीडेटिव और इंफ्लामेंट्री स्ट्रैस को भी कम करती है. ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस तब होता है जब शरीर में एंटी-ऑक्सीडेंट और फ्री-रेडिकल तत्वों का तालमेल बिगड़ता है. इससे शरीर बीमारियों और संक्रामक घुसपैठ से लड़ नहीं पाता. 

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प्रो. द्विवेदी ने बताया कि नीरी-केएफटी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है. किडनी को ताकत देती है. इसमें 20 औषधियां शामिल हैं. इनसे मरीज के शरीर में क्रिएटिनिन के लेवल को कम करती हैं. वहीं, गोक्षुरु यानी गोखरू नेफ्रॉन को बूस्ट करता है. इससे किडनी की फिल्टर करने की ताकत बढ़ जाती है.  डायलिसिस का खतरा टल जाता है. जो डायलिसिस पर हैं, उनकी फ्रिक्वेंसी कम हो जाती है. 

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