जर्मनी के बर्लिन के पास लिनम गांव पक्षी प्रेमियों का स्वर्ग है. गर्मियों में यहां स्ट्रॉक्स के घोंसले सजते हैं, तो सर्दी-गर्मी में हजारों क्रेन (सारस पक्षी) माइग्रेट करते हुए रुकते हैं. लेकिन इस बार पक्षी फ्लू ने इनकी यात्रा काट दी. Photo: AP
हाल के दिनों में 2000 से ज्यादा क्रेन के शव मिले. वॉलंटियर्स इन्हें इकट्ठा कर रहे हैं – यह दर्दनाक दृश्य है. इस साल पक्षी फ्लू सितंबर से ही फैल गया. फ्रेडरिक लॉफलर इंस्टीट्यूट (जर्मनी का पशु स्वास्थ्य विभाग) के अनुसार 30 जगहों पर आउटब्रेक दर्ज किया. Photo: AP
मुर्गी, बत्तख, हंस और टर्की के 5 लाख से ज्यादा जानवर काटे गए. जंगली पक्षियों में भी केस बढ़े. क्रेन पर तो पहली बार इतना बुरा असर. Photo: AFP
विशेषज्ञ नॉर्बर्ट श्नीवाइस कहते हैं कि इस रूट पर क्रेनों में ऐसा पहले नहीं हुआ. दो साल पहले हंगरी में कुछ ऐसा देखा गया था. संक्रमण कहां से आया, यह स्पष्ट नहीं है. Photo: AP
लिनम के तालाबों-खेतों में क्रेनों के शव तैर रहे. वॉलंटियर्स फुल प्रोटेक्टिव सूट पहनकर पानी में उतरते हैं. शव बोरे में भरते है. बीमार क्रेन रास्ते पर खड़ी थी – उड़ नहीं पा रही थीं. कुछ लड़खड़ाकर गिर जातीं. Photo: AP
ऊपर स्वस्थ क्रेनें उड़ रहीं थी. श्नीवाइस बोले कि हम बस शव उठा सकते हैं. जगह को कम आकर्षक बनाने की कोशिश की – पानी का बहाव रोका गया. लेकिन मध्य यूरोप में ऐसे रेस्टिंग स्पॉट दुर्लभ हैं. Photo: AP
पहले क्रेनों का आना चमत्कार लगता है. शाम को हजारों उड़कर आतीं हैं. इन्हें देखने पर्यटक आते हैं. अब सारे टूर रद्द कर दिए गए हैं. हालात कंट्रोल में लग रहे हैं. मुर्दों की संख्या घट रही हैं. अन्य पक्षी ठीक है. Photo: AP
यह काम भावनात्मक रूप से थकाने वाला होता है. वॉलंटियर लारा वाइनमैन कहतीं हैं कि हम सोचते हैं कि ये काम संरक्षण के लिए जरूरी है. लेकिन मन उदास हो जाता है. Photo: Reuters
बर्ड फ्लू इंसानों में कम फैलता है. लेकिन अब स्तनधारियों को भी नुकसान पहुंचा रहा है. वैज्ञानिक चिंतित हैं कि वायरस अपना रूप बदलकर इंसानों में आसानी से फैल सकता है. Photo: Reuters