इंडोनेशिया के मादुरा द्वीप पर खसरा (मीजल्स) का प्रकोप 9 महीनों से चल रहा है. इस साल यहां 2,600 से ज्यादा बच्चे इससे संक्रमित हो चुके हैं. दुखद बात यह है कि 20 बच्चों की मौत हो गई है. Photo:AP
स्वास्थ्यकर्मी सुमेनेफ जिले में वैक्सीन पहुंचा रहे हैं ताकि महामारी को रोका जा सके. लेकिन वैक्सीन के हलाल स्टेटस को लेकर चिंताएं बाधा बन रही हैं. मादुरा द्वीप इंडोनेशिया का एक हिस्सा है, जहां ज्यादातर मुस्लिम आबादी रहती है. Photo:AP
यहां खसरा का प्रकोप मार्च 2025 से शुरू हुआ. बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. इस साल 2,600 से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं. इनमें से 20 बच्चों की जान चली गई. ज्यादातर मौतें उन बच्चों की हुईं जिन्हें वैक्सीन नहीं मिली. Photo:AP
सुमेनेफ जिले के स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर वैक्सीन दे रहे हैं. वे गांवों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं. लेकिन महामारी रुकने का नाम नहीं ले रही. डॉक्टर कहते हैं कि अगर वैक्सीनेशन कवरेज 95% से ऊपर हो जाए, तो खसरा पूरी तरह रुक सकता है. लेकिन यहां यह आंकड़ा अभी कम है. Photo:AP
खसरा वैक्सीन में एक स्टेबलाइजर होता है, जो कभी-कभी सुअर से लिया जाता है. मुस्लिम समुदाय में सुअर को हराम माना जाता है, इसलिए कई लोग वैक्सीन लेने से हिचकिचा रहे हैं. वे डरते हैं कि यह हलाल नहीं है. इससे वैक्सीनेशन प्रोग्राम धीमा हो गया है. Photo:AP
कुछ इस्लामी विद्वान कहते हैं कि आपात स्थिति में वैक्सीन लेना जायज है. वे फतवा देते हैं कि जान बचाना सबसे बड़ा धर्म है.फिर भी, कई परिवार वैक्सीन से दूर रह रहे हैं. स्वास्थ्यकर्मी लोगों को समझा रहे हैं कि वैक्सीन में सुअर का मात्र एक छोटा हिस्सा होता है, जो बीमारी रोकने के लिए जरूरी है. Photo:AP
इंडोनेशिया सरकार ने हलाल सर्टिफाइड वैक्सीन भी उपलब्ध कराई है, लेकिन पुरानी स्टॉक की वजह से समस्या बनी हुई है. इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश है, जहां 27 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं. यहां पहले भी खसरा के कई प्रकोप हुए हैं. Photo:AP
2010 और 2018 में भी बड़े आउटब्रेक देखे गए. मुख्य कारण वैक्सीनेशन कवरेज में कमी है. ग्रामीण इलाकों में जागरूकता कम है. धार्मिक चिंताएं बाधा डालती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कहता है कि इंडोनेशिया में खसरा वैक्सीन की पहली डोज 80% बच्चों को मिलती है, लेकिन दूसरी डोज सिर्फ 70% को. Photo:AP
इससे महामारी फैलती रहती है. सरकार ने अब स्पेशल कैंप लगाए हैं और इमामों (मस्जिद के पुजारी) की मदद ली है ताकि वे लोगों को वैक्सीन के फायदे बताएं. सुमेनेफ के स्वास्थ्यकर्मी बाइक और पैदल चलकर दूरदराज के गांवों में पहुंच रहे हैं. वे माता-पिता को बताते हैं कि खसरा बुखार, दाने और सांस की समस्या लाता है, जो जानलेवा हो सकता है. Photo:AP
वैक्सीन सुरक्षित है और इससे बच्चे स्वस्थ रहते हैं. अब तक हजारों बच्चों को वैक्सीन दी जा चुकी है. सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किए हैं, जहां लोग हलाल वैक्सीन के बारे में पूछ सकते हैं. WHO और UNICEF भी मदद कर रहे हैं. अगर लोग वैक्सीनेशन बढ़ाएं, तो प्रकोप जल्द रुक सकता है. Photo:AP