डोमिनिकन रिपब्लिक की तटों के पास समुद्र की गहराई में एक अनोखी नर्सरी है. यहां धातु की संरचनाओं पर, जो बड़े मकड़ियों जैसे दिखती हैं. हजारों छोटे-छोटे कोरल बच्चे बढ़ रहे हैं. संरक्षणकर्ता माइकल डेल रोसारियो ऑक्सीजन टैंक लगाकर पानी के अंदर तैरते हुए इन कोरल बेबीज (मूंगा) को गर्व से दिखाते हैं. Photo: AP
ये छोटे कोरल रंगीन होने लगे हैं. इन्हें फुंडेमार नाम की समुद्री संरक्षण संस्था के लैब में सहायता प्राप्त प्रजनन (असिस्टेड फर्टिलाइजेशन) से पैदा किया गया है. यह प्रक्रिया इंसानों की इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) जैसी है, जिसमें कोरल के अंडे और स्पर्म को मिलाकर नया कोरल बनाया जाता है. Photo: AP
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का पानी गर्म हो रहा है, जिससे कोरल बीमार पड़ रहे हैं. प्राकृतिक रूप से प्रजनन करना मुश्किल हो गया है. कैरेबियन क्षेत्र में कोरल रीफ तेजी से गायब हो रहे हैं. डोमिनिकन रिपब्लिक में फुंडेमार के हालिया सर्वे के अनुसार 70 प्रतिशत रीफ पर कोरल कवरेज सिर्फ 5 प्रतिशत से भी कम रह गया है. Photo: AP
स्वस्थ कोरल कॉलोनियां इतनी दूर-दूर हो गई हैं कि स्पॉनिंग सीजन में एक कोरल का अंडा दूसरे के स्पर्म से मिलने की संभावना बहुत कम हो गई है. इसलिए अब सहायता प्राप्त प्रजनन कार्यक्रम जरूरी हो गए हैं. Photo: AP
कोरल पौधे नहीं, जानवर होते हैं. साल में एक बार पूर्णिमा के कुछ दिन बाद शाम के समय वे लाखों अंडे और स्पर्म छोड़ते हैं, जिससे समुद्र दूधिया आकाशगंगा जैसा दिखता है. फुंडेमार इस समय का इंतजार करती है, अंडे-स्पर्म इकट्ठा करती है. लैब में फर्टिलाइजेशन कराती है. लार्वा को मजबूत होने तक पालती है. Photo: AP
फिर इन्हें समुद्र में लगाया जाता है. लैब में हर साल 25 लाख से ज्यादा कोरल एम्ब्रियो बनाए जाते हैं. इनमें से सिर्फ 1 प्रतिशत ही समुद्र में जीवित रह पाते हैं, लेकिन यह दर भी आज की खराब रीफ पर प्राकृतिक प्रजनन से बेहतर है. Photo: AP
पहले संरक्षण संगठन कोरल का छोटा टुकड़ा काटकर दूसरी जगह लगाते थे, जिसे एसेक्शुअल रिप्रोडक्शन कहते हैं. यह तरीका तेज था, लेकिन समस्या यह थी कि इससे क्लोन बनते थे. सभी कोरल एक ही बीमारी से कमजोर हो जाते थे. अब सेक्शुअल रिप्रोडक्शन से जेनेटिक रूप से अलग-अलग कोरल पैदा हो रहे हैं, जिससे पूरी आबादी एक बीमारी से खत्म होने का खतरा कम हो जाता है. Photo: AP
यह तकनीक ऑस्ट्रेलिया से शुरू हुई और अब कैरेबियन में तेजी से फैल रही है. मैक्सिको, कुराकाओ, प्यूर्टो रिको, क्यूबा और जमैका में बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं. ये कार्यक्रम कोरल की आबादी बढ़ाने में मदद कर रहे हैं, लेकिन असली समस्या जलवायु परिवर्तन है. Photo: AP
जीवाश्म ईंधन जलाने से ग्रीनहाउस गैसें बढ़ रही हैं. समुद्र का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. कोरल ब्लीचिंग (सफेद होकर बीमार पड़ना) का शिकार हो रहे हैं. 1950 से दुनिया की आधी कोरल रीफ गायब हो चुकी हैं. Photo: AP
डोमिनिकन रिपब्लिक जैसे द्वीप देशों के लिए कोरल रीफ बहुत जरूरी हैं. ये तूफानों और बड़ी लहरों से तट की रक्षा करते हैं. बीचों की रेत बचाते हैं. पर्यटन को बढ़ावा देते हैं. Photo: AP
मछुआरे अलिडो लुइस बाएज बताते हैं कि पहले तट के पास ही भरपूर मछली मिल जाती थी. अब ओवरफिशिंग, हैबिटेट नुकसान और जलवायु परिवर्तन के कारण 80 km जाना पड़ता है. उनके पिता कहते हैं कि 1970 के दशक में रीफ इतने स्वस्थ थे कि थोड़े समय में ही 50-60 पाउंड मछली पकड़ आती थी. Photo: AP
माइकल डेल रोसारियो कहते हैं कि अभी भी रीफ को बचाने का समय है. हम बहुत मेहनत कर रहे हैं और दुनिया के कई लोग भी यही कर रहे हैं. ये कोरल बच्चे हमें उम्मीद देते हैं कि सब कुछ खत्म नहीं हुआ है. Photo: AP
साथ ही वे चेतावनी देते हैं कि अगर जलवायु परिवर्तन नहीं रोका गया तो सारे प्रयास व्यर्थ हो सकते हैं. डोमिनिकन रिपब्लिक की यह छोटी सी कोरल नर्सरी दुनिया भर के लिए एक उम्मीद की किरण बन रही है. Photo: AP