Utpanna ekadashi: उत्पन्ना एकादशी के दिन सुनें ये व्रत कथा, सभी कष्टों से मिलेगी मुक्ति

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. उत्पन्ना एकादशी के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस दिन का व्रत करने और सही विधि से पूजा आदि करने से व्यक्ति के पिछले और इस जन्म के सभी पाप दूर होते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है.

Advertisement
उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:57 AM IST
  • उत्पन्ना एकादशी आज
  • भगवान विष्णु की होती है पूजा
  • जानें उत्पन्ना एकादशी का महत्व

Utpanna ekadashi 2021: आज उत्पन्ना एकादशी (Utpanna ekadashi) मनाई जा रही है. इसे उत्पत्ति एकादशी भी कहते हैं. ये एकादशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन पड़ती है. उत्पन्ना एकादशी नवंबर महीने की आखिरी एकादशी है. ऐसी मान्यता है कि पूरे विधि विधान से इस दिन व्रत और पूजा करने से बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. इस दिन पवित्र जल में डुबकी लगाने की भी परंपरा बै.

Advertisement

उत्पन्ना एकादशी का महत्व- उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था. इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से मनुष्यों के पिछले जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं. उत्पन्ना एकादशी आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है. कहा जाता है कि उत्पन्ना एकादशी की पूजा में इसकी व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए. इससे भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है.

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा (Utpanna ekadashi vrat katha)- प्राचीन समय में एक असुर हुआ करता था जिसका नाम था मुर. मुर ने पूरे जगत में तांडव मचा दिया था. राक्षसों के राजा मुर के उत्पात से सभी देवता भी परेशान हो गए थे. मुर से छुटकारा पाने के लिए देवताओं ने भगवान विष्णु का स्मरण किया. देवताओं की विनती सुनकर भगवान विष्णु ने मुर राक्षस से संघर्ष किया.

Advertisement

कई दिनों तक चले इस युद्ध में एक समय ऐसा आया जब भगवान विष्णु थककर विश्राम करने के लिए एक गुफा में चले गए. यहीं पर उनकी आंख लग गई. इस गुफा का नाम हिमावती रखा गया. जब दानव मुर को पता चला कि भगवान विष्णु गुफा के अंदर सो रहे हैं तो वह उन्हें मारने के लिए गुफा में आ गया. उसी दौरान एक सुंदर कन्या राक्षस के सामने प्रकट हुई और उसका वध कर डाला. भगवान विष्णु जब निद्रा से जागे तो उन्होंने मुर का शव देखकर उन्हें बड़ा अचरज हुआ. असुर मुर को मारने वाली यह सुन्दर स्त्री कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु का ही एक अंश थी और उनका नाम एकादशी रखा गया. ऐसी मान्यता है कि तभी से इस जीत के उपलक्ष्य में इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के रूप में मनाया जाने लगा.

 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement