पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम पहुंचीं और यहां उन्होंने जनसभा को संबोधित किया. इसके बाद ममता बनर्जी ने चंडी पाठ भी किया. चंडी पाठ को दुर्गा सप्तशती या दुर्गा-पाठ भी कहते हैं. चंडी का पाठ करना भक्तों के लिए बहुत शुभ माना गया है. यह राक्षस महिषासुर पर देवी की जीत की व्याख्या करता है. दुर्गा सप्तशती में अध्याय एक से तेरह तक तीन चरित्र विभाग हैं. इसमें कुल 700 श्लोक हैं. आइए आपको चंडी पाठ का महत्व और इसे करने का सही तरीका बताते हैं.
चंडी पाठ का महत्व
चंडी का पाठ या दुर्गा सप्तशती में कुछ ऐसे मंत्र हैं जिनके उच्चारण से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इन मंत्रों का उच्चारण कर जीवन की हर मुश्किल को दूर किया जा सकता है. भय और पापों का नाश, संकटों के निवारण, शुभ फलों की प्राप्ति, आरोग्य-सौभाग्य और सामूहिक कल्याण के लिए चंडी का पाठ किया जाता है.
धार्मिक और ऐतिहासिक कथाओं में भी विजय और शक्ति प्राप्ति के लिए चंडी पाठ का उल्लेख मिलता है. विजयसूत्र प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीराम ने भी ऊर्जा रूपांतरण की सस्वर पद्धति अपनाई, जिसे देवी स्तुती कहते हैं. श्रीराम ने शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा को समुद्र तट पर सस्वर चंडी पाठ किया था. परिणामस्वरूप दशमी तिथि को लंकपति रावण का संहार कर भगवान श्रीराम विजयी हुए.
चंडी पाठ की प्रक्रिया
ये पाठ करने के लिए सर्वप्रथम शरीर और मन को शुद्ध करें. इसके बाद चंडी पाठ का संकल्प लें और पूजा के उद्देश्यों को याद रखें. चूंकि भगवान गणेश सभी देवताओं में पूजनीय हैं, इसलिए सबसे पहले उनकी आराधना करें. गणेश पूजन के बाद मुहूर्त पूजन की बारी आती है. मुहूर्त पूजा पाप को दूर करने या पापों छुटकारा पाने के लिए होती है. इसके बाद कलश स्थापन और पंचांग पूजा करते हैं.
चंडी पाठ में दुर्गा ससतषति का उच्चारण किया जाता है. संपुटित पाठ वाला शत चंडी यज्ञ शक्तिशाली सप्तशती मंत्रों से युक्त एक पूर्ण और सौभाग्यशाली यज्ञ है. सस्वर मंत्रों के उच्चारण से भक्त आदी शक्ति से इच्छाओं को पूरा करने की प्रार्थना करते हैं. शत्रुओं पर विजय हासिल करने करने के लिए इसमें देवी दुर्गा के स्वरूपों की भी पूजा होती है. पूजा समाप्त होने केबाद देवी को प्रसाद चढ़ाया जाता है और बाद में वो प्रसाद वहां मौजूद भक्तों में बांट दिया जाता है.
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