Chhath Puja Samagri List: छठ पूजा दिवाली के बाद आने वाला एक अत्यंत पवित्र त्योहार है. यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है, उसके बाद खरना, संध्या अर्घ्य और प्रातः अर्घ्य आते हैं. प्रातः अर्घ्य पर ही छठ की समाप्ति होती है. इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर 2025 से शुरू हो रही है. यह पर्व अत्यंत शुद्धता, नियम और संकल्प के साथ मनाया जाता है. इसलिए पूजा और व्रत को विधि-विधान से पूरा करने के लिए आवश्यक सामग्रियों की पूरी तैयारी पहले से करना बेहद जरूरी है. जानते हैं छठ पूजा के आवश्यक सामग्रियों के बारे में
छठ पूजा 2025 की सामग्री लिस्ट (Chhath Puja Samagri List )
5 पत्ते लगे हुए गन्ने
2 बांस की बड़ी टोकरियां
1 लोटा, थाली और चम्मच
पानी वाला नारियल
1 गिलास, दूध और जल के लिए
केला
पान और सुपारी
सुथनी
शरीफा
शकरकंदी
हल्दी
अदरक का हरा पौधा
नाशपाती
मूली
डाभ नींबू
सिंघाड़ा
चावल
गुड़
मिठाई
ठेकुआ
चावल का आटा
गेहूं
शहद
सिंदूर
दीपक
कलावा
धूप
फूल-माला
कुमकुम
नई साड़ी
छठी मैया को अवश्य चढ़ाएं ये पवित्र वस्तुएं
ऐसा माना जाता है कि छठी मैया को कुछ विशेष वस्तुएं अर्पित करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया को चावल, चना, सिंदूर, मिठाई, सात प्रकार के फल, गुड़, घी का ठेकुआ और श्रृंगार का सामान जरूर चढ़ाना चाहिए.
25 अक्टूबर से शुरू है छठ पूजा
छठ पूजा भारतीय परंपरा का वह अद्भुत पर्व है जिसमें आस्था, तपस्या और परिवार के प्रति प्रेम एक साथ झलकता है. यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का प्रतीक है, छठी मैया जीवन, ऊर्जा और सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं. इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार) से आरंभ हो रही है. इसी दिन ‘नहाय खाय’ से इस चार दिवसीय पर्व की शुरुआत होगी.
पहला दिन – नहाय खाय (25 अक्टूबर, शनिवार)
नहाय खाय के दिन व्रती महिलाएं प्रातःकाल नदी या तालाब में स्नान करती हैं. इसके बाद शुद्ध, सात्विक भोजन किया जाता है, आमतौर पर लौकी-भात या चने की दाल और अरवा चावल खाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस भोजन से व्रती को आने वाले कठिन उपवास के लिए शक्ति और शुद्धता प्राप्त होती है.
दूसरा दिन – खरना (26 अक्टूबर, रविवार)
छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है, जो अत्यंत श्रद्धा और अनुशासन के साथ मनाया जाता है. इस दिन व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद पूजा करके प्रसाद बनाते हैं, जिसमें गुड़ की खीर और गेहूं के आटे की रोटी होती है. खरना के बाद व्रती स्वयं यह प्रसाद ग्रहण करती हैं. इसी क्षण से 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है.
तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर, सोमवार)
इस दिन छठ व्रती महिलाएं अपने परिवार के साथ घाटों पर जाती हैं. ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. घाटों पर दीपों की रोशनी, छठी मैया के गीतों की गूंज और आस्था से भरा वातावरण एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है. महिलाएं सूप में फल, ठेकुआ, नारियल और अन्य प्रसाद सजाकर सूर्य को अर्पित करती हैं.
चौथा दिन – उषा अर्घ्य (28 अक्टूबर, मंगलवार)
अंतिम दिन प्रातःकाल उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यह छठ पर्व का सबसे भावनात्मक और पवित्र क्षण होता है. व्रती महिलाएं सूर्य को जल चढ़ाकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करती हैं. सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होता है.
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