Somnath Mandir: जब चंद्रमा की तपस्या से पिघल गए महादेव, पढ़ें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कहानी

Somnath Mandir: दक्ष प्रजापति नाम के राजा के श्राप से मुक्त होते ही चंद्रमा ने अन्य देवताओं के साथ मिलकर भगवान शिव से यह प्रार्थना की कि वो माता पार्वती के साथ हमेशा के लिए यहां स्थापित हो जाएं. उनकी इस प्रार्थना को स्वीकार करते हुए भगवान शिव ज्योतर्लिंग के रूप में माता पार्वती के साथ यहां विराजमान हो गए.

Advertisement
आज देश-दुनिया से श्रद्धालु गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने आते हैं. (PC: Getty Images) आज देश-दुनिया से श्रद्धालु गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने आते हैं. (PC: Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:53 PM IST

भगवान शिव का प्रिय सावन का महीना शुरू हो गया है. सुबह से ही शिव मंदिर के बाहर भक्त लंबी कतार में खड़े हैं. शिवालयों में हर-हर महादेव के जयकारे गूंज रहे हैं. इस पवित्र महीने में कई श्रद्धालु भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने का संकल्प भी लेते हैं. कहते हैं कि 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करने से जीवन का कल्याण हो जाता है. यदि आपने भी ऐसा कोई संकल्प लेने के बारे में सोचा है तो आज हम आपको भगवान शिव इन ज्योतिर्लिंगोंं के बारे में बताएंगे और इसकी शुरुआत गुजरात स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से होगी.

Advertisement

क्या है सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कहानी?

गुजरात के काथियावाड़ में समुद्र किनारे सोमनाथ मंदिर में यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है. जिसे पहले प्रभासक्षेत्र कहा जाता था. वहां दक्ष प्रजापति नाम के राजा की 27 पुत्रियां थीं, जिनका विवाह चंद्रमा के साथ हुआ. लेकिन चंद्रमा का अटूट प्रेम केवल रोहिणी से था. इस वजह राजा दक्ष प्रजापति की अन्य 26 पुत्रियां बेहद दुखी रहने लगीं. एक बार उन्होंने क्रोध में आकर अपने पिता को इस बारे में बताया. तब दक्ष प्रजापति ने इसे लेकर चंद्रमा को कई बार समझाया. लेकिन रोहिणी के प्रति चंद्रमा का प्रेम कुछ इस कदर था कि उन पर इसका कोई असर नहीं हुआ.

अंतत: राजा दक्ष प्रजापति ने नाराज होकर चंद्रमा को श्राप दे दिया. इस श्राप के कारण चंद्रमा की शक्तियां क्षीण होने लगीं. चंद्रमा की सारी शक्तियां धीरे-धारे समाप्त होने लगीं. इससे चंद्रमा बहुत दुखी और चिंतित हो गए. चंद्रमा का ऐसा हाल देखते हुए अन्य देवी-देवता और ऋषिगण चंद्रमा के उद्धार के लिए ब्रह्माजी के पास गए. चंद्रमा पर मंडरा रहे इस संकट की कहानी सुनकर ब्रह्माजी ने कहा कि केवल भगवान शिव ही उन्हें इस श्राप से मुक्त कर सकते हैं.

Advertisement
सोमनाथ मंदिर (PC: Getty Images)

इसके बाद चंद्रमा ने भगवान शिव की घोर तपस्या की. तब महादेव ने प्रसन्न होकर उन्हें अमरत्व का वरदान दिया. भगवान शिव ने कहा कि तुम्हें मिला श्राप तो समाप्त होगा ही, साथ ही साथ दक्ष प्रजापति के वचनों की रक्षा भी होगी. कृष्ण पक्ष में रोजाना तुम्हारी एक-एक शक्ति वापस आती जाएगी. लेकिन दोबारा शुक्ल पक्ष में उसी क्रम से तुम्हारी एक-एक कला बढ़ जाएगी. इसी तरह हर पूर्णिमा को पूर्ण चंद्रमा के दिन तुम 16 कलाओं से दक्ष हो जाओगे. चंद्रमा को मिले इस वरदान से सभी देवी-देवता बहुत खुश हो गए.

श्राप से मुक्त होते ही चंद्रमा ने अन्य देवताओं के साथ मिलकर भगवान शिव से यह प्रार्थना की कि वो माता पार्वती के साथ हमेशा के लिए यहां स्थापित हो जाएं. उनकी इस प्रार्थना को स्वीकार करते हुए भगवान शिव ज्योतर्लिंग के रूप में माता पार्वती के साथ यहां विराजमान हो गए. आज देश-दुनिया से श्रद्धालु भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने यहं आते हैं.

यहां कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग: यदि आप दिल्ली-एनसीआर में कहीं रहते हैं तो दिल्ली स्थित इंंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दियू के लिए फ्लाइट लें. इस बीच अहमदाबाद में एक सेंटर प्वॉइंट हो सकता है. हवाई यात्रा का कुल समय करीब 6-7 घंटे का हो सकता है. इसके बाद आपको कैब, बस या ट्रेन के जरिए ही सोमनाथ पहुंचना होगा. इस यात्रा में करीब 10 से 12 घंटे का समय लग सकता है.

Advertisement

ट्रेन सेवा: यदि आप ट्रेन से सोमनाथ जाने की सोच रहे हैं तो पहले आपको नई दिल्ली से ट्रेन लेकर अहमदाबाद जाना होगा और फिर सोमनाथ की ट्रेन लेनी होगी. क्योंकि दिल्ली से सोमनाथ की सीधी ट्रेन आपको नहीं मिलेगी. अहमदाबाद से आप कैब या बस लेकर भी सोमनाथ पहुंच सकते हैं. दिल्ली से अहमदाबाद रेल से जाने में करीब 12 से 13 घंटे का समय लगेगा.

बस सेवा: अगर आप सड़क मार्ग के जरिए सोमनाथ पहुंचना चाहते हैं तो पहले आपको अहमदाबाद ही जाना होगा और फिर बस बदलकर सोमनाथ पहुंचना होगा. दिल्ली से अहमदाबाद का बस रूट करीब 20 घंटे और अहमदाबाद से सोमनाथ का बस रूट करीब 10 से 12 घंटे का है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement