Krishna Janmashtami 2025: इस वजह से श्री कृष्ण और राधा रानी ने नहीं किया था विवाह, जानें पूरी कथा

Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का त्योहार मथुरा-वृंदावन ही नहीं, पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए इसे जन्माष्टमी कहते हैं. जन्माष्टमी के मौके पर एक बात अक्सर लोगों के दिलों में रहती है कि राधा रानी और श्री कृष्ण का रिश्ता क्या था और आखिर उन्होंने शादी क्यों नहीं की.

Advertisement
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 (File Photo: AI Generated) कृष्ण जन्माष्टमी 2025 (File Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 8:08 PM IST

Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का त्योहार मथुरा-वृंदावन ही नहीं, पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए इसे जन्माष्टमी कहते हैं. लोग रात भर जागरण करते हैं, भगवान की पूजा करते हैं और उनकी बाल लीलाओं को याद करते हैं. लेकिन जन्माष्टमी के मौके पर एक बात अक्सर लोगों के दिलों में रहती है कि राधा रानी और श्री कृष्ण का रिश्ता क्या था और आखिर उन्होंने शादी क्यों नहीं की.

Advertisement

हमने बचपन से यही सुना है कि राधा बिना श्री कृष्ण के अधूरी हैं और श्री कृष्ण भी राधा के बिना पूरे नहीं होते. फिर सवाल यह उठता है कि इस गहरे प्रेम के बावजूद उन्होंने शादी क्यों नहीं की? ये एक दिलचस्प बात है, जो बहुत कम लोग जानते हैं. दरअसल, राधा और श्री कृष्ण का प्रेम इतना शुद्ध और अनमोल था कि वह शादी जैसे सांसारिक बंधनों में नहीं बंधना चाहता था. उनका प्रेम आत्मा और भावना का मेल था, जो परंपरागत रूप से बिना शादी के भी सबसे खूबसूरत माना जाता है. 

धरती पर जन्म लेने के बाद ऐसे मिले थे राधा रानी और श्री कृष्ण

भगवान कृष्ण जब लगभग चार-पांच साल के थे, तब वह अपने पिता के साथ गाय चराने खेतों में जाते थे. उस समय वसंत का मौसम था. श्री कृष्ण ने अपने पिता को चौंकाने के लिए अचानक मौसम बदल दिया. अचानक तेज बारिश शुरू हो गई और श्री कृष्ण ने रोना शुरू कर दिया. पिता ने श्री कृष्ण को देखकर उन्हें प्यार से गले लगा लिया. वे सोच रहे थे कि इस मौसम में श्री कृष्ण का भी ध्यान रखना होगा और गायों की भी देखभाल करनी होगी. तभी वहां एक सुंदर कन्या आ गई. उसे देखकर नंद बाबा का मन शांति से भर गया. उन्होंने उस लड़की से कहा कि वह श्री कृष्ण की देखभाल करें. लड़की ने खुशी-खुशी हां कह दी. इसके बाद नंद बाबा गाय लेकर घर चले गए.

Advertisement

जब श्री कृष्ण और वह लड़की अकेले थे, तब श्री कृष्ण ने अपनी असली रूप दिखाया. वे एक युवक के रूप में खड़े थे, जिनके कपड़े नारंगी रंग के थे, सिर पर मोर का पंख था और उनके हाथ में बांसुरी थी. श्री कृष्ण ने उस लड़की से पूछा कि क्या वह उस समय को याद करती है जब वे दोनों स्वर्ग में साथ थे. लड़की ने हां कहा, क्योंकि वह राधा थीं. ऐसे ही पहली बार पृथ्वी पर जन्म लेकर कृष्ण और राधा की मुलाकात हुई थी.

श्री कृष्ण और राधा क्यों नहीं किया था विवाह?

भगवान कृष्ण और राधा रानी की जोड़ी प्रेम की सबसे अनोखी मिसाल मानी जाती है. लेकिन जो बात शायद कम लोग जानते हैं वो ये है कि दोनों ने कभी विवाह करने का फैसला क्यों नहीं किया. उनका मानना था कि प्रेम और विवाह दो अलग-अलग बातें हैं. उन्होंने साबित किया कि सच्चा प्रेम सिर्फ शरीर और रूप तक सीमित नहीं होता, बल्कि वो भक्ति और आत्मा की शुद्धता से जुड़ा होता है.

कहते हैं कि राधा ने खुद को कृष्ण जी के लायक नहीं समझा क्योंकि वह एक साधारण गाय चराने वाली थीं. इसलिए, उन्होंने विवाह करने से मना कर दिया था. उन्हें लगा कि अगर विवाह होती, तो शायद उनकी भक्ति और प्रेम की वह शुद्धता जो दोनों के बीच थी, कम हो जाती. इसके अलावा एक और बात जो कई मान्यताओं में आती है वो ये है कि राधा रानी और श्री कृष्ण एक ही आत्मा के दो रूप थे. इसलिए, उन्होंने माना कि वे अपनी ही आत्मा से विवाह नहीं कर सकते.

Advertisement

इस तरह श्री कृष्ण और राधा रानी ने अपने अलग रास्ते चुने लेकिन उनका प्रेम इतना गहरा और पवित्र था कि आज भी लोगों के दिलों में एक मिसाल के तौर पर है. दोनों ने ये दिखाया कि असली प्रेम भौतिक बंधनों से ऊपर होता है और उसका कोई दायरा नहीं होता. उनकी कथा हमें ये सिखाती है कि प्रेम को सामाजिक नियमों या रस्मों-रिवाजों में बांधना जरूरी नहीं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement