Kamika Ekadashi 2025: कामिका एकादशी पर आज जरूर पढ़ें ये खास कथा, श्रीहरि करेंगे हर इच्छा पूरी

Kamika Ekadashi 2025: श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है, वह अपनी जिंदगी में आने वाली कठिनाइयों और परेशानियों से छुटकारा पाता है.

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कामिका एकादशी की कथा कामिका एकादशी की कथा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 8:34 AM IST

Kamika Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है, वह अपनी जिंदगी में आने वाली कठिनाइयों और परेशानियों से छुटकारा पाता है. इस दिन किए गए पूजा-पाठ से पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.

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कामिका एकादशी के दिन दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे व्यक्ति के जीवन के दुख-दर्द दूर होते हैं और मोक्ष का मार्ग खुलता है. इस दिन कामिका एकादशी की कथा सुनना भी बहुत फलदायक होता है.

कामिका एकादशी कथा (Kamika Ekadashi katha) 

कामिका एकादशी की कथा कुछ इस तरह है. एक गांव में एक ठाकुर रहता था, जो स्वभाव से थोड़ा क्रोधी था. वह छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा कर देता था, जिससे अक्सर झगड़े होते रहते थे. एक बार उसकी लड़ाई एक ब्राह्मण से इतनी बढ़ गई कि उसने गुस्से में आकर उस ब्राह्मण की हत्या कर दी. इस पाप के कारण ठाकुर पर ब्रह्म हत्याकांड का दोष लगा. उसने अपनी गलती समझी और पाप से मुक्ति के लिए प्रायश्चित करने की सोची.

लेकिन ब्राह्मणों ने उसे ब्राह्मण की संस्कार क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया और समाज से अलग कर दिया. बहुत दुखी होकर ठाकुर ने उनसे पूछा कि क्या कोई तरीका है जिससे वह इस पाप से छुटकारा पा सके. तब ब्राह्मणों ने उसे कामिका एकादशी व्रत करने की सलाह दी. ठाकुर ने सावन मास की कामिका एकादशी का व्रत किया और पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना की. एक दिन उन्हें नींद में भगवान विष्णु के दर्शन हुए, जिन्होंने कहा कि उसका पाप समाप्त हो गया है. तभी से यह व्रत प्रचलित हो गया.

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कामिका एकादशी पूजन विधि (Kamika Ekadashi Pujan Vidhi)

कामिका एकादशी का व्रत विधि बहुत सरल है. सुबह जागकर नहा-धोकर भगवान विष्णु को व्रत का संकल्प लेना चाहिए. अपने घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और वहां लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. फिर फल, फूल, तिल, दूध और पंचामृत से उनका पूजन करें.

पूजा के बाद भगवान के सामने घी का दीपक जलाकर कथा सुनें. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी बहुत फायदेमंद होता है. पूजन के बाद भगवान को माखन- मिश्री का भोग लगाएं और अंत में आरती करें. एकादशी के अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान जरूर दें. उसके बाद ही स्वयं भोजन करें.

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