बुध अपने मित्र शनि की राशि कुंभ में विराजमान हैं और 17 फरवरी को वह इसी राशि में मध्य वक्री अवस्था में आ गए हैं. बुध की वक्री अवस्था 10 मार्च तक रहेगी. किसी भी ग्रह का वक्री अवस्था में होने का मतलब उस ग्रह की उल्टी चाल से है. वक्री बुध 8 राशियों में लाभ के योग बना रहा है. आइए जानते हैं शनि की राशि कुंभ में बुध की उल्टी चाल किन लोगों को फायदा होगा.
मेष- इस राशि के ग्यारहवें भाव में बुध वक्री होगा. ऐसी स्थिति में आपको जबरदस्त लाभ मिलेगा और आपकी आमदनी में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी. नए-नए साधन आपको मिलेंगे, जो आपके आर्थिक स्तर को मजबूती देंगे.
कर्क- कर्क राशि के लोगों के अष्टम भाव में बुध वक्री होगा. इस स्थिति में इंसान को धन लाभ तो मिलता है, लेकिन कई तरह के संकट भी उसे घेरते हैं. शेयर बाजार में निवेश का भी इस समय में अच्छा लाभ मिल सकता है.
सिंह- सिंह राशि के लोगों के सप्तम भाव में वक्री बुध का प्रभाव होगा. इसकी वजह से आपके व्यापार में आशातीत लाभ होने के योग बनेंगे और जीवनसाथी से भी आपके संबंध बेहतर बनेंगे. नौकरीपेशा लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा.
तुला- तुला राशि के लोगों के पांचवे भाव में बुध वक्री होगा, जिसकी वजह से आपको शिक्षा में जबरदस्त लाभ होगा और आपको कोई उपलब्धि भी प्राप्त हो सकती है. आप नई चीजें सीखेंगे और मंत्र जाप में भी आपकी रुचि जागेगी.
वृश्चिक- इस राशि के लिए बुध चौथे भाव में वक्री होगा, जिसकी वजह से आपको अनेक प्रकार के सुख मिलेंगे. आपको अचानक से पदोन्नति मिल सकती है और अनेक लोग आपकी मदद करेंगे और आपके सुख का माध्यम बनेंगे.
मकर- मकर राशि के लोगों के दूसरे भाव में बुध वक्री होगा, जिसकी वजह से आप बहुत सोच समझकर बातचीत करेंगे. आपके अंदर एक दार्शनिक व्यक्तित्व दिखाई देगा और आपको धन लाभ होगा और यह धन केवल दिखेगा नहीं बल्कि आप उसे संचित करने में भी सफल होंगे.
कुंभ- कुंभ राशि के लोगों के प्रथम भाव में बुध वक्री होगा, जिसकी वजह से आपकी मानसिक क्षमता का विकास होगा. आपको निर्णय लेने में सफलता मिलेगी. आपकी सोचने समझने की शक्ति काफी तीव्र हो जाएगी, लेकिन आपको जल्दबाजी में कोई भी काम करने से बचना चाहिए और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए.
मीन- मीन राशि के लोगों के बारहवें भाव में बुध वक्री होगा. ऐसे में आपको धार्मिक कामों में खूब मन लगेगा, लेकिन आपके खर्चे बेतहाशा बढ़ जाएंगे, जो आपकी आर्थिक स्थिति को परेशान करेंगे. आपको स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं. ऐसे में अपना ध्यान रखें और खर्चों पर नियंत्रण रखें.
वक्री बुध का राशियों पर प्रभाव-
राशि चक्र को चार प्रकार के चिन्हों में विभाजित किया गया है. अग्नि (मेष, सिंह और धनु), पृथ्वी (वृषभ, कन्या और मकर), वायु (मिथुन, तुला और कुंभ ) और पानी (कर्क, वृश्चिक और मीन) . बुध की वक्री चाल का इन सभी चिन्हों पर पड़ने वाले प्रभाव की व्याख्या नीचे की गयी है.
आइए अब आपको बताते हैं बुध के वक्री होने की स्थिति में कौन से काम करने से शुभ और अशुभ फल की प्राप्ति होती है.
क्या ना करें-
नए समझौतों को अंजाम देने के लिए बुध वक्री का समय अच्छा नहीं है. इसलिए इनसे बचना चाहिए.
जब तक आवश्यक न हो, इस अवधि के दौरान नई परियोजनाओं को शुरू करने से बचना चाहिए. इसके बजाए, आपको मौजूदा कार्य और उन कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो आपके पास हैं.
बुध वक्री के दौरान किसी यात्रा पर ना जाएं.
इस दौरान किसी भी निर्माण कार्य को अंजाम ना दें और साथ ही नया घर बनवाने का भी विचार दिमाग से निकाल दें.
बुध वक्री की अवधि के दौरान खरीदारी से बचें. इस अवधि के दौरान नई चीजें खरीदने पर आपको नुकसान का सामना करना पड़ेगा.
इस दौरान अपनी कमाई के पैसों का किसी बड़े कार्य में निवेश ना करें.
इस अवधि के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं या वाहनों को ठीक करना अनुकूल नहीं है और इसलिए, इससे बचना ही उचित रहेगा. साथ ही किसी भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को इंस्टॉल करने से दूर रहें.
नौकरी बदलने या अपने पेशे के संबंध में बड़े फैसले लेने से बचना चाहिए क्योंकि वे आपके लिए प्रतिकूल हो सकते हैं.
क्या करें-
बुध वक्री होने के बाद उन कार्यों पर फिर से विचार करना जरूरी है जिन्हें आप लम्बे वक्त से करते आ रहे हैं.
बुध वक्री के दौरान अपने पिछले अनुभवों से सीख जरूर लें, यह आपकी कार्य सूची के पहले स्थान पर होना चाहिए.
आपका अंतर्ज्ञान इस वक्त सबसे अच्छे रूप में होगा और बुध वक्री की वजह से आप भीड़ से अलग सोच पाने में सक्षम होंगें.
बुध के वक्री होने के बाद आपको अपने कौशल का भरपूर लाभ उठाना चाहिए. इस दौरान सही दिशा में कार्य करने वालों को निश्चित ही सफलता मिलती है.
इस अवधि के दौरान नए मंत्रों को अपनाना आपके लिए आसान होगा क्योंकि इस वक्त मंत्रों को अपनाने की शक्ति बढ़ जाएगी.
अगर आपका किसी के साथ मतभेद है तो इस वक्त आप उनसे अपने वाद विवाद सुलझा सकते हैं.
जन्म कुंडली में बुध वक्री का प्रभाव-
बुध वक्री का प्रभाव सभी 12 भावों पर विभिन्न प्रकार से होता है. जहां कुछ भावों के लिए यह शुभ फलदायी होगा तो कुछ भावों पर इसका नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल सकता है. जन्म कुंडली के विभिन्न भावों में बुध की वक्री का निम्नलिखित प्रभाव देखने को मिल सकता है.
पहले भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
प्रथम भाव में बुध वक्री होने से व्यक्ति विवेकीहीन हो जाता है. ऐसे में व्यक्ति जल्दबाजी में फैसला लेता है जो आगे चलकर उसके लिए घातक साबित होता है. जल्दबाजी में फैसला लेते समय व्यक्ति सोच-विचार कर फैसला नहीं लेता है.
दूसरे भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
दूसरे भाव में बुध वक्री होने से व्यक्ति की बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है. ऐसे में व्यक्ति के सोचने की क्षमता में भी वृद्धि होती है जो उन्हें भीड़ से अलग करता है.
तीसरे भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
तीसरे भाव में बुध वक्री होने से व्यक्ति दृढ़-निश्चयी होता है और वह साहसी बनता है. ऐसी स्थिति में व्यक्ति कई बार जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में रिस्क लेने से कतराता नहीं है. परिणाम स्वरुप कभी-कभी वह खुद को मुश्किल परिस्थितियों में भी डाल देता है.
चौथे भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
चौथे भाव में बुध के वक्री होने से व्यक्ति एक विलासता पूर्ण जीवन व्यतीत करता है. आय के विभिन्न स्रोतों का सृजन होता है जिससे धन लाभ होता है. जिस व्यक्ति के चौथे भाव में बुध वक्री करे तो वह व्यक्ति एक राजशाही जीवन व्यतीत करता है.
पांचवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
पंचम भाव में बुध की वक्री चाल संतानों में पुत्र जन्म की अपेक्षा कन्या जन्म को बढ़ाता है. अगर किसी स्त्री का जन्म बुध वक्री के दौरान होता है तो वह अपने परिवार के लिए भाग्यशाली होती है और उसके परिवार में खुशियां आती हैं.
छठे भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
छठे भाव में बुध की वक्री चाल व्यक्ति को नकारात्मक और मानसिक रूप से तनावपूर्ण बनाती है. ऐसे में व्यक्ति की वाणी कड़वी हो जाती है और दूसरों के साथ कठोरता से पेश आते हैं. ऐसे लोग आसानी से चिढ़ जाते हैं और पलक झपकते ही दूसरों के प्रति अपमानजनक शब्द बोलने लगते हैं.
सातवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
बुध की वक्री चाल सातवें भाव में होने से आकर्षक जीवनसाथी का साथ मिलता है. ऐसे लोगों के जीवनसाथी सुंदरता के पैमाने पर काफी आगे होते हैं.
आठवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
आठवें भाव में बुध वक्री होने से व्यक्ति अध्यात्म, धर्म और दर्शनशास्त्र की तरफ ज्यादा झुकाव महसूस करता है. इससे व्यक्ति के जीवनकाल में भी इजाफा होता है और अचानक ही धन लाभ होने की भी संभावना रहती है.
नौवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
नवम भाव में बुध की वक्री चाल, व्यक्ति को विद्वान् बनाती है. व्यक्ति असाधारण तर्क कौशल से संपन्न होता है. ऐसे लोग विशेष रूप से डॉक्टर या वैज्ञानिक ही बनते हैं.
दशवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
बुध की वक्री चाल दशवें भाव में होने से व्यक्ति को किसी पैतृक संपत्ति का लाभ मिलता है. ऐसे लोगों को उनके पूर्वजों का ख़ासा लाभ मिलता है और माता-पिता उनके जीवन को सफल बनाने में विशेष योगदान देते हैं. वह अपने पूर्वजों के कड़े परिश्रम की वजह से कभी भी गरीबी का मुंह नहीं देखते हैं.
ग्यारहवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
अगर किसी व्यक्ति के ग्यारहवें भाव में बुध की वक्री होती है तो उनका जीवन दीर्घायु होता है और जीवन में खुशियों का संचय होता है. ऐसे व्यक्ति एक सुखी जीवन जीते हैं और जिंदगी के हर पल का आनंद उठाते हैं. उनकी उम्र भी लंबी होती है.
बारहवें भाव में बुध की वक्री चाल का प्रभाव-
बारहवें भाव में बुध वक्री होने से, व्यक्ति जिंदगी की सभी मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने से नहीं घबराता है. ऐसे लोग अपने दुश्मन के सामने कभी झुकते नहीं हैं. इसके अलावा उनका झुकाव अध्यात्म और धर्म-कर्म की ओर होता है.
(Astrosage)