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धर्म

ज्योतिष का दावा- सूर्यग्रहण पर कहर बरपा सकता है कोरोना

रोशन जायसवाल
  • 17 जून 2020,
  • अपडेटेड 7:29 AM IST
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इस नए संवत वर्ष का पहला सूर्यग्रहण 21 जून को लगने वाला है. ज्योतिष के लिहाज से यह सूर्यग्रहण अपने साथ तमाम प्राकृतिक आपदाओं के साथ महामारी को बढ़ाने वाला है. जिसका असर 20 जुलाई तक दिखाई पड़ेगा. इस अशुभ सूर्यग्रहण के पीछे ज्योतिष यह वजह बताते हैं कि 6 ग्रहों का वक्री यानी उल्टी दिशा में चलना है.

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चंद्र या सूर्यग्रहण भले ही खगोलीय घटना हो, लेकिन धर्म शास्त्रों और ज्योतिष विज्ञान में इसके अपने ही मायने होते हैं. मौजूदा कोरोना महामारी के दौर में लगने वाला संवत का पहला सूर्यग्रहण भी जब ज्योतिष के लिहाज से देखा गया तो यह उसमें भी काफी अशुभ पाया गया. इस बारे में और जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि कृष्ण अमावस्या के आषाढ़ मास में इस संवत का पहला सूर्य ग्रहण सौर्य मंडल में दृश्यमान होगा. यह ग्रहण काफी लंबे समय तक चलेगा.


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कब लगेगा ग्रहण

भारतीय सार्वभौमिक परिदृश्य के मुताबिक या ग्रहण प्रातः काल में पूरे भारत में 9 बजकर 16 मिनट पर लगेगा और दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर इसका मध्यकाल होगा और इसका मोक्ष काल दोपहर में ही 3 बजकर 4 मिनट में संपन्न होगा. जिस स्थान पर हम निवास करते हैं, उस समय से सार्वभौमिक समय में अंतर होता है. चंद्र ग्रहण 5 जून को पढ़ने के पश्चात जो कि भारतीय जनमानस को दिखाई नहीं पड़ा था. इसकी कोई शास्त्री मान्यता भी नहीं थी लेकिन यह सूर्य ग्रहण बहुत ही बड़ा सूर्य ग्रहण है और इसका फल उत्तम नहीं है. ना केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी यह रोग और महामारी का चरमोत्कर्ष काल लेकर आने वाला ग्रहण है.

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संभल कर रहने की आवश्यकता

उन्होंने आगे बताया कि वाराणसी में यह ग्रहण 10 बजकर 31 मिनट पर दिखाई पड़ेगा. ग्रहण काल में 6 ग्रह वक्री है यानी वह अपनी दिशा से उल्टे चल रहे हैं. इसकी वजह से रोग, महामारी में वृद्धि और अभी से भूकंप जैसी घटनाएं भी दिखाई पड़ रही हैं. बाढ़, प्लावन, तूफान की भी संभावना बनी रहेगी और कृषि को बहुत ही नुकसान पहुंचेगा.  इस वर्ष का 5 जून से 20 जुलाई का वक्त अच्छा नहीं कहा जा सकता है. बहुत ही संभाल कर रहने की आवश्यकता है. सूर्य देव और भगवान शंकर की आराधना करना चाहिए.

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ग्रहण के प्रभाव का ग्रंथों में ये है उल्लेख

ज्योतिषार्य एवं संगठन मंत्री पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि जहां तक ग्रहण काल की वजह से पड़ने वाले प्रभाव की बात है तो ग्रंथों में इसका उल्लेख 6 माह तक के लिए किया गया है. लेकिन 21 जून को पढ़ने वाले सूर्य ग्रहण का चरमोत्कर्ष काल उसके एक पखवाड़े यानी 15 दिन तक होना चाहिए. सूर्यग्रहण के चलते कोरोना जैसी महामारी और बढ़ेगी इस ग्रहण का प्रभाव बीते 5 जून से दिखना शुरू हो गया है जो आगे 20 जुलाई तक देखने को मिलेगा और इस दौरान लोगों को काफी तकलीफें भी उठानी पड़ेगी.

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राशियों पर पढ़ेगा सूर्यग्रहण का ऐसा असर

उन्होंने आगे बताया कि अलग-अलग राशियों पर सूर्यग्रहण का अलग-अलग असर देखने को मिलेगा. मेष, सिंह, मकर और कन्या राशि पर सूर्य ग्रहण असर अच्छा मिलेगा. वृष, मिथुन, तुला, धनु और कुंभ राशि वालों के लिए यह फल मध्यम फलदाई होगा और कर्क, वृश्चिक, मीन राशि वाले लोगों के लिए सूर्य ग्रहण का फल अशुभ साबित होगा. उन्होंने आगे बताया कि ग्रहण के लिए दान पुण्य करना चाहिए. स्नान गंगा में ना जाकर, घर में ही एक थाल में जल रखकर अपने ऊपर जल का छिड़काव करके मां गंगा का स्मरण करना चाहिए. इससे ग्रहण स्नान का पुण्य फल मिल जाएगा.

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