रमजान उल मुबारक का पवित्र महीना शनिवार से शुरू हो गया है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, ये महीना साल का 9वां महीना होता है. वहीं इस महीने को इबादत का महीना भी कहा जाता है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग नियमों के अनुसार रोजा रखते हैं, कुरान की तिलावत और पांच वक्त की नमाज व तरावीह पढ़ते हैं. इस महीने को इबादत का महीना भी कहा जाता है. शनिवार को पहला इफ्तार था. लॉकडाउन के चलते बंदिशें तो थीं, लेकिन इससे लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ. जरूरत के सामानों की दुकान पर शनिवार रात से ही लोग खरीदारी कर रहे थे. शनिवार को भी लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग की एहतियात बरतते हुए जरूरी सामान खरीदे. शाम को लोगों ने इफ्तार किया.
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रमजान के महीने की शुरुआत चांद देखकर की जाती है. चांद शुक्रवार की शाम को देखा गया, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शनिवार से रोजा रखना शुरू कर दिया. मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए ये महीना साल का सबसे पवित्र महीना होता है.
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मुस्लिमों का मानना है कि इस महीने में अल्लाह अपने बंदों को बेशुमार रहमतों से नवाजता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस महीने में दोजख का दरवाजा बंद कर जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है.
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रमजान का पहला अशरा रहमत, दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा अशरा दोजख से आजादी दिलाने का होता है. रमजान की 21वीं शब को ही पैगंबर इस्लाम रसुलल्लाह सल्लाहो अलैहे वसल्लम पर कुरान शरीफ नाजिल हुई.
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रमजान के इस पूरे महीने में लोग खुदा की रहमत पाने के लिए पूरे 29 या 30 दिन रोजा रखते हैं. इस पूरे महीने मुस्लिम समुदाय के लोग अपने भाई व रिश्तेदारों के साथ एक साथ मस्जिद में नमाज अदा करते हैं. वहीं इस साल रमजान के महीने में देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखने के लिए मस्जिदों से घर पर ही नमाज और तरावीह पढ़ने का ऐलान किया गया है.
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