Sanatan Sant Sammelan 2025: स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज ने सनातन परंपरा और भारत के भविष्य को लेकर चिंता जाहिर की है. स्वामी गिरी ने शनिवार को नई दिल्ली में कहा कि आज लाल किले से लेकर पहलगाम तक देश पर आतंकी साया मंडरा रहा है. देश की जड़ों को न सिर्फ बाहरी, बल्कि अंदरूनी दीमकों ने खोखला कर दिया है. माताएं-बहनें कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. इसलिए हमें एक होने की जरूरत है. हमें इजरायल से सीखना चाहिए, जो चारों तरफ से दुश्मन देशों से घिरा हुआ है. लेकिन अपनी सुरक्षा के घेरे को कमजोर नहीं होने दे रहा.
स्वामी गिरी ने भारत मंडपम में आयोजित 'सनातन संत सम्मेलन 2025' में कहा कि हमें एक शूर समाज का निर्माण करना होगा. उन्होंने कहा कि अगर हमें खुद की रक्षा करनी है तो हमें गुरु गोबिंद सिंह से प्रेरणा लेनी चाहिए. यदि हम यूं ही सोते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब भारत की स्थिति बांग्लादेश जैसी हो जाएगी. सनातन संस्कृति समग्र और प्रकृति के अनुकूल संस्कृति है. हमारे ऋषि-मुनियों ने अपने ज्ञान, तप और त्याग से इसे समृद्ध बनाया है.
भारत को प्रलोभन और भय से बांटा गया: स्वामी गिरी
स्वामी गिरी ने आगे कहा, 'हमारा देश समृद्धि के शिखर पर था. शौर्य और पराक्रम में पीछे नहीं था. सर्वे भवन्तु सुखिनः की विचारधारा रखने वाला भारत इकलौता ऐसा देश है, जिसने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया. फिर भी इसे गुलाम रहना पड़ा. इसका कारण है कि कई तरह के प्रलोभन और भय से समाज को बांटा गया. वैचारिक मतभेद पैदा किए गए.'
उन्होंने कहा कि आज जिन संतों में इस वैचारिक मतभेद को दूर करने का सामर्थ्य है, उन्हें इस समाज में पुन: एकत्व का विचार जागृत करना चाहिए. ताकि हमारी वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को भी सनातन परंपरा का बोध कराया जा सके.
साइंस बेस्ड सनातन की शिक्षा की जरूरत: देवकीनंदन ठाकुर
इस मौके पर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने भी लोगों को संबोधित किया. उन्होंने सनातन परंपरा का महत्व समझाते हुए कहा, 'चर्च आए तो मॉडर्न स्कूल आए. मस्जिदें आईं तो मदरसे आए. लेकिन मंदिर आए तो गुरुकुल नहीं आए. इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं, क्योंकि हमने अपने बच्चों को सनातन परंपरा के बारे में कुछ नहीं सिखाया. हमारी युवा पीढ़ी में सनातन धर्म रील तक सिमटकर रह गया है. रीयल लाइफ में इसका संबंध किसी से नहीं है. इसलिए हमें ऐसे स्कूलों का निर्माण करना चाहिए जहां साइंस बेस्ड सनातन की शिक्षा दी जाती हो. इससे भारतवर्ष की उन्नति और सनातन परंपरा का संरक्षण दोनों उद्देश्य पूरे होंगे.'
बता दें कि भारत मंडपम में आयोजित 'सनातन संत सम्मेलन 2025' में हिस्सा लेने देशभर से करीब 300 साधु-संत पहुंचे थे. इसका उद्देश्य सनातन संस्कृति के संरक्षण और अनंत इतिहास को लोगों तक पहुंचाना था. ताकि धर्म, समाज और संस्कृति के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सके. वृंदावन के मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर और जैनाचार्य गुरु डॉ. लोकेश मुनि जैसे संतों ने इस कार्यक्रम को अपनी उपस्थिति से खास बनाया.
सुमित कुमार