Kaal Bhairav Jayanti 2021: काल भैरव जयंती पर आज भूलकर भी न करें ये 5 काम, चूके तो शुरू हो जाएगा बुरा समय, जानें पूजा विधि

Kaal Bhairav Jayanti 2021: भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की आज जयंती है. इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान काल भैरव का अवतरण हुआ था. इस दिन विधि विधान से पूजा किए जाने से भय और अवसाद का नाश होता है, साथ ही महादेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.

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Kaal Bhairav Jayanti 2021 Kaal Bhairav Jayanti 2021

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:12 AM IST
  • काल भैरव की पूजा से भय और अवसाद का होता है नाश
  • किसी का अहित कराने के लिए ना करें काल भैरव की पूजा

Kaal Bhairav Jayanti 2021: भगवान काल भैरव की जयंती आज 27 नवंबर दिन शनिवार को मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जा रही है. मान्यता के अनुसार पूजन से प्रसन्न होकर भगवान काल भैरव सुख और समृद्धि का आशीर्वाद ही नहीं देते हैं, बल्कि व्यक्ति के जीवन से भय और अवसाद का नाश भी करते हैं. ज्योतिष में इस दिन कुछ कार्य निषेध बताए गये हैं, जिन्हें करने से बचना चाहिए. यहां देखें पूजा विधि और इस दिन क्या करें, क्या न करें ?

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इन नियमों का करें पालन
1- भगवान भैरव के समक्ष सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं. 
2- पूजा में बिल्व पत्रों पर चन्दन से ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं.
3- भगवान काल भैरव कुत्ते की सवारी करते हैं. ऐसे में इस दिन यदि आप किसी काले कुत्ते को मीठी रोटी और गुड़ के पुए खिलाते हैं तो आपके जीवन से तमाम कष्ट और परेशानियां अवश्य दूर हो जाएंगे. 
4- यदि किसी व्यक्ति के ऊपर भूत, प्रेत या ऊपरी बाधा का साया है तो काल भैरव जयंती के दिन ‘ॐ काल भैरवाय नमः’ मंत्र का जाप करना और काल भैरव अष्टक का पाठ करना शुभ होता है. 

भूलकर भी न करें ये 5 काम
1- काल भैरव जयंती के दिन झूठ ना बोलें और नाहीं किसी को दुख, कष्ट और परेशानियां दें. 
2- गृहस्थ लोगों को भगवान भैरव की तामसिक पूजा का विधान बताया गया है. 
3- भगवान भैरव के बटुक भैरव स्वरूप की पूजा करें क्योंकि यह भगवान भैरव का सौम्य स्वरूप होते हैं. 
4- विशेष तौर पर इस दिन किसी भी कुत्ते, गाय, आदि जानवर के साथ गलत व्यवहार और हिंसक व्यवहार ना करें. 
5- भगवान काल भैरव की पूजा किसी का अहित कराने के लिए ना करें.

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इस तरह करें पूजा
अष्टमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठें और इस दिन व्रत का संकल्प लें.  इसके बाद स्नान आदि करने के बाद साफ स्वच्छ कपड़े पहनें.  पूजा स्थल पर भगवान शिव के सामने दीपक जलाएं और पूजा करें. बता दें भगवान काल भैरव की पूजा रात्रि में करने का विधान है. इस दिन शाम को किसी मंदिर में जाएं और भगवान भैरव की प्रतिमा के सामने चार मुख वाला दीपक प्रज्वलित करें. भोग में इस दिन भगवान काल भैरव को इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल, और इनके साथ फूल आदि अर्पित करें. इसके बाद काल भैरव चालीसा का पाठ करें. पूजा पूरी होने के बाद काल भैरव भगवान की आरती करें और उनसे अनजाने से भी गलती की माफी मांगें.

 

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