जिहाद शब्द फिर से एक बार सुर्खियों में है. इस मुद्दे पर मुस्लिम समाज के दो बड़े नेता आमने-सामने हैं. जमात-ए-उलेमा हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी और बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जिहाद शब्द को लेकर एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. दोनों ही जिहाद का अर्थ जुल्म के खिलाफ उठाई जाने वाली आवाज को बता रहे हैं. कैसे उनके बीच मतभेद हैं?
मौलाना महमूद मदनी ने भोपाल में जमीयत उलमा-ए-हिंद के कार्यक्रम में कहा कि इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों ने जिहाद जैसे इस्लाम के पवित्र विचारों को गलत इस्तेमाल, गड़बड़ी और हिंसा से जुड़े शब्दों में बदल दिया है. जिहाद का प्रयोग जहां जंग के लिए हुआ है, वह भी जुल्म और फसाद के खात्मे के लिए हुआ है. इसलिए जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा, मैं इसको दोहराते हुए कहता हूं कि जब-जब जुल्म होगा तब तब जिहाद होगा.
वहीं, आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि किसी गरीब पर जुल्म और उत्पीड़ने के खिलाफ आवाज उठाना बेशक जिहाद है, लेकिन ये लोग बच्चों को जिहाद की परिभाषा क्या पढ़ाते हैं.देवबंद में पढ़ाई जाने वाली कुछ पुस्तकों का हवाला देते हुए कहा कि बच्चों को शरीयत में जिहाद की परिभाषा बताते हैं कि कोई व्यक्ति इस्लाम को न माने तो उसके खिलाफ लड़ना जिहाद माना जाता है. उन्होंने कहा- यह बात, मेरी नहीं बल्कि उनकी किताब से है. कुरान जबरन धर्म परिवर्तन की बात नहीं करता. जिहाद का मतलब इंसानियत की रक्षा है.
जिहाद का मतलब क्या है
जिहाद शब्द का अलग-अलग अर्थ निकाले जाते हैं, जिसके चलते आज समाज में जिहाद को नकारात्मक रूप में देखा जाता है. ऐसे में जिहाद को कुरान की रोशनी और पैगम्बर मुहम्मद साहब के कथनों से लिहाज से देखें. जिहाद अरबी का शब्द है, जिसका अर्थ 'संघर्ष करना'.
अरबी भाषा में हर प्रकार के संघर्ष के लिए जिहाद का उपयोग होता है. हदीस के हवाले से चार तरह के जिहाद माने हैं, जो हैं, दिल से, जबान से, हाथ से और तलवार से. दिल से जिहाद का अर्थ है अपने भीतर बसी बुराइयों के शैतान से लड़ना.
जुबान से जिहाद का अर्थ है सच बोलना और इस्लाम के पैगाम को व्यक्त करना. हाथ से जिहाद का मतलब है अन्याय या गलत का शारीरिक बल से मुकाबला करना, जिसमें हथियार वर्जित है. चौथा तलवारी या सशस्त्र जिहाद है, जो सब जानते ही हैं.
जिहाद का अर्थ क्या युद्ध नहीं
इस्लामी स्कॉलर मुफ्ती ओसामा नदवी कहते हैं कि जिहाद का अर्थ इस्लाम में युद्ध से नहीं है. जिहाद को महज युद्ध से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि अरबी-इस्लाम में भाषा में युद्ध के लिए अलग शब्द 'गजवा' या 'मगाजी' का उपयोग किया जाता है. जिहाद को लेकर बहुत गलतफहमियां हैं. मौजूदा दौर में मुस्लिम जगत के कट्टरपंथियों ने मारकाट को जिहाद मान लिया. वहीं, पश्चिमी जगत जिहाद को 'पवित्र युद्ध' के रूप में पेश करता हैइस्लाम में कुरान और हदीस के हिसाब से दोनों व्याख्याएं गलत हैं.
जिहाद शब्द कैसे आया सामने
ओसामा नदवी कहते हैं किजिहाद अरबी के जहद शब्द से बना है.इसका अर्थ है संघर्ष करना, प्रयास करना है. कुरान में जिहाद के मुख्य दो प्रकार के हैं, जिसमें जिहाद अल-अकबर और जिहाद अल-असगर है. अकबर का अर्थ है बहुत बड़ा, महान या श्रेष्ठ. असर का मतलब है बहुत छोटा. इस तरह जिहाद अल-अकबर श्रेष्ठ जिहाद जबकि जिहाद अल-असगर छोटे दर्जे का जिहाद. इस तरह जिहाद अल-अकबर इस्लामिक अध्यात्म और नैतिकता से जुड़ा है.
कुरान और इस्लाम में जिहाद अल-अकबर जो कि खुद अपने अंदर की बुराइयों से लड़ना बड़ा जिहाद है. तलवार की लड़ाई छोटी लड़ाई है, जिसका जिक्र जिहाद अल-असगर में मिलता है. मौलाना महमदू मदनी और आरिफ मोहम्मद खान दोनों ही मानते हैं कि बुराई के खिलाफ आवाज उठाना और पीड़ित के लिए खड़े होना ही असल जिहाद है, लेकिन उसके बाद भी जिहाद को क्यों मारकाट से जोड़कर देखा जाता है.
जिहाद अल-असगर का मतलब
जिहाद अल-असगर में काफिरों और पाखंडियों के खिलाफ संघर्ष के लिए है. इसे दो हिस्सों में बांटकर देखा जाता है. पहला, लेखन-जुबानी जिहाद और दूसरा किताल जिहाद. पहले हिस्से में समाज में जब जुल्म बढ़ जाए. बुराई अच्छाई पर हावी होने लग जाए. अच्छाई बुराई के आगे हार मानने लग जाए. हक पर चलने वालो को ज़ुल्म व सितम सहन करना पड़े तो उसको रोकने की कोशिश (जद्दो जेहद) करना और उसके लिए बलिदान देना ही 'जिहाद अल-असगर' है.
जिहाद किताल का मायने क्या है?
किताली जिहाद को पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने सैनिक शक्ति के प्रयोग के लिए किया है, लेकिन इसे निम्न जिहाद माना. इस अर्थ में यह शब्द अपने बचाव के लिए हैं. इसके अलावा, इस्लाम और मुसलमानों की रक्षा के लिए प्रयोग होता है. पैगंबर जब मक्के से मदीने गए तो मक्के के उनके विरोधी जंग करने के लिए आए थे. ऐसे में नवगठित मुस्लिम समाज को सुरक्षा और स्थायित्व का खतरा, जिसके लिए किताली जिहाद किया गया.
जिहाद 'सब्र' से लेकर 'किताल' यानी मक्का के अत्याचारियों के खिलाफ आत्मरक्षा में मारकाट और हत्याओं तक बदल गया.दुनिया भर में किताली जिहाद ही गुरिल्ला या सैनिक युद्ध ही सबसे बड़ा जिहाद बन गया है. जिहाद 'सब्र' से 'सैफ' तक बदल गया. सैफ का मतलब सशस्त्र युद्ध से है.
दुनिया भर में आज जो हो रहा है, उसे इसे जोड़कर देखा जाता है. जिहाद एक समय कथित मुशरिकों, गैर-मुस्लिमों के खिलाफ हुआ करता था. मुस्लिम जगत में कट्टरपंथियों का एक मुस्लिम गुट दूसरे मुस्लिम समूह के विरुद्ध जिहाद पुकारता है. इस तरह से जिहाद का अर्थ ही सशस्त्र युद्ध बन गया है. इस तरह जिहाद की कुरान की मूल संकल्पना से पूरी तरह से बदला हुआ दिखता है.
कुबूल अहमद