Indresh Upadhyay: जो सोएगा, वो खोएगा! दिवाली से कम नहीं ये 3 दिव्य रातें, कथावाचक इंद्रेश ने बताया

Indresh Upadhyay Shipra Sharma: हरियाणा की शिप्रा शर्मा संग शादी के बंधन में बंधे वृंदावन के कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय के प्रवचन सोशल मीडिया खूब वायरल होते हैं. हाल ही में उन्होंने साल की चार सबसे दिव्य रातों का महत्व बताते हुए कहा था कि इन विशेष रातों में कभी नहीं सोना चाहिए.

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कथावाचक इंद्रेश ने एक प्रवचन में साल की चार सबसे दिव्य रातों के बारे में बताया था. (Photo: Instagram/Bhaktipath) कथावाचक इंद्रेश ने एक प्रवचन में साल की चार सबसे दिव्य रातों के बारे में बताया था. (Photo: Instagram/Bhaktipath)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST

Indresh Upadhyay Shipra Sharma: वृंदावन के मशहूर कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय ने बीते शुक्रवार को हरियाणा की शिप्रा शर्मा संग शादी के सात फेरे लिए. उनके विवाह का रंगारंग कार्यक्रम जयपुर में संपन्न हुआ. जहां देश के कई बड़े साधु-संत और नामचीन हस्तियों ने दस्तक दी. इंद्रेश-शिप्रा के विवाह की तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. देश-दुनिया में लाखों लोग इंद्रेश के प्रवचन सुनते हैं. कुछ दिन पहले ही उन्होंने एक प्रवचन में साल की चार सबसे दिव्य रातों के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था कि इन चमत्कारी रातों पर आदमी को कभी नहीं सोना चाहिए. आइए जानते हैं कि ये चार दिव्य रातें कौन सी हैं.

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1. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय ने इस प्रवचन में कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात भक्तों को बिल्कुल नहीं सोना चाहिए. क्योंकि जन्माष्टमी की रात ही ठाकुरजी का प्राकट्य हुआ था. इसलिए न तो इस रात ठाकुरजी सोते हैं और न ही उनके भक्तों को सोना चाहिए. यह दिव्य रात भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है.

2. शरद पूर्णिमा
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. कथावाचक इंद्रेश ने बताया कि ये वही रात है, जब ठाकुरजी ने पूरी रात रास रचाया था. इसलिए अगर रातभर श्रीकृष्ण जी रास रचा रहे हैं तो भला उनके भक्त कैसे सो सकते हैं. उन्हें भी रातभर उत्सव मनाना चाहिए.

3. देवउठनी एकादशी
कार्तिक शुक्ल एकादशी को आने वाली देवउठनी एकादशी को भी भक्तों को रात्रि जागरण करना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने बाद नींद से जागते हैं और तब शुभ-मांगलिक कार्यों पर लगी पाबंदी हटती है. इसलिए देवउठनी एकादशी पर सोने की बजाए भगवान के मंत्रों का जाप और पूजा-पाठ करनी चाहिए.

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4. दीपावली
कार्तिक अमावस्या की दिव्य रात यानी दीपावली की शुभ रात्रि पर भी हमें कभी नहीं सोना चाहिए. क्योंकि दीपावली की रात ही कन्हैया ने बृजवासियों संग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाई थी. गिरीराज जी की परिक्रमा संपन्न हुई तभी तो उनका पूजन किया गया. इसलिए इस रात भी हमारे ठाकुरजी सोए नहीं थे. यही कारण है कि दीपोत्सव की रात भी हमें कभी नहीं सोना चाहिए.

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