आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. शास्त्रों में गुरु को ईश्वर से भी बड़ा दर्जा दिया गया है, इसलिए इस दिन गुरू पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. यह दिन महर्षि वेदव्यास को समर्पित है और इस दिन देवगुरु बृहस्पति की भी पूजा की जाती है. गुरु पूर्णिमा के कुछ खास नियम भी होते हैं. आइए आज गुरु पूर्णिमा पर आपको उन गलतियों के बारे में बताते हैं जो कभी गुरु के सामने नहीं करनी चाहिए.
1. शास्त्रों के अनुसार, गुरु के आसन पर शिष्य को कभी नहीं बैठना चाहिए. गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर होता है. इसलिए गुरु के आसन पर बैठना ना केवल गुरु का अपमान है, बल्कि ईश्वर की भी अवमानना है.
2. गुरु के समक्ष कभी किसी चीज का सहारा लेकर ना खड़े हों. उनके मुख की ओर कभी पैर करके ना बैठें. ऐसा करने से भी गुरु का अपमान होता है.
3. गुरु के सामने कभी अभद्र भाषा का प्रयोग ना करें. अक्सर गुस्से में लोगों की जुबान से कुछ भी निकल जाता है. याद रहे कि गुरु के मन को ठेस पहुंचाने वाले अपशब्द कभी जुबान पर नहीं लाने चाहिए.
4. गुरु के सामने आकर कभी दौलत-शोहरत का रौब नहीं दिखाना चाहिए. याद रहे कि गुरु की वाणी का एक-एक शब्द आपकी तमाम संपत्ति पर भारी है. उनके ज्ञान का मोल कभी नहीं चुकाया जा सकता.
5. हमें भूलकर भी कभी गुरु की बुराई किसी और के आगे नहीं करनी चाहिए. यह घोर अनर्थ है. यदि कोई दूसरा व्यक्ति भी ऐसा कर रहा है तो संयमित होकर उसे रोकने का प्रयास करें.
गुरु पूर्णिमा पर कैसे करें गुरु की पूजा?
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को उच्च आसन पर बैठाएं. उनके चरण जल से धुलाएं और पोंछे. फिर उनके चरणों में पीले या सफेद पुष्प अर्पित करें. इसके बाद उन्हें श्वेत या पीले वस्त्र दें. उन्हें फल, मिठाई दक्षिणा अर्पित करें. इसके बाद गुरु से अपना दायित्व स्वीकार करने की प्रार्थना करें.
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