Dhanteras 2024: धनतेरस पर क्यों जलाया जाता है 'यम का दीपक', जानें इसका महत्व, मुहूर्त और विधि

Dhanteras 2024: धनतेरस के दिन सोने-चांदी और नए बर्तनों की खरीदारी करना बहुत शुभ माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस की रात एक खास प्रयोग करने से दुर्घटना या अकाल मृत्यु का संकट सिर से टल जाता है.

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धनतेरस की शाम भगवान कुबेर और धनवतंरी की पूजा के बाद यमराज के नाम का दीपक जलाया जाता है. कहते हैं कि यह दीपक जलाने से अकाल मृत्यु और दुर्घटना का भय टल जाता है. धनतेरस की शाम भगवान कुबेर और धनवतंरी की पूजा के बाद यमराज के नाम का दीपक जलाया जाता है. कहते हैं कि यह दीपक जलाने से अकाल मृत्यु और दुर्घटना का भय टल जाता है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST

Dhanteras 2024: हर साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन सोने-चांदी और नए बर्तनों की खरीदारी करना बहुत शुभ माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस की रात एक खास प्रयोग करने से दुर्घटना या अकाल मृत्यु का संकट सिर से टल जाता है. धनतेरस की शाम को धनवंतरी और भगवान कुबेर की पूजा के बाद एक खास उपाय किया जाता है.

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धनतेरस पर 'यम का दीपक' क्यों जलाते हैं?
धनतेरस की शाम भगवान कुबेर और धनवतंरी की पूजा के बाद यमराज के नाम का दीपक जलाया जाता है. कहते हैं कि यह दीपक जलाने से अकाल मृत्यु और दुर्घटना का भय टल जाता है.

कैसे जलाएं यम का दीपक?
यम का दीपक जलाने के लिए मिट्टी का एक बड़ा और चौमुखा दीपक लें. इसमें चार बत्तियां लगाएं और सरसों का तेल भर दें. फिर शाम को प्रदोष काल में परिवार के सारे सदस्यों की उपस्थिति में इस दीपक को जलाएं. इस दीपक को घर के कोने-कोने में ले जाएं. इसके बाद इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर रख दें.

यम का दीपक जलाने का मुहूर्त
धनतेरस पर यम का दीपक जलाने का मुहूर्त 29 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहने वाला है. इसी अवधि में यम का दीपक प्रज्जवलित करें.

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दीपक जलाने के पीछे की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, किसी राज्य में हेम नामक राजा था. ईश्वर की कृपा से उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ. बेटे की कुंडली में लिखा था कि शादी के चार दिन बाद राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी. ऐसे में राजा ने उसे ऐसी जगह भेज दिया, जहां किसी लड़की की परछाई भी उस पर न पड़े लेकिन वहां उन्होंने एक राजकुमारी से विवाह कर लिया.

रीति के अनुसार, विवाह के चौथे दिन यमराज के दूत राजकुमार के पास आ गए. राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी और दूतों से अकाल मृत्यु से बचने का उपाय जाना. दूतों ने ये सारी बातें यमराज को बताई. तब यमराज ने कहा कि मृत्यु अटल है. लेकिन धनतेरस के दिन यानी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन जो व्यक्ति दीप प्रज्जवलित करेगा, वह अकाल मृत्यु से बच सकता है. यही वजह है कि हर साल धनतेरस पर यम का दीपक जलाने की परंपरा है.

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