Pradosh Vrat 2022: सावन का दूसरा और आखिरी प्रदोष व्रत कब है? शुभ मुहूर्त और पूजन विधि भी जानें

Sawan 2022 Last Pradosh Vrat: मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहते हैं. इस दिन मंगला गौरी व्रत भी है. इसलिए इस दिन शिवजी, मां मंगला गौरी और हनुमानजी तीनों की पूजा होगी. कहते हैं कि इस दिन भोलेनाथ की उपासना से हर दोष का नाश होता है. यहीं नहीं, इस दिन महादेव के रुद्रावतार कहे जाने वाली हनुमान जी की उपासना करने से शत्रुओं की शांति भी भंग हो जाती है.

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Pradosh Vrat 2022: सावन का दूसरा और आखिरी प्रदोष व्रत कब है? शुभ मुहूर्त और पूजन विधि भी जानें Pradosh Vrat 2022: सावन का दूसरा और आखिरी प्रदोष व्रत कब है? शुभ मुहूर्त और पूजन विधि भी जानें

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 11:49 AM IST

सावन माह का दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है. सावन का दूसरा प्रदोष व्रत मंगलवार, 09 अगस्त को पड़ रहा है. मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहते हैं. इस दिन मंगला गौरी व्रत भी है. इसलिए इस दिन शिवजी, मां मंगला गौरी और हनुमानजी तीनों की पूजा होगी. कहते हैं कि इस दिन भोलेनाथ की उपासना से हर दोष का नाश होता है. यहीं नहीं, इस दिन महादेव के रुद्रावतार कहे जाने वाली हनुमान जी की उपासना करने से शत्रुओं की शांति भी भंग हो जाती है. 

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भौम प्रदोष की उपासना में शिव जी और हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है. महादेव की पूजा से पापों का नाश होता है और हनुमान की उपासना से जीवन में आ रहीं बाधाएं खत्म हो जाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि भौम प्रदोष का व्रत करके शाम की पूजा करने वाले भक्तों की मंगल संबंधी परेशानियों को भी महादेव दूर करते हैं.

भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
सावन मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 9 अगस्त, मंगलवार की शाम 5 बजकर 45 मिनट से लेकर अगले दिन बुधवार, 10 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 15 मिनट तक रहेगी. भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए प्रदोष का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त को शाम 7 बजकर 06 मिनट से रात 9 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. यानी भगवान शिव की पूजा के लिए आपको दो घंटे से भी ज्यादा का समय मिलेगा.

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भौम प्रदोष व्रत की पूजा
भौम प्रदोष व्रत के दि संध्या काल में स्नान करने के बाद संध्या-वंदना करें. इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें. घर के ईशान कोण में शिव जी की स्थापना करें. शिव जी को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें. कुश के आसन पर बैठकर शिव जी के मंत्रों का जाप करें. ‘ओम नम: शिवाय’ या फिर महामृत्युजंय मंत्र का जाप सर्वोत्तम होगा. इसके बाद अपनी समस्याओं के अंत होने की प्रार्थना करें. निर्धनों को भोजन कराएं. शिव की पूजा प्रदोष काल में कर लें तो और भी उत्तम होगा. शाम के समय हनुमान चालीसा का पाठ करना भी लाभदायी होगा.

 

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