Sarva Pitru Amavasya 2025: कब है सर्व पितृ अमावस्या? जानें तर्पण का शुभ समय, महत्व और तारीख

Sarva Pitru Amavasya 2025: हर साल पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन होता है. आश्विन माह की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. इस साल यह दिन 21 सितंबर को पड़ रहा है.

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सर्व पितृ अमावस्या पर जरूर करें ये काम (Photo: Ai Generated) सर्व पितृ अमावस्या पर जरूर करें ये काम (Photo: Ai Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

Sarva Pitru Amavasya 2025: सनातन धर्म में सर्वपितृ अमावस्या को विशेष स्थान प्राप्त है. पितृपक्ष के दौरान यदि किसी कारणवश पूर्वजों का श्राद्ध न हो पाए, तो इस दिन तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. इसी पावन दिन के बाद शारदीय नवरात्र का आरंभ होता है. पितृ पक्ष का आखिरी दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या को पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए एक खास दिन माना गया है.

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सर्वपितृ अमावस्या 2025 की तिथि (Sarva Pitru Amavasya 2025 Tithi)

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अमावस्या तिथि की शुरूआत 21 सितंबर रात 12 बजकर 16 मिनट पर होगी. इसका समापन 22 सितंबर को रात 1 बजकर 23 मिनट पर होगा. ऐसे में इस साल सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर को मनाई जाएगी.

तर्पण और पिंडदान के शुभ मुहूर्त (Sarva Pitru Amavasya 2025 Tarpan Muhurat)

सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण करने के लिए शुभ कुछ इस प्रकार रहेंगे- कुतुप मुहूर्त सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक रहेगा. रौहिण मुहूर्त दोपहर 12:38 बजे से 1:27 बजे तक है और अपराह्न काल दोपहर 1:27 बजे से शाम 3:53 बजे तक है. मान्यता है कि इन मुहूर्तों में किया गया तर्पण और पिंडदान सबसे अधिक फलदायी माना जाता है.

क्यों कहा जाता है सर्वपितृ अमावस्या?

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शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन किए गए श्राद्ध और तर्पण से सभी पितरों की आत्मा तृप्त होती है. इसी कारण इसे “सर्वपितृ अमावस्या” अर्थात सभी पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाली अमावस्या कहा जाता है.

इस दिन करें ये शुभ कार्य

प्रातःकाल स्नान करें पितरों की शांति की कामना करें. यदि संभव हो तो इस दिन नदी स्नान में स्नान करें. सा ही पितरों के लिए विधिपूर्वक तर्पण और पिंडदान करें. गाय, कुत्ते, कौवे, चींटी और देवताओं के लिए भोजन निकालें. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी क्षमता अनुसार दान-दक्षिणा दें. मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

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