पितृपक्ष में पड़ गया है जन्मदिन तो मनाएं या नहीं? सोशल मीडिया पर वायरल इस सवाल पर क्या कहते हैं शास्त्र

पितृपक्ष के दौरान जन्मदिन मनाने को लेकर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं. शास्त्रों के अनुसार यह निषिद्ध नहीं है, बल्कि पितृ आशीर्वाद पाने का शुभ अवसर है. जन्मदिन मंदिर में दीप जलाकर, दान-पुण्य, पौधारोपण और सादगीपूर्ण तरीके से मनाना पितृपक्ष की पवित्रता को बनाए रखते हुए शुभ फलदायी होता है.

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पूजा और दान-पुण्य करके भी मना सकते हैं पितृ पक्ष के दिन जन्मदिवस. (Photo- AI Generated) पूजा और दान-पुण्य करके भी मना सकते हैं पितृ पक्ष के दिन जन्मदिवस. (Photo- AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:36 AM IST

क्या पितृपक्ष के दौरान जन्म दिन मनाना चाहिए? कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ये सवाल दर्ज है, जिसके जवाब में लोग अपने-अपने तर्क भी दे रहे हैं. एक यूजर का तर्क है कि, पितरों का आपके जीवन पर कंट्रोल करने का कोई अधिकार नहीं है. जन्मदिन किसी के लिए स्पेशल दिन है और यह उसका हक है कि वह इसे अपने तरीके से मना सके. हालांकि इस तरह के जवाब से कुछ लोग इत्तेफाक रखते हैं और कुछ नहीं. कई का मानना है कि पितृपक्ष में आयोजन और उत्सव की मनाही है तो इस दौरान जन्मदिन आ जाए तो उसका सेलिब्रेशन टाल देना चाहिए.

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पितृपक्ष को निगेटिव मानना गलत

सोशल मीडिया पर इसे लेकर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं है, लेकिन जहां तक पितृपक्ष की बात है तो इसे निगेटिव मानना गलत है. पंडित और ज्योतिषी आचार्य रजनीश पांडेय कहते हैं कि पितृपक्ष को नकारात्मक छवि के साथ नहीं देखना चाहिए. यह पितरों के आशीर्वाद का समय होता है और वह हमें अपना आशीष देने ही आते हैं. ऐसे में पितृपक्ष के दौरान जन्मदिन का होना कोई दुखी करने वाला कारण नहीं है, बल्कि अच्छी बात है, क्योंकि इससे आपको जन्मदिन पर पितरों की भी सूक्ष्म मौजूदगी से उनका आशीर्वाद भी मिलेगा. आखिर वह भी आपके पूर्वज हैं और कभी न कभी आपके परिवार से जुड़े रहे हैं और खानदान का ही एक हिस्सा रहे हैं.

इसलिए जन्मदिन मनाने का निषेध नहीं है. अगर किसी व्यक्ति का जन्मदिन पितृपक्ष के दिन पड़ता है तो उन्हें अपना जन्मदिन मनाना चाहिए. इसके लिए आप मंदिर जा सकते हैं. दान-पुण्य कर सकते हैं. पौधे रोप सकते हैं. ये तरीके जन्मदिन मनाने के लिए सही साबित हो सकते हैं. पौधे लगाने से पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है.

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कैसे मनाना चाहिए श्राद्ध में जन्मदिन

अब सवाल उठता है कि अगर जन्मदिन मनाना चाहिए तो कैसे मनाना चाहिए. आचार्य हिमांशु उपमन्यु पितृपक्ष को लेकर कहते हैं कि यह समय पितृ कर्म के लिए ही तय किया गया है. उत्सव की भी मनाही इसलिए ही की गई है कि ताकि आप पितृ कर्म से न भटकें और अपनी जिम्मेदारी को ठीक तरह से निभाएं. इसके अलावा यह समय चौमासे का है जो आयुर्वेद के कारण भारी खानपान वाले उत्सव के लिए ठीक नहीं है. उनकी मनाही तो शास्त्रों में वैसे ही की गई है. ऐसे में जन्मदिन मनाए या नहीं या फिर कैसे मनाए शास्त्र और पुराण इस तरह की कोई अलग से 'गाइडलाइन' नहीं देते हैं.

इसके लिए नियम वैसे ही हैं, जो पितृपक्ष के लिए हैं और उत्सव के लिए मनाही भी इसी के कारण ही हैं. पितृपक्ष में जन्मदिन और भी अच्छा है.  पितृपक्ष अशुभ नहीं है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों को याद करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे शुभ समय है. वैसे भी बिना पितरों को शामिल किए कोई भी पूजा या अनुष्ठान सफल नहीं होता. इसलिए अगर पितृपक्ष में आपका जन्मदिन आता है तो यह शुभ ही है, क्योंकि इस मौके पर आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ-साथ पितरों को भी अपनी खुशी में शामिल कर सकते हैं.

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शास्त्रीय तरीके से मना सकते हैं जन्मदिन 

इसको मनाने का तरीका अगर शास्त्रीय हो तो यह और अच्छी बात हो जाएगी. अगर श्राद्ध में जन्मदिन है तो इस दिन अपने पूर्वजों को याद करें और उनका ध्यान करें. अपने पूजा-स्थान पर या पीपल के पेड़ के नीचे घी का एक दीपक जलाएं और उनसे आशीर्वाद मांगें. इस शुभ अवसर पर किसी गरीब या ज़रूरतमंद को भोजन कराएं या दान दें.पितरों की आत्मा की शांति के लिए किसी मंदिर में अन्न-वस्त्र दान करना भी शुभ माना जाता है. जन्मदिन के मौके पर गाय को चारा या हरी घास खिलाएं. 

जन्मदिन पर कुलदेवता, इष्टदेव या भगवान विष्णु की पूजा कर आभार व्यक्त करना चाहिए.यह न केवल जन्मदिन को शुभ बनाता है, बल्कि पितृपक्ष की पवित्रता के अनुरूप भी होता है. भगद्गीता में कहा गया है कि देवताओं की पूजा से जीवन में समृद्धि और शांति प्राप्त होती है. पितृपक्ष में मांसाहार और मदिरा का सेवन वर्जित है, जैसा कि गरुड़ पुराण और अन्य शास्त्रों में उल्लेख है. जन्मदिन पर भी इनका सेवन नहीं करना चाहिए. इसके बजाय सात्विक भोजन और प्रसाद का आयोजन करना उचित है.

पूजा, दान और मंदिर दर्शन कर सकते हैं

आधुनिक समय में जन्मदिन का उत्सव सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है. हालांकि, पितृपक्ष की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए, इसे सादगी और शास्त्रीय मूल्यों के साथ मनाना चाहिए. उदाहरण के लिए, परिवार के साथ पूजा-पाठ, दान और जरूरतमंदों की सहायता की जा सकती है. शास्त्रों के आधार पर, पितृपक्ष में जन्मदिन मनाना निषिद्ध नहीं है, बशर्ते यह संयम, श्रद्धा और शास्त्रीय मूल्यों के अनुसार होना चाहिए. इससे न केवल पितृपक्ष की पवित्रता बनी रहती है, बल्कि जन्मदिन का उत्सव भी शुभ और शास्त्रसम्मत बनता है.

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