Krishna Chhathi 2025: नंदबाबा गांव में कैसे मनाई जाती है कान्हा की छठी? जानें महत्व और पूजन विधि

जिन लोगों ने इस साल 15 अगस्त 2025 को कान्हा का व्रत रखते हुए उनका जन्मोत्सव मनाया था,  वो 21 अगस्त 2025 को कान्हा की छठी मनाएंगे. और जिन लोगों ने 16 अगस्त 2025 को जन्माष्टमी का पर्व मनाया था, वो 22 अगस्त 2025 को कान्हा जी की छठी मनाएंगे.

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कृष्ण छठी पूजन 2025 (Photo: AI Generated) कृष्ण छठी पूजन 2025 (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 5:03 PM IST

मथुरा के नंदबाबा गांव में कान्हा की छठी (कान्हा के जन्म के छठे दिन का उत्सव) बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है. इस बार 16 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई थी, इसलिए जन्माष्टमी से छठे दिन यानी 21 अगस्त को श्रीकृष्ण का छठी पूजन होगा. इस पर्व को कृष्ण भक्त बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. कान्हा को भोग लगाने के लिए इस दिन तमाम तरह के भोज्य पदार्थ जैसे कढ़ी-चावल, पंचामृत आदि तैयार किया जाता है. श्री कृष्ण की छठी पूजा में इन चीजों के साथ फल, फूल, माखन, मिश्री, तुलसी पत्र आदि विशेष रूप से अर्पित किए जाते हैं.

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कब है कान्हा की छठी?

जिन लोगों ने इस साल 15 अगस्त 2025 को कान्हा का व्रत रखते हुए उनका जन्मोत्सव मनाया था,  वो 21 अगस्त 2025 को कान्हा की छठी मनाएंगे. और जिन लोगों ने 16 अगस्त 2025 को जन्माष्टमी का पर्व मनाया था, वो 22 अगस्त 2025 को कान्हा जी की छठी मनाएंगे.

पूजा का शुभ मुहूर्त

कान्हा की छठी पूजा भक्त अपनी आस्था के अनुसार दोपहर या शाम में करते हैं. यदि दोपहर में करें तो अभिजित मुहूर्त (11:58 से 12:50) शुभ माना जाता है. इस दिन पूजा से पहले स्नान कर पवित्र हो जाएं और पूजन सामग्री तैयार कर लें. फिर लड्डू गोपाल को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं. नए वस्त्र-आभूषण पहनाएं और चंदन, केसर, हल्दी, फल-फूल, धूप-दीप अर्पित करें. बांसुरी, माखन-मिश्री और मोरपंख जरूर चढ़ाएं. इसके बाद कान्हा का नामकरण करें. आरती उतारें और प्रसाद बांटें. मान्यता है कि छठी पूजा से शिशु आपदाओं से सुरक्षित रहता है, इसलिए भक्त हर साल इसे श्रद्धा से मनाते हैं.

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नंदबाबा गांव कान्हा की छठी कैसे मनाई जाती है?

  • नंदबाबा गांव में लोग इस दिन घर की सजावट करते हैं. मंदिर और घरों में फूल-मालाओं और रंगोली से सजावट होती है. 
  • कृष्ण भक्तों द्वारा भजन-कीर्तन और धार्मिक संगीत का आयोजन किया जाता है, जिसमें कान्हा के भजनों का गायन होता है.
  • इस दिन, विशेष रूप से कढ़ी-चावल और अन्य पौष्टिक व्यंजन बनाए जाते हैं, जिन्हें छठी का प्रसाद कहा जाता है. 
  • लड्डू गोपाल को झूले में झुलाया जाता है और भक्त कान्हा को झूला झुलाते हुए गीत और भजन गाते हैं. 
  • इस दिन, लोग गरीबों और जरूरतमंदों को दान भी देते है. यह दान छठी माई के नाम से किया जाता है.
  • कुछ स्थानों पर छप्पन प्रकार के व्यंजन का भोग भी लगाया जाता है. 
  • छोटे बच्चों को भी आमंत्रित करके उनका स्वागत किया जाता है और उन्हें भी भोग लगाया जाता है. 
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