Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी आज, शुभ मुहूर्त में इस विधि से करें श्री हरि की उपासना

Devshayani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में देवशयनी को बेहद पुण्यदायी माना गया है. माना जाता है कि इस दिन व्रत व विधिपूर्वक पूजन करने से जातक सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है. इस दिन से भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और पृथ्वी का कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं.

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देवशयनी एकादशी 2025 देवशयनी एकादशी 2025

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:13 PM IST

Devshayani Ekadashi 2025: हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का खास महत्व है. इस दिन से भगवान विष्णु चार महीनों के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा में चले जाते हैं और चतुर्मास की शुरूआत होती है. इस दौरान मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है. शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों पर पाबंदी लग जाती है. कहते हैं कि देवशयनी एकादशी पर व्रत-उपासना और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

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देवशयनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त (Devshayani Ekadashi 2025 Shubh muhurt)

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर शुरू हो चुकी है और इसकी तिथि का समापन 06 जुलाई को आज रात 9 बजकर14 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, इस साल 6 जुलाई दिन रविवार यानी आज देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है.

देवशयनी एकादशी चौघड़िया मुहूर्त 
लाभ (उन्नति)- सुबह 08.45 बजे से सुबह 10.28 बजे तक
अमृत (सर्वोत्तम)- सुबह 10.28 बजे से दोपहर 12.11 बजे तक
शुभ (उत्तम)- दोपहर 01.54 बजे से दोपहर 03.38 बजे तक
शुभ (उत्तम)- शाम 07.04 से लेकर 08. 21 तक
अमृत (सर्वोत्तम)- शाम 08.21 बजे से रात 09.38 बजे तक

देवशयनी एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में देवशयनी को बेहद पुण्यदायी माना गया है. माना जाता है कि इस दिन व्रत व विधिपूर्वक पूजन करने से जातक सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है. देवशयनी एकादशी पर दान-धर्म के कार्यों का भी विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन से भगवान विष्णु करीब चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और पृथ्वी का कार्यभार, संचालन भगवान शिव के हाथ में सौंप जाते हैं.

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देवशयनी एकादशी पूजन विधि

देवशयनी एकादशी के दिन विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें. सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद भगवान की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनाएं. इसके बाद उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं. फिर भगवान विष्णु को तुलसी दल और पीले फूल अर्पित करें. इसके बाद एकादशी व्रत कथा पढ़ें और आरती के बाद भोग लगाएं.

देवशयनी एकादशी पर न करें ये काम

इस पावन दिन पर तामसिक चीजें लहसुन-प्याज से दूर रहना चाहिए. इस दिन मांस, मदिरा-पान आदि का सेवन करने की गलती न करें.  मान्यताओं के अनुसार, एकादशी पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही देवशयनी एकादशी के दिन भूलकर भी बालों और नाखूनों को नहीं काटना चाहिए.

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