Dev Uthani Ekadashi 2021: कब है देवोत्थान एकादशी? इस दिन भूलकर भी न करें ये काम

Dev Uthani Ekadashi 2021: कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थान या देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा के बाद जागते हैं, जिसके बाद से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. आइये जानते हैं कार्तिक शुक्ल की एकादशी कब है?

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कब है देवोत्थान एकादशी कब है देवोत्थान एकादशी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST
  • देवोत्थान एकादशी पर उपवास रखने का विशेष महत्व
  • मांगलिक और शुभ कार्य इस दिन से हो जाएंगे शुरू

Dev Uthani Ekadashi 2021 Date: कार्तिक शुक्ल की एकादशी को भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं, जिसके बाद चार माह से रुके हुए सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं. देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसे देवोत्थान एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2021) कहते हैं. इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है. कहते हैं इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस साल देवोत्थान एकादशी का रविवार, 14 नवंबर 2021 को है.

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देवोत्थान एकादशी पर इन बातों का ख्याल रखें ध्यान
देवोत्थान एकादशी वाले दिन निर्जल या केवल जलीय पदार्थों पर उपवास रखने से लाभ मिलता है. अगर कोई बीमार शख्स, वृद्ध, बालक या व्यस्त व्यक्ति हैं तो केवल एक वेला का उपवास रखना चाहिए और फलाहार करना चाहिए. अगर यह भी संभव न हो तो इस दिन चावल और नमक नहीं खाना चाहिए. भगवान विष्णु या अपने इष्ट-देव की उपासना करें. इस दिन तामसिक आहार (प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन) बिलकुल न खाएं. इस दिन "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए.

देवोत्थान एकादशी की पूजा विधि
गन्ने का मंडप बनाने के बाद बीच में चौक बना लें. इसके बाद चौक के मध्य में चाहें तो भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति रख सकते हैं. चौक के साथ ही भगवान के चरण चिह्न बनाए जाते हैं, जिसको कि ढ़क दिया जाता है. इसके बाद भगवान को गन्ना, सिंघाडा और फल-मिठाई समर्पित किए जाते हैं. घी का एक दीपक जलाया जाता है जो कि रातभर जलता रहता है. भोर में भगवान के चरणों की विधिवत पूजा की जाती है. फिर चरणों को स्पर्श करके उनको जगाया जाता है. इस समय शंख-घंटा-और कीर्तन की आवाज की जाती है. इसके बाद व्रत-उपवास की कथा सुनी जाती है. जिसके बाद सभी मंगल कार्य विधिवत शुरु किए जा सकते हैं.

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एकादशी पर न करें ये कार्य
1. इस दिन चावल खाना पूरी तरह ​वर्जित माना गया है. इसके अलावा मांसाहार या तामसिक गुणों वाली चीजों का सेवन करने से भी बचना चाहिए. 
2. जिन लोगों ने एकादशी का व्रत रखा है, वे लकड़ी के दातून या पेस्ट से दांत साफ न करें. क्योंकि इस दिन किसी पेड़-पौधों के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए.
3. एकादशी के दिन तुलसी तोड़ने से बचें, क्योंकि तुलसी विष्णु की प्रिया हैं. 
4. भोग लगाने के लिए पहले से तुलसी तोड़ लेनी चाहिए, लेकिन अर्पित की गई तुलसी स्वयं ग्रहण न करें.
5. व्रत रखने वाले भूल से भी गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग आदि का सेवन नहीं करें. 6. इस दिन घर में भूलकर भी कलह न करें.

 

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