राजस्थान में भारतीय रेलवे ने तकनीकी क्षमता और स्थिरता (Stability) का अद्भुत प्रदर्शन किया. वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ने 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ लगाते हुए ट्रायल पूरा किया. इस दौरान इंजन के अंदर रखे गए पानी के गिलास की एक बूंद भी नहीं छलकी, जिसने ट्रेन की स्थिरता और डिजाइन की मजबूती को साबित कर दिया. इस ट्रायल का वीडियो वायरल हो रहा है और लोग रेलवे की इस उपलब्धि की सराहना कर रहे हैं. यह ट्रायल 2 नवंबर से शुरू हुआ है और 17 नवंबर तक जारी रहेगा.
यह ट्रायल पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल के सवाई माधोपुर-कोटा-नागदा रेलखंड पर किया गया. आरडीएसओ (अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन), लखनऊ की परीक्षण निदेशालय टीम इसकी निगरानी कर रही है. रेलवे के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक सौरभ जैन ने बताया कि यह परीक्षण 16 कोच वाली वंदे भारत स्लीपर रैक के साथ किया जा रहा है, जिसे स्वदेशी तकनीक से बनाया गया है.
यहां देखें Video
ट्रेन में रखा गया 908 टन वजन, फिर भी रफ्तार बरकरार
ट्रेन के ट्रायल के दौरान रियल सिचुएशन के लिए ट्रेन में 800 टन वजन के साथ 108 टन एक्स्ट्रा वेट जोड़ा गया. यह एक्स्ट्रा वजन 50-50 किलो लोहे की धूल से भरे कनस्तरों के रूप में था. इस प्रकार कुल 908 टन वजन के साथ ट्रायल हुआ. आरडीएसओ के परीक्षण निदेशक राधेश्याम तिवारी ने बताया कि यह भारतीय रेल की इंजीनियरिंग क्षमता का महत्वपूर्ण प्रदर्शन है.
यह भी पढ़ें: बिहार के लिए बड़ा तोहफा... दिवाली-छठ से पहले चलेगी देश की पहली स्लीपर वंदे भारत ट्रेन, जानें रूट
50 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर रोहलखुर्द और लबान स्टेशनों के बीच 180 किमी प्रति घंटे की गति से लॉन्ग कंफर्मेटरी रन (LCR) सफलतापूर्वक पूरा किया गया. इसके साथ ऑसिलेशन टेस्ट, ब्रेकिंग क्षमता और वेट ट्रैक इमरजेंसी ब्रेकिंग टेस्ट भी किए गए. इस ट्रायल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि तेज गति में भी ट्रेन सुरक्षित, स्थिर और आरामदायक बनी रहे. वंदे भारत स्लीपर ट्रेन आधुनिक और संशोधित बोगियों से लैस है, जिसमें यात्रियों को बेहतर स्टेबिलिटी, साउंडप्रूफ जर्नी मिलेगी. यह टेस्ट भारतीय रेलवे के मिशन रफ्तार और मिशन गति शक्ति की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
अभी अधिकतर ट्रेनें देश में 110 से 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं, लेकिन इस टेस्ट की सफलता से 180 किमी प्रति घंटे की गति से ट्रेनों का संचालन संभव हो सकता है. रेलवे ट्रैक के आधुनिकीकरण पर भी काम जारी है. ट्रायल के दौरान मिली तकनीकी कमियों को दूर किया जाएगा, ताकि यह ट्रेन भविष्य में नियमित रूप से यात्रियों के लिए उपलब्ध कराई जा सके.
हिमांशु शर्मा