राजस्थान में कई थिएटर आर्टिस्ट आर्थिक तंगी का सामने कर रहे है. इन थिएटर कलाकारों को कला के जरिए फिलिपिंस में तिरंगा लहराने का मौका मिला है. मगर, आर्थिक तंगी इनके आड़े आ रही है. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी है. बल्कि फिलीपींस में भारत का प्राधिनिधित्व करने के लिए हर वो कोशिश कर रहे है, जो शायद पहले उन्होंने कभी भी नहीं की थी. कोई जोमैटो में डिलीवरी बॉय का काम कर रहा तो कोई मंदिर में सफाई कर पैसे जुटा रहा है.
जयपुर के आर्टिस्ट मोहम्मद दाऊद कुरैशी सड़कों पर फूड डिलेवरी का काम कर पैसे जुटाने में लगे है. उन्होंने बताया कि फिलिपींस में उनका नाटक 'मकतूब' का चयन हुआ है. मगर, फिलिपींस जाने के लिए उनके पास इतने पैसे नहीं है. इस वजह से उनका ग्रुप सड़कों पर नाटक दिखाकर क्राउड फंडिंग करने में जुटा है. हर कोई अपने तरीके से पैसा जुटा रहा है. वो खुद भी दिन में नाटक दिखाते हैं और रात में जोमैटो में फूड डिलीवर का काम करके पैसे जुटा रहे हैं. सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक वो नुक्कड़ नाटक में मंचन करते हैं. फिर शाम को 5 बजे से लेकर रात 3 बजे तक फूड डिलीवरी का काम करते हैं.
सरकार से ही अब आखिरी उम्मीद- थिएटर आर्टिस्ट
वहीं, थिएटर आर्टिस्ट अपूर्वा चतुर्वेदी ने बताया कि उनका यूथ ग्रुप नाटक तैयार करके मंचन करता हैं. उसमें से कई नाटक विदेशी फेस्टिवल में सलेक्ट हुए है. मगर, वो आर्थिक रूप से इतने मजबूत नहीं है कि फिलीपींस जाने के लिए टिकट का खर्च उठा सकें. इस वजह से वो जयपुर के अल्बर्ट हॉल, पत्रिका गेट जैसी जगहों पर नुक्कड़ नाटक कर लोगों से मदद मांगे रहे हैं. जहां कोई 10, 20, 50 और 100 रुपए देकर उनकी मदद कर रहा है. मगर, इतने पैसे पर्याप्त नहीं है. ऐसे में सरकार से ही अब आखिरी उम्मीद है. अगर, सरकार मदद करती है तो राजस्थान की संस्कृति, पर्यटन और इतिहास को विश्व पटल पर पहुंचाने का हमलोग काम करेंगे.
पिछली बार भी नहीं मिली थी सहायता- थिएटर डायरेक्टर
इस बारे में थिएटर डायरेक्टर सिकंदर खान ने बताया कि फिलिपींस से निमंत्रण मिलना बहुत गर्व की बात है. नवंबर के आखिरी सप्ताह में फिलिपींस में नाटक का मंचन करना है. मगर, वहां जाने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं है. इस वजह से कोई नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों से मदद मांग रहा है तो कोई जोमैटो में नाईट शिफ्ट करने पर मजबूर है.
उन्होंने बताया कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मंदिर में साफ-सफाई का काम करके पैसे जुटा रहे है. पिछली बार सरकार से आर्थिक सहायता नहीं मिली थी. इस कारण केन्या इंटरनेशनल थिएटर फेस्टिवल और अफ्रीका-बुल्गारिया इंटरनेशनल यूथ थियेटर फेस्टिवल में नहीं जा सके थे.
इस कारण सरकार से पैसों के लिए मदद मांगी है. लेकिन, अभी तक वहां से कोई सहायता नहीं मिली है. कलाकारों ने भी अब ठान लिया है कि अगर, उन्हें पैसों के लिए भीख मांगनी पड़ेगी तो वो मांगेंगे.मगर, इस बार फिलिपिंस में जाकर कला का तिरंगा लहराकर ही रहेंगे.
विशाल शर्मा