राजस्थान HC क्लर्क भर्ती घोटाला: स्पाई कैमरे और ब्लूटूथ से नकल करने वाले 4 जूनियर क्लर्क गिरफ्तार

राजस्थान हाईकोर्ट की जूनियर क्लर्क भर्ती परीक्षा 2022 में उन्नत तकनीक (Advanced Technology) का इस्तेमाल करके नकल करने के आरोप में चार सेवारत क्लर्कों को गिरफ्तार किया गया. स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) की जांच में खुलासा हुआ कि परीक्षा के दौरान ब्लूटूथ डिवाइस और एक जासूसी कैमरे का इस्तेमाल करके प्रश्नपत्र लीक किए गए.

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राजस्थान उच्च न्यायालय क्लर्क परीक्षा में नकल के आरोप में 4 गिरफ्तार. (photo: ITG) राजस्थान उच्च न्यायालय क्लर्क परीक्षा में नकल के आरोप में 4 गिरफ्तार. (photo: ITG)

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 07 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट के चार जूनियर क्लर्क को 2022 के संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में एडवांस्ड तकनीक का इस्तेमाल कर नकल करने के आरोप में गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारी के बाद चारों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से कोर्ट ने उन्हें 10 दिसंबर तक पुलिस रिमांड में भेज दिया.

ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) को जांच में पता चला कि परीक्षा के दौरान प्रश्न पत्र लीक करने और चयनित अभ्यर्थियों को उत्तर भेजने के लिए ब्लूटूथ डिवाइस और जासूसी कैमरे का इस्तेमाल किया था. इसके बाद इन चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया  गया है.

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एसओजी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान क्लर्क दिनेश, कुमार, मनोज कुमार बोराण, रमेश कुमार और मनीष बुडिया के रूप में हुई है. सभी आरोपी राजस्थान की विभिन्न अदालतों में कार्यरत थे.

एसओजी अधिकारियों के अनुसार, इन व्यक्तियों ने अनुचित तरीकों से जूनियर न्यायिक सहायक, क्लर्क ग्रेड-II और सहायक क्लर्क ग्रेड-II परीक्षाओं में अपना स्थान हासिल किया. कई भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतें सामने आने के बाद जांच शुरू हुई. इसी दौरान आयोजित ईओ-आरओ परीक्षा में अनियमितताओं की जांच करते वक्त, एसओजी को एक परिष्कृत नकल नेटवर्क का पता चला जो हाईकोर्ट जूनियर क्लर्क परीक्षा तक फैला हुआ था.

प्रतियोगी परीक्षा धोखाधड़ी के व्यापक पैटर्न की जांच के लिए डीआईजी एसओजी परीश देशमुख की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया था.

'स्पेन से मंगाया स्पाई कैमरा'

एडीजी एसओजी विशाल बंसल ने बताया कि व्यापक तकनीकी विश्लेषण और पूछताछ से पता चला कि ये एक सुव्यवस्थित नेटवर्क था, जिसका मास्टरमाइंड पौरव कालेर और उसके सहयोगी तुलसाराम कालेर कर रहे थे. दोनों ने कथित तौर पर उम्मीदवारों से चयन की गारंटी के बदले में बड़ी रकम वसूली-  दिनेश से 3 लाख रुपये, मनोज से 4 लाख रुपये, रमेश से 5 लाख रुपये और मनीष से 3 लाख रुपये ली.
 
वहीं, इस प्लान को अंजाम देने के लिए कालेर ने ₹90,000 में स्पेन से एक उन्नत 'इनोवा केम ड्रॉप बॉक्स' जासूसी कैमरा खरीदा था.

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परीक्षा में शामिल हुए थे गिरोह के सदस्य

जांच में पता चला कि नकल की योजना के तहत गिरोह के दो सदस्य परीक्षा के दौरान उम्मीदवार बनकर शामिल हुए. उन्होंने प्रश्नपत्र मिलने के तुरंत बाद जासूसी कैमरे का इस्तेमाल करके उसका स्क्रीनशॉट (Screenshot) लेकर वास्तविक समय (Real Time) में मास्टरमाइंड कालेर को भेजा. कालेर ने सॉल्वर की एक टीम बनाई थी जो जल्दी से पेपर हल करते थे. इसके बाद विशेषज्ञों ने ब्लूटूथ डिवाइस पहने उम्मीदवारों को सवालों के सही जवाब बताए.

जितेंद्र उर्फ अक्षय जाट और राजेश कुमार बिजर्निया द्वारा स्क्रीनशॉट भेजे जाने की पुष्टि भी हुई है. नियुक्ति आदेश (Appointment Orders) मिलने के बाद चयनित उम्मीदवारों ने मास्टरमाइंड को तय राशि का भुगतान किया.

अब तक 21 आरोपी गिरफ्तार

अब तक एसओजी ने कालेर समेत इस हाई-टेक धोखाधड़ी रैकेट के संबंध में 21 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. एसओजी अभी-भी इस मामले से जुड़े वित्तीय लेन-देन की जांच कर रहा है.

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