राजस्थान विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खुलकर शह-मात का खेल शुरू हो गया है. राहुल गांधी के राजस्थान दौरे के बीच सचिन पायलट एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं. उन्होंने गहलोत के खिलाफ आर-पार का ऐलान कर दिया है. सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अशोक गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे हैं. साथ ही उन्होंने अजमेर से जयपुर तक पैदल जन संघर्ष यात्रा निकालने का भी ऐलान कर दिया है. इस तरह पायलट ने अब गहलोत के खिलाफ खुलकर सड़क पर उतरने का ऐलान कर दिया है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी राजस्थान के माउंट आबू में एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं. यह वह जिस समय कांग्रेस के सर्वोदयी ट्रेनिंग कैंप के डेलिगेट्स से चर्चा कर रहे थे, उसी वक्त जयपुर में सचिन पायलट ने प्रेस कॉफ्रेंस करके गहलोत के खिलाफ आर-पार का ऐलान कर दिया है. पायलट ने बीजेपी राज के करप्शन पर कार्रवाई न होने के मुद्दे पर गहलोत को घेरा. उन्होंने साफ कर दिया कि अब लड़ाई जनता के बीच लड़ी जाएगी.
अशोक गहलोत ने रविवार को धौलपुर में सचिन पायलट कैंप के विधायकों पर सियासी संकट के वक्त 10 से 20 करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया था. उन्होंने 2020 में विद्रोह करने वाले कांग्रेसी विधायकों को अमित शाह का पैसा वापस लौटाने की सलाह भी दी थी. उन्होंने अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत पर उनकी सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया. साथ ही दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, बीजेपी नेता कैलाश मेघवाल और शोभरानी कुशवाहा ने संकट के दौरान सरकार बचाने में उनकी मदद की थी.
सीएम गहलोत के आरोपों का जबाव देने के लिए सचिन पायलट ने ऐसे दिन को चुना, जब राहुल गांधी राज्य के दौरे पर हैं. राहुल माउंट आबू में कांग्रेस नेताओं के साथ चर्चा कर रहे थे, उसी समय पायलट प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने भविष्य की सियासी लकीर खींचने की कवायद करते नजर आए. पायलट ने कहा कि अशोक गहलोत का धौलपुर का भाषण हमने सुना. इसे सुनने के बाद मुझे लगता है कि उनकी (अशोक गहलोत) नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि उनकी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया हैं.
पायलट ने गहलोत के बयान जिक्र कर कहा कि एक तरफ ये कहा जा रहा कि हमारी सरकार को गिराने का काम बीजेपी कर रही थी. दूसरी तरफ वह कह रहे हैं कि हमारी सरकार वसुंधरा राजे ने बचाई थी. इस बयान में काफी विरोधाभास है. उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि इसे स्पष्ट करना चाहिए.
पायलट ने कहा- मैंने पहली बार देखा, अपनी सरकार, अपने विधायक, अपने नेताओं को बदनाम करने का काम हो रहा है. यह समझ से परे है कि कांग्रेस विधायकों को बदनाम किया जा रहा है और बीजेपी नेताओं का गुणगान हो रहा है.
तीन साल पहले हुई बगावत का जिक्र करते हुए पायलट ने कहा कि हम नेतृत्व परिवर्तन चाहते थे. अपनी बातों को पार्टी आलाकमान के सामने रखा था. सीएम गहलोत जिन लोगों पर आरोप लगा रहे हैं, वो 30-40 सालों से पब्लिक लाइफ में हैं. गहलोत के बयान सुनकर हमें पता चल गया कि आखिर अब तक अशोक गहलोत वसुंधरा राजे के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे?
पायलट ने कहा कि ऐसे में अब जनता के बीच जाकर ही अपनी लड़ाई लड़नी होगी. उन्होंने कहा कि वे 11 मई से 5 दिन की जनसंघर्ष यात्रा निकालने जा रहे हैं. यह यात्रा अजमेर से जयपुर तक 125 किलोमीटर की होगी. यात्रा भ्रष्टाचार के खिलाफ होगी. यात्रा के बाद ही किसी तरह का राजनीतिक फैसला लिया जाएगा.
सचिन पायलट के इस ऐलान से साफ हो गया कि पदयात्रा कर सूबे के सियासी नब्ज की थाह लेंगे और उसके बाद ही किसी तरह का राजनीतिक कदम उठाएंगे?
सचिन पायलट बीजेपी राज में करप्शन पर कार्रवाई न होने का मुद्दा लगातार उठा रहे हैं. बाड़मेर में मंत्री हेमाराम चौधरी के बेटे की याद में बनाए गए हॉस्टल के लोकार्पण के मौके पर शनिवार को हुई सभा में पायलट ने करप्शन का मामला फिर उठाया था.
पायलट ने कहा था कि बीजेपी राज के करप्शन का मुद्दा उठाने से कई लोग नाराज हुए, लेकिन उसकी कोई परवाह नहीं है. पिछले दिनों जयपुर में इसी मुद्दे पर पायलट ने एक दिन का अनशन किया था, अब सड़क पर उतरने का भी ऐलान कर दिया है. इसी तरह से बीजेपी सरकार के दौरान हुई भ्रष्टाचार के मामले को उठाकर गहलोत को घेर रहे हैं.
सचिन पायलट की शुरू से राजनीतिक महत्वाकांक्षा रही है कि उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाए. पायलट खेमा चाहता है चुनाव से पहले सीएम बदला जाए. पंजाब की तर्ज पर राजस्थान में भी चुनाव से पहले सीएम बदलने की मांग पायलट गुट लगातार कर रहा है.
सितंबर 2022 की विधायक दल की मीटिंग कैंसिल होने के बाद कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि जल्द ही फिर एक मीटिंग आयोजित की जाएगी, लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में चली गई.
राजस्थान में तीन दशक से सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड रहा है. एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी सत्ता में आती रहती है. ऐसे में अब पायलट के पास कोई विकल्प नहीं बचा है और उन्हें लगता है कि अगर अब कोई फैसला नहीं हुआ तो फिर उनके हाथों से बाजी निकल जाएगी, इसीलिए पायलट ने पूरी तरह से मोर्चा खोल दिया है.
कांग्रेस गहलोत में वर्तमान देख रही है जबकि पायलट में भविष्य, इसीलिए कांग्रेस दोनों ही नेताओं को साधकर रख रही थी, लेकिन पायलट का धैर्य जवाब दे रहा है. सचिन पायलट आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं, वह पब्लिक सिम्पैथी और नैरेटिव सेट करने में जुटे हैं. सियासी जानकारों का मानना है कि पायलट खुद इस इंतजार में हैं कि कांग्रेस हाईकमान या तो उनकी बातों को मानते हुए पायलट को फ्री हैंड दे और सीएम चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करे या फिर पार्टी खुद उनके खिलाफ कोई एक्शन ले.
कांग्रेस हाईकमान की चुप्पी पायलट को बेचैन कर रही है, जिसके लिए खुद सड़क पर उतरने का फैसला किया है. माना जा रहा है कि पायलट अजमेर से जयपुर तक की यात्रा में सूबे के राजनीतिक मिजाज की थाह लेंगे और उसी के आधार पर आगे की सियासी कदम उठाएंगे?
कुबूल अहमद